दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल पर हमले के मामले में केजरीवाल पर पक्षपात का आरोप

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दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल पर हमले के मामले में केजरीवाल पर पक्षपात का आरोप

राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने अपनी राय व्यक्त की है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने स्वाति मालीवाल हमले के मामले में पक्ष लिया है, जिसमें उन्होंने आम आदमी पार्टी (AAP) की राज्यसभा सदस्य मालीवाल पर हमला करने के आरोपी अपने निजी सचिव बिभाव कुमार का समर्थन करने का विकल्प चुना है।

शर्मा ने कहा कि केजरीवाल ने अपनी निष्ठा चुन ली है और ऐसा लगता है कि उन्हें जनता की राय की परवाह नहीं है। AAP के राष्ट्रीय संयोजक की जनता की धारणा के प्रति उदासीनता पर प्रकाश डाला गया, जैसा कि शर्मा ने कहा कि ऐसा लगता है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री इस बात की चिंता नहीं करते हैं कि दूसरे उनके बारे में क्या सोचते हैं।

NCW ने पुलिस से एक्शन टेकन रिपोर्ट (ATR) मांगी है और बिभाव कुमार के खिलाफ FIR दर्ज की गई है। बिभाव को NCW द्वारा समन किया गया था लेकिन उन्होंने नोटिस का जवाब नहीं दिया, जबकि मालीवाल ने चिकित्सा परीक्षण कराया।

दिल्ली पुलिस ने स्वाति मालीवाल के बयान के आधार पर बिभाव कुमार के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की, जिसमें आरोप लगाया गया कि मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास पर घटना के दौरान उन्होंने उनकी मर्यादा भंग की, उन्हें थप्पड़ मारा, लात मारी और धमकी दी।

शर्मा ने आरोप लगाया कि केजरीवाल का यह कदम उनकी राजनीतिक प्राथमिकताओं को दर्शाता है। उन्होंने कहा, "मुख्यमंत्री ने अपनी पसंद साफ कर दी है। उन्हें एक महिला के साथ हुई घटना और उसके साथ न्याय की कोई परवाह नहीं है। वह सिर्फ अपने राजनीतिक हितों की रक्षा करना चाहते हैं।"

NCW प्रमुख ने यह भी कहा कि केजरीवाल को इस मामले में अधिक संवेदनशील होना चाहिए था और पीड़ित महिला के प्रति सहानुभूति दिखानी चाहिए थी। "एक जिम्मेदार नेता होने के नाते, उन्हें तटस्थ रहना चाहिए था और जांच पूरी होने तक किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचना चाहिए था। लेकिन उन्होंने पहले ही अपना पक्ष चुन लिया है," उन्होंने कहा।

इस बीच, AAP ने NCW प्रमुख के आरोपों को खारिज कर दिया है। पार्टी ने कहा कि केजरीवाल ने इस मामले में कोई पक्ष नहीं लिया है और वह कानून के अनुसार उचित कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

AAP के एक प्रवक्ता ने कहा, "रेखा शर्मा को इस मामले को राजनीतिक रंग देने से बचना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कभी भी बिभाव कुमार का बचाव नहीं किया है। वह सिर्फ यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि जांच निष्पक्ष रूप से की जाए और दोषियों को सजा मिले।"

प्रवक्ता ने यह भी कहा कि AAP एक ऐसी पार्टी है जो महिलाओं के अधिकारों और सुरक्षा के लिए लड़ती है। "हम इस तरह की किसी भी घटना के खिलाफ जीरो टॉलरेंस रखते हैं और हम चाहते हैं कि दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले।"

हालांकि, विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर केजरीवाल पर हमला बोला है और उन पर पक्षपात का आरोप लगाया है। भाजपा और कांग्रेस ने कहा है कि केजरीवाल को अपने निजी सचिव को बचाने की कोशिश करने के बजाय पीड़ित के प्रति संवेदनशील होना चाहिए था।

एक भाजपा नेता ने कहा, "यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि दिल्ली का मुख्यमंत्री एक महिला के साथ अन्याय के मुद्दे पर चुप है। उन्हें इस घटना की निंदा करनी चाहिए थी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन देना चाहिए था। लेकिन वह अपने करीबी सहयोगी को बचाने में व्यस्त हैं।"

कांग्रेस ने भी केजरीवाल पर निशाना साधा और कहा कि यह घटना AAP सरकार के दोहरे मापदंडों को दर्शाती है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, "केजरीवाल जी को समझना होगा कि वह एक जिम्मेदार पद पर हैं। उन्हें अपने दोस्तों और सहयोगियों को बचाने की कोशिश करने के बजाय कानून के शासन का पालन करना चाहिए।"

AAP सरकार और विपक्षी दलों के बीच इस मुद्दे पर जुबानी जंग जारी है। जबकि केजरीवाल पर पक्षपात का आरोप लगाया जा रहा है, उनकी पार्टी ने इन दावों को खारिज कर दिया है। इस बीच, स्वाति मालीवाल के साथ हुई घटना की जांच जारी है और कई लोग इस मामले में त्वरित और निष्पक्ष कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या दिल्ली सरकार इस मामले में पारदर्शी तरीके से कार्रवाई करती है या फिर विपक्ष के आरोपों के बीच इसे रफा-दफा करने की कोशिश करती है। इस घटना ने एक बार फिर राजनीति में महिलाओं की सुरक्षा और उनके अधिकारों के मुद्दे को उठाया है।

निष्कर्ष में, स्वाति मालीवाल पर कथित हमले की घटना ने दिल्ली की राजनीति में एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। जबकि NCW प्रमुख ने मुख्यमंत्री पर पक्षपात का आरोप लगाया है, AAP ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है। अब यह देखना होगा कि इस मामले में आगे क्या कार्रवाई होती है और क्या दोषियों को सजा मिलती है। साथ ही, यह घटना महिलाओं के खिलाफ अपराधों और राजनीति में उनकी सुरक्षा के मुद्दे पर भी प्रकाश डालती है।

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