3 नवंबर, 2024
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 22 अक्टूबर 2024 को कज़ान, रूस में आयोजित 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए बीजिंग से प्रस्थान किया है। इस यात्रा का उद्देश्य ब्रिक्स देशों के बीच सहयोग को और गहरा करने की योजना है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के आमंत्रण पर शी जिनपिंग इस शिखर सम्मेलन में भाग ले रहे हैं, जो ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के साथ-साथ पांच नए सदस्यों की भागीदारी का भी गवाह बन रहा है।
इस बार के शिखर सम्मेलन में ब्रिक्स समूह में पांच नए सदस्य देशों का स्वागत किया जा रहा है। इजिप्ट, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब और यूएई अब नए सदस्य बन गए हैं, जिससे समूह की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो गई है। इन नए सदस्यों का स्वागत ब्रिक्स के वैश्विक दक्षिण को अधिक प्रभावशाली बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
यह देखा जा रहा है कि कैसे ये नए देश वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक परिदृश्य में अपनी भूमिका निभाएंगे। यह नई व्यवस्था वैश्विक दक्षिण के लिए एक नई दिशा तय कर सकती है, जो दशकों से विकसित देशों के साथ संघर्ष करती आई है। शी जिनपिंग वैश्विक दक्षिण के साझीदारों के साथ सहयोग बढ़ाने की पहल कर रहे हैं।
इस शिखर सम्मेलन में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शी जिनपिंग की मुलाकात भी संभावित है। हाल ही में पूर्वी लद्दाख में चार साल से चले आ रहे विवाद का समाधान घटनाक्रम को मोड़ सकता है। इन दोनों देशों के बीच विगत में कई विवादित मुद्दे रहे हैं, जिससे द्विपक्षीय संबंध प्रभावित हुए हैं। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ली जियान ने कहा है कि शी और मोदी की मुलाकात की संभावना है, "हम आपको सूचित करेंगे अगर कुछ सामने आता है।"
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में इस बार अधिक ध्यान नए सदस्यों के समावेश पर होगा। इसमें चीन की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह आर्थिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से एक शक्तिशाली देश है। शी जिनपिंग की इस यात्रा का मकसद केवल भारत और चीन के बीच संबंध सुधारना नहीं है, बल्कि ब्रिक्स के सभी सदस्य देशों के साथ संबंधों को मजबूती देना भी है।
भविष्य में श्रीलंका और पाकिस्तान जैसे कई और देश इस समूह में शामिल होने की इच्छा जता चुके हैं, जिससे समूह की वैश्विक उपस्थिति और बढ़ जाएगी। सदस्य देशों के बीच आर्थिक और सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ावा देकर, ब्रिक्स ने अपनी दृष्टि को स्पष्ट कर दिया है कि वे विकसित देशों के वर्चस्व को चुनौती देने के लिए तैयार हैं।
शी जिनपिंग के साथ उनकी मिशनरी टोली में कई प्रमुख लोग शामिल हैं। जैसे कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय समिति के स्थायी समिति के सदस्य और सामान्य कार्यालय के निदेशक, कैइ ची, और चीनी विदेश मंत्री वांग यी। ये लोग चीन की विदेश नीति और ब्रिक्स के साथ संबंधों के प्रबंधन में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
शी जिनपिंग की इस यात्रा का उद्देश्य केवल ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेना नहीं है, बल्कि यहां पर विभिन्न द्विपक्षीय और बहुपक्षीय चर्चाओं का आयोजन भी देखना है। उनका फोकस बड़े पैमाने पर संपर्क और सहयोग को बढ़ावा देना है, जो लंबे समय से चीनी नेतृत्व की प्राथमिकता रही है।
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