जब India Meteorological Department ने 2 अक्टूबर 2025 को राष्ट्रीय स्तर पर मौसम चेतावनी जारी की, तो पूरे देश में आशंका का माहौल बन गया। विभाग ने बताया कि 2‑7 अक्टूबर के बीच पश्चिमी खिंचाव, अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से आने वाले भारी नमी के कारण उत्तर‑पश्चिम, मध्य और पूर्वी भारत में तीव्र वर्षा‑हिमपात की संभावना है, जिसमें 6 अक्टूबर को तूफ़ानी बवंडर की चरम तीव्रता की उम्मीद है।
पिछले मौसम का संदर्भ और मौसमी तंत्र
अक्टूबर के महीने में भारत में आम तौर पर गर्मी धीरे‑धीरे घटती है, लेकिन इस वर्ष मौसम विज्ञानियों ने बताया कि समुद्री नमी का प्रवाह असामान्य रूप से उच्च रहेगा। यह स्थिति Western Disturbance के साथ मिलकर ट्रॉपिकल‑क्लाइमेट मॉडल को प्रभावित कर रही है। दरअसल, इस संस्करण की पश्चिमी खिंचाव में अरब सागर से दूर‑दूर तक फैला नमी‑संघनन केंद्र शामिल है, जिससे निचले ट्रोपोस्फ़ीयर में जलवायु‑वित्तीय दबाव बढ़ रहा है।
इसी समय, अरुणाचल प्रदेश के उत्तर‑पूर्वी भाग में एक ऊपरी वायुमंडलीय चक्रीय परिसंचरण स्थापित हो गया है, जो मौसमी धारा को पूर्व‑पश्चिम दिशा में धकेल रहा है। इस चक्रवातीय धारा का प्रभाव न केवल एशिया‑पैसिफिक क्षेत्र में दिख रहा है, बल्कि यह बंगाल की खाड़ी के ध्रुवीय नमी को भी उत्तर‑पश्चिम में खींच रहा है।
विस्तृत बारिश‑हिमपात की संभावना
IMD की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर‑पश्चिमी भारत में 4‑7 अक्टूबर के दौरान भारी‑से‑बहुत भारी वर्षा के साथ बर्फ़ीले ओले (हेलस्टॉर्म) गिरने की चेतावनी दी गई है। पीक दिन 6 अक्टूबर बताया गया है, जब नमी‑भरी हवा और ठंडी ऊँचाई वाले प्रवाह का संगम अधिकतम दर से होगा।
- छत्तीसगढ़ और ओडिशा में 2 अक्टूबर को 21 सेमी से अधिक बरसात की संभावना (अत्यधिक भारी बारिश)।
- बिहार में 3‑4 अक्टूबर को समान स्तर की वर्षा, फिर 2‑5 अक्टूबर तक सतत हल्की‑से‑मध्यम बारिश के साथ कणादर अंतर्दृष्टि।
- गुजरा हुआ प्रेरित बवंडर पश्चिम बंगाल, झारखण्ड और मध्य प्रदेश के वैडरबा में 2‑4 अक्टूबर को तेज़ बौछारों के साथ प्रकट होने की संभावना।
वायुमंडलीय विशेषज्ञ डॉ. रमेश कुमार, जो IMD के मुख्य मौसम विज्ञानी हैं, ने कहा: “यह एक क्लासिक ‘ज्यादती नमी‑हवा’ का मामला है, जहाँ अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से नमी एक साथ मिलकर असामान्य रूप से भारी वर्षा लाती है। विशेषकर 6 अक्टूबर को ओले के साथ बवंडर के जोखिम को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।”
प्रभावित क्षेत्रों में पहले से देखी गई स्थितियां
पहले दो दिनों में कई शहरों ने पहले ही अत्यधिक जलभराव की रिपोर्ट की। छत्तीसगढ़ के रायपुर में 2 अक्टूबर को 22 सेमी बारिश के बाद सड़कें जलमग्न हो गईं, जबकि ओडिशा के भुवनेश्वर में जलस्तर 1.5 मीटर तक बढ़ गया। बिहार के पटना में भी तेज़ बौछारों के कारण फोरेंसिक ट्रैफिक जाम हुआ। इस बीच, वरिष्ठ पत्रकार बढ़ती बारिश के कारण लोगों के दैनिक जीवन में कई बाधाएँ पैदा हो रही हैं – स्कूल बंद, किसानों की फसलें बर्बाद, और लॉजिस्टिक कंपनियों को शिपमेंट में देरी।
विचार-विमर्श: सरकारी और स्थानीय प्रतिक्रिया
राज्य सरकारों ने पहले से राहत‑कार्य के लिए पहरेदारी बढ़ा दी है। छत्तीसगढ़ में मुख्य जल प्राधिकरण ने बाढ़‑रोकथाम ग्रिड को सक्रिय कर दिया, जबकि ओडिशा में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) ने इमरजेंसी टेम्परेरी कंस्ट्रक्शन टीमों को तैनात कर दिया। बिहार में मुख्यमंत्री ने स्थानीय स्वास्थ्य केंद्रों को अतिरिक्त रक्त और दवाओं से सुसज्जित करने का आदेश दिया।
इसके अलावा, किसान संघों ने बताया कि अत्यधिक बारिश से धान के बीजों के अंकुरण में बाधा आ सकती है, और उन्होंने सरकारी सहायता की माँग की है। “अगर हमरो बिया समय पर नहीं बोएँगे तो फसल बर्बाद होगी,” एक स्थानीय किसान ने कहा। इस पर कृषि मंत्री ने जल्द ही एक विशेष आर्थिक पॅकेज जारी करने की घोषणा की।
भविष्य की संभावनाएँ और अगले कदम
वर्तमान में IMD ने अगले दो हफ्तों के लिए चेतावनी जारी रखी है, जिसमें बताया गया है कि नमी‑भरे हवाओं का प्रवाह अक्टूबर के अंत तक जारी रह सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि जलवायु‑परिवर्तन के कारण जलवायुमंडलीय पैटर्न बदले रहे, तो इस प्रकार की ‘वेशभ्रांति’ वाली वर्षा भविष्य में अधिक बार देखी जा सकती है।
आगामी दिनों में, IMD ने सार्वजनिक गतिविधियों को रद्द करने, विशेषकर खेल‑केन्द्रित कार्यक्रमों और बाजारों में भीड़भाड़ से बचने की सलाह दी है। नागरिकों को सलाह दी गई है कि वे जल‑स्तर की अपडेटेड जानकारी के लिए आधिकारिक ऐप या वेबसाइट देखेंगे। साथ ही, स्थानीय प्रशासन ने जलरोकथाम के लिए बायो‑डैम, पंपिंग स्टेशन और अस्थायी पुलों का निर्माण तेज़ करने की योजना बनाई है।
पिछले मौसमीय घटनाओं से तुलना
अक्टूबर 2022 में भी एक समान पश्चिमी खिंचाव ने उत्तर‑पश्चिम भारत में लगभग 15 सेमी बारिश गिरा दी थी, लेकिन इस बार नमी‑भंडार दो गुना अधिक है, जिससे बारिश की मात्रा भी दोगुनी हो सकती है। 2019 में बंगाल की खाड़ी से आया ‘विलक्षण टाइम‑लाइन’ भी इसी तरह के घटनाक्रम में देखा गया था, जब कई राज्यों में बाढ़ जैसी स्थितियाँ उत्पन्न हुई थीं। इन केस स्टडीज से यह स्पष्ट होता है कि मौसमी पूर्वानुमान को सटीक बनाना अब पहले से अधिक चुनौतीपूर्ण हो गया है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
क्या यह बारिश खेती को काफी प्रभावित करेगी?
हाँ, विशेषकर धान और गन्ने जैसी फसलों की बोवाई देर‑से‑होने पर अंकुरण बिगड़ सकता है। कई किसान इस बात को लेकर चिंतित हैं और उन्होंने सरकार से आपातकालीन बीज व रसायन सहायता की माँग की है।
कौन‑से राज्यों में सबसे अधिक वर्षा की संभावना है?
छत्तीसगढ़, ओडिशा और बिहार में 21 सेमी से अधिक बारिश की संभावना है, जबकि उत्तर‑पश्चिम में पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में भी बवंडर के साथ हल्की‑से‑भारी बारिश की आशंका है।
सड़क परिवहन पर इसका क्या असर पड़ेगा?
कई एहतियाती कदम उठाए जा रहे हैं; हाईवे पर जलरोधी प्लान, बाढ़‑प्रभावित क्षेत्रों में अल्पावधि पुल और आपनेर रोड क्लोजर की सूचना जारी की गई है। यात्रियों को वैकल्पिक मार्गों पर चलने की सलाह दी गई है।
क्या अगले हफ्ते तक बारिश थम जाएगी?
IMD ने कहा है कि नमी‑भरे हवाओं का प्रवाह अक्टूबर के मध्य तक बना रह सकता है, इसलिए सतत पूर्व सूचना पर निर्भर रहना ही सुरक्षित रहेगा।
सामान्य नागरिक कैसे तैयारी कर सकते हैं?
स्थानीय प्रशासन के निर्देशों का पालन करें, जल‑स्तर की अद्यतन जानकारी देखें, घर के आस‑पास जमा पानी को निकालें और आवश्यक दवाओं एवं आपातकालीन सामान का प्रबंध रखें।
sharmila sharmila
6 अक्तूबर / 2025वाह! IMD ने जो अलर्ट जारी कियाऽ, वो सच में चिंताजनक है।
मैंने देखा है कि पिछले साल भी कुछ इसी तरह की भारी बवंडर मिली थी पर इस बार नमी का स्तर दो गुना है।
क्या आप लोग भी अपने घरों के वर्हावें (किचन) में पानी का लेवल चेक कर रहे हैं? (जरा टाइपिंग में टाईपो हो गई :))
सुरक्षा के लिये लाइट्स, टॉर्च और रेडियो रखना मत भूलिए।
शुभकामनाएँ, और सावधान रहें।