29 जुलाई, 2024
17 सितंबर, 2024
तमिलनाडु का कल्लकुरिची जिला हर्षित शराब त्रासदी से जूझ रहा है, जिसमें अब तक 47 लोगों की जान चली गई है और 165 लोगों को विभिन्न सरकारी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। पीड़ितों को कल्लकुरिची, जेआईपीएमईआर, सलेम और मुंडियाम्बक्कम के सरकारी अस्पतालों में भर्ती किया गया है। मामला बेहद गंभीर है और स्थानीय प्रशासन के साथ-साथ राज्य सरकार भी इस पर पैनी नजर रखे हुए है।
राज्य सरकार ने घटना के बाद त्वरित कदम उठाते हुए कल्लकुरिची जिला कलेक्टर श्रीवनकुमार जाटावट को हटा कर एमएस प्रशांत को नया जिला कलेक्टर नियुक्त किया है। इसके साथ ही जिला में अवैध शराब की बिक्री रोकने के लिए विशेष टीमों का गठन किया गया है। मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के अपील के बाद तमिलनाडु विधानसभा में भी इस मुद्दे पर जोरदार हंगामा हुआ। AIADMK के सदस्यों ने प्रश्न काल के दौरान यह मुद्दा उठाने की कोशिश की, लेकिन उन्हें अस्थायी रूप से बाहर कर दिया गया था।
इस त्रासदी के बाद तमिलनाडु के भाजपा प्रमुख के. अन्नामलाई ने इस मामले में CBI जांच की मांग की है। राज्य सरकार ने मृतकों के परिवारों को ₹10 लाख और उपचाराधीन लोगों को ₹50,000 की सहायता राशि देने की घोषणा की है। इसके अलावा, राज्य सरकार ने अपराध शाखा (CB-CID) से भी इस मामले की जांच करने को कहा है।
न्यायमूर्ति गोकुलदास को इस घटना की जांच के लिए एकल सदस्यीय आयोग के रूप में नियुक्त किया गया है, जिन्होंने कल्लकुरिची सरकारी अस्पताल में पीड़ितों से मुलाकात की। इस पूरी घटना के बाद कई सवाल उठ रहे हैं, जिनके जवाब भविष्य में मिलने की संभावना है।
तीन आरोपी - गोविंदराज, दामोदरन और विजय - को गिरफ्तार कर 15 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। ये आरोपित अवैध शराब की आपूर्ति और बिक्री में शामिल थे। पुलिस द्वारा की गई तेजी से कार्रवाई के बावजूद, क्षेत्र में लोगों के बीच इस घटना का डर और शोक व्याप्त है।
इस घटना ने राज्य की स्वास्थ्य और सुरक्षा व्यवस्थाओं पर भी सवालिया निशान लगा दिया है। स्थानीय प्रशासन और सरकार को भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए मजबूत कदम उठाने की आवश्यकता है।
घटना के बाद, कम से कम 30 लोगों की हालत अब भी गंभीर बनी हुई है, जबकि तीन लोग रिकवर कर चुके हैं और 118 लोग अभी भी उपचाराधीन हैं। इस त्रासदी ने लोगों के जीवन को झकझोर कर रख दिया है और राज्य में खुदरा शराब बिक्री की प्रथाओं पर सवाल उठाए हैं।
कल्लकुरिची शराब त्रासदी से यह साफ़ हो गया है कि अवैध शराब की बिक्री और इसका उपयोग करने से किस प्रकार के गंभीर परिणाम हो सकते हैं। राज्य सरकार को जल्दी से जल्दी इस मामले में स्थायी समाधान निकालने की दिशा में काम करना होगा ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा ना हो।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि इस प्रकार की त्रासदी कैसे और क्यों होती हैं? ऐसा क्यों होता है कि पुलिस और अन्य संबंधित एजेंसियां इसको रोकने में असफल रहती हैं? क्या इस मामले में कोई बड़ी साजिश है या फिर यह प्रशासन की लापरवाही का नतीजा है? इन्हीं सवालों के बीच राज्य में पुलिस व्रेस्टेशन की प्रक्रिया तेज कर दी गई है।
भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए सरकार को निगरानी तंत्र को और भी ज्यादा मजबूत करना होगा और समाज में जागरुकता फैलाई जानी चाहिए। इस मामले ने यह दिखा दिया है कि अवैध शराब बिक्री पर रोक लगाने के लिए प्रबल कदमों की कितनी जरूरत है।
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