SIR 2.0 शुरू: 51 करोड़ मतदाताओं की सूची का गहन पुनरीक्षण, 12 राज्यों में घर-घर जांच

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SIR 2.0 शुरू: 51 करोड़ मतदाताओं की सूची का गहन पुनरीक्षण, 12 राज्यों में घर-घर जांच

भारत निर्वाचन आयोग ने 4 नवंबर 2025 से देश के 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में भारत निर्वाचन आयोग की नई बड़ी पहल — SIR 2.0 — शुरू कर दी है। इसके तहत 51 करोड़ मतदाताओं की सूची का घर-घर जाकर पुनरीक्षण किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य कोई भी पात्र मतदाता छूटे नहीं, और कोई अपात्र नाम सूची में न शामिल हो। ये पहल केवल एक तकनीकी अपडेट नहीं, बल्कि लोकतंत्र की नींव को मजबूत करने की कोशिश है। अगर आपका नाम सूची में नहीं है, तो आप चुनाव नहीं लड़ सकते। अगर किसी और का नाम आपके नाम के साथ है, तो आपका वोट बेकार हो सकता है। यही वजह है कि इस बार निर्वाचन आयोग ने इसे इतना गहरा और तेज़ बनाया है।

कौन-कौन से राज्य शामिल हैं?

इस बार के लिए चुने गए 12 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश हैं: उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, केरल, पुडुचेरी, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और लक्षद्वीप। इनमें से अकेले उत्तर प्रदेश में 15.44 करोड़ मतदाता हैं — यानी लगभग एक तिहाई भारतीय मतदाता। यहां 99.62% एन्यूमरेशन फॉर्म वितरित हो चुके हैं। केरल में 97.33%, तमिलनाडु में 96.22% और पुडुचेरी में 95.58% फॉर्म बांट चुके हैं। ये आंकड़े बताते हैं कि ये राज्य अपनी सूचियों को स्वयं बहुत सख्ती से देख रहे हैं।

ऑनलाइन डिजिटाइजेशन: एक नया मोड़

पिछले SIR में फॉर्म भरने के लिए आपको बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) के घर आने का इंतजार करना पड़ता था। इस बार बदलाव आया है। भारत निर्वाचन आयोग ने एक डिजिटल प्लेटफॉर्म — voters.eci.gov.in — शुरू किया है। यहां मतदाता अपना EPIC नंबर, फोटो और ई-साइन अपलोड कर सकते हैं। 15 नवंबर तक 24.13 करोड़ फॉर्म ऑनलाइन भरे जा चुके हैं — यानी डिजिटाइजेशन दर 47.35% है। यह एक बड़ी उपलब्धि है। खासकर तब जब आप सोचें कि ये आंकड़े केवल 11 दिनों में बन गए हैं। लोग अब अपने फोन से ही अपने नाम की सत्यता की पुष्टि कर रहे हैं।

कौन-से दस्तावेज़ स्वीकार्य हैं?

यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि आधार कार्ड अब केवल पहचान के लिए ही मान्य है, नागरिकता के प्रमाण के रूप में नहीं। नागरिकता साबित करने के लिए आपको ये दस्तावेज़ चाहिए: OBC/SC/ST प्रमाणपत्र, NRC में दर्ज विवरण, राज्य या स्थानीय अधिकारी द्वारा तैयार परिवार रजिस्टर, भूमि या मकान आवंटन का प्रमाणपत्र, या 1 जुलाई 2025 तक की बिहार SIR सूची का हिस्सा। ये दस्तावेज़ बहुत स्पष्ट हैं — लेकिन कई ग्रामीण इलाकों में इन्हें पाना मुश्किल है। इसलिए निर्वाचन आयोग ने बूथ लेवल ऑफिसर्स को घर-घर भेजा है। वे न सिर्फ फॉर्म देते हैं, बल्कि दस्तावेज़ जुटाने में भी मदद करते हैं।

अगर आपको फॉर्म नहीं मिला?

अगर आपके घर तक BLO पहुंचा ही नहीं, तो आप चिंता न करें। आप भारत निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर जाकर अपने बूथ का नाम और बूथ लेवल ऑफिसर का नंबर ढूंढ सकते हैं। फिर उनसे अपॉइंटमेंट ले सकते हैं। यह एक बहुत बड़ा बदलाव है — अब मतदाता सिर्फ प्रतीक्षा नहीं कर रहा, बल्कि सक्रिय रूप से भाग ले रहा है। इससे लोगों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ रही है।

महाराष्ट्र और असम क्यों बाहर हैं?

यहां एक अजीब बात है: महाराष्ट्र इस प्रक्रिया से बाहर है। कारण? सर्वोच्च न्यायालय का आदेश कि 31 जनवरी 2026 तक राज्य में स्थानीय चुनाव होने चाहिए। अगर वहां SIR चलाया गया, तो वोटर लिस्ट बदल जाएगी और चुनाव अव्यवस्थित हो सकते हैं। इसी तरह, असम भी इस चक्र से बाहर है। क्योंकि वहां नागरिकता जांच की प्रक्रिया अभी भी सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में चल रही है। असम के लिए अलग से एक अलग आदेश जारी किया जाएगा। यह बात बताती है कि भारत के चुनाव प्रणाली में क्षेत्रीय विशेषताओं का ध्यान रखा जा रहा है — एक समान नहीं, बल्कि समान नियमों के साथ लचीला दृष्टिकोण।

अंतिम सूची कब आएगी?

1 जनवरी 2026 को अर्हक तिथि तय है — यानी इस दिन तक आपको अपने नाम की सूची में शामिल होने का अवसर मिलेगा। दावों और आपत्तियों की सुनवाई 31 जनवरी तक पूरी होगी। और फिर — 7 फरवरी 2026 को — अंतिम मतदाता सूची जारी होगी। ये तारीखें बहुत स्पष्ट हैं। कोई भी राज्य या जिला इसे बदल नहीं सकता। इस बार का अंतर यह है कि सूची डिजिटल होगी, ट्रेसेबल होगी, और लोगों के लिए एक्सेस करने में आसान होगी।

यह प्रक्रिया क्यों मायने रखती है?

2019 के चुनाव में 91 करोड़ मतदाताओं की सूची थी। उसमें करीब 1.7 करोड़ नाम गलत या डुप्लीकेट थे। इस बार निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया है: अब गलतियां सहन नहीं की जाएंगी। यह सिर्फ एक अपडेट नहीं, बल्कि एक नए युग की शुरुआत है — जहां प्रत्येक वोट की वैधता पर नज़र रखी जाएगी। यह बदलाव छोटे शहरों और गांवों में भी महसूस हो रहा है। अब लोग अपने नाम के लिए लड़ रहे हैं। यह लोकतंत्र की असली ताकत है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

SIR 2.0 क्या है और यह किस तरह से मतदाताओं को फायदा पहुंचाता है?

SIR 2.0 भारत निर्वाचन आयोग की एक गहन मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान है, जिसका उद्देश्य अपात्र मतदाताओं को हटाना और पात्र मतदाताओं को शामिल करना है। इससे वोटिंग में वैधता बढ़ती है, और नागरिकों को अपने अधिकारों का पूरा फायदा मिलता है। अगर आपका नाम सूची में नहीं है, तो आप वोट नहीं लगा सकते — यही वजह है कि यह अभियान इतना महत्वपूर्ण है।

क्या आधार कार्ड से मतदाता पात्रता साबित की जा सकती है?

नहीं। आधार कार्ड केवल पहचान प्रमाण के रूप में स्वीकार्य है, नागरिकता के प्रमाण के रूप में नहीं। नागरिकता साबित करने के लिए आपको NRC डिटेल्स, परिवार रजिस्टर, भूमि आवंटन प्रमाण या अन्य सरकारी दस्तावेज़ चाहिए। यह नियम विवादों को कम करने के लिए बनाया गया है।

अगर मैंने ऑनलाइन फॉर्म भर दिया, तो क्या मुझे BLO से मिलने की जरूरत है?

नहीं, अगर आपने voters.eci.gov.in पर अपना फॉर्म भर दिया है, तो BLO को आपके घर आने की जरूरत नहीं है। आपका डिजिटल फॉर्म सीधे सिस्टम में अपलोड हो जाता है। लेकिन अगर आपको डाउट है कि आपका फॉर्म सही तरह से भरा गया है, तो आप BLO से संपर्क कर सकते हैं — वे आपकी मदद करने के लिए तैयार हैं।

क्यों महाराष्ट्र इस प्रक्रिया में शामिल नहीं है?

सर्वोच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र में 31 जनवरी 2026 तक स्थानीय चुनाव करने का आदेश दिया है। अगर SIR 2.0 चलाया जाता, तो मतदाता सूची बदल जाती और चुनाव अव्यवस्थित हो सकते थे। इसलिए राज्य को इस चक्र से बाहर रखा गया है — न कि नजरअंदाज करके, बल्कि विधिवत निर्णय से।

SIR 2.0 के बाद क्या होगा?

7 फरवरी 2026 को अंतिम सूची जारी होगी। इसके बाद अगले चुनावों के लिए इसी सूची का उपयोग होगा। इस बार का अनुभव भविष्य में अन्य राज्यों के लिए मॉडल बनेगा। यह एक बड़ा निर्वाचन सुधार है — जिसका लाभ आने वाली पीढ़ियों को मिलेगा।

क्या यह प्रक्रिया नागरिकता कानून से जुड़ी है?

सीधे तौर पर नहीं। SIR 2.0 एक वोटिंग सूची अपडेट प्रक्रिया है, न कि नागरिकता कानून का हिस्सा। हालांकि, इसमें नागरिकता साबित करने के दस्तावेज़ मांगे जाते हैं, जिससे कुछ लोगों को यह डर हो सकता है। लेकिन निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया है कि यह सिर्फ वोटिंग अधिकार के लिए है — नागरिकता की जांच अलग प्रक्रिया है।

टिप्पणि

Vasudha Kamra

Vasudha Kamra

26 नवंबर / 2025

ये SIR 2.0 वाली पहल बहुत अच्छी है। गांवों में बीएलओ के घर जाने की जगह अब फोन से फॉर्म भर पाना एक बड़ी जीत है। मेरी नानी ने भी ऑनलाइन अपना नाम डाल दिया, और उन्हें लगा जैसे वो एक नया टेक्नोलॉजी वाला एप यूज कर रही हैं। ये छोटी-छोटी बदलाव ही लोकतंत्र को मजबूत करते हैं।

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