सलमान खान‑महेश नारायणन की नई पीरियड थ्रिलर: बॉलीवुड‑मलयालम का मुक़ाबला

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सलमान खान‑महेश नारायणन की नई पीरियड थ्रिलर: बॉलीवुड‑मलयालम का मुक़ाबला

जब सलमान खान ने मलयालम फिल्मनिर्देशक महेश नारायणन के साथ एक पीरियड एक्शन‑थ्रिलर पर हाथ मिलाया, तो इंडस्ट्री में हलचल मच गई। दोनों सितारे अगस्त 2025 तक पाँच बैठकें तय कर चुके हैं, इनमें से आखिरी मुलाक़ात मुंबई में जुलाई के आख़िरी हफ़्ते में हुई। रिपोर्ट्स के अनुसार, अगर सलमान खान को पूरा लम्बा स्क्रिप्ट पसंद आता है, तो 2026 में शूटिंग शुरू हो सकती है। यह प्रोजेक्ट सिर्फ एक नई फिल्म नहीं, बल्कि बॉलीवुड‑मलयालम के बीच का एक क्रॉस‑ओवर भी है।

परिचय: क्यों इस कॉब्रॉ को खास माना जा रहा है?

सलमान खान का करियर लगभग दो दशकों से ‘बॉक्स‑ऑफ़िस‑जादूगर’ के खिताब से चलता आया है। वहीं महेश नारायणन ने ‘टेक ऑफ’ (2017) और ‘मालिक’ (2021) जैसे गहन सामाजिक‑परिदृश्य वाली फ़िल्में बनाई, जिनमें फहाद फसिल़ ने मुख्य भूमिका निभाई। इन दोनों की मिलनसारिता क्लाइमैक्स तक पहुँची, जब दोनों ने ‘1970‑1990 के दौरान सेट एक पेरियड थ्रिलर’ की चर्चा की। यह समय‑सीमा सिर्फ नॉस्टैल्जिया नहीं, बल्कि उन सालों के राजनीतिक‑सामाजिक बदलावों को भी उजागर करने की संभावना रखती है।

विकास की कहानी: मीटिंग्स और शुरुआती चरण

पहली बार चर्चा अगस्त 2024 में शुरू हुई, लेकिन वास्तविक रूप‑रेखा जुलाई 2025 में मिल गई। एक स्रोत ने पिंकविला को बताया कि सलमान ने कई स्क्रिप्ट विकल्प देखे, लेकिन महेश की कहानी‑रचना ने उसे आकर्षित किया। उन्होंने कहा, “सलमान ने महेश को पूरा लम्बा नैरेशन देने को कहा, ताकि वह अपना एक अलग चेहरा दिखा सके।” कुल चार‑पाँच मुलाक़ातें तय हो चुकी हैं, जिसमें मुंबई के कुछ प्री‑प्रोडक्शन हाउस भी शामिल रहे।

सलमान के मौजूदा प्रोजेक्ट्स की पृष्ठभूमि

इस नई फिल्म की घोषणा से पहले, सलमान ने अपूरva लाखिया के साथ ‘गालवान’ पर काम करने का वादा किया है। यह फ़िल्म लद्दाख के गलवान घाटी टकराव की अनकही कहानी पर आधारित होगी, और अभिनेता अक्टूबर 2025 में एक महीने के लिए लद्दाख की शूटिंग करेगा। साथ ही, वह कबीर खान के साथ एक स्टाइलिश एक्शनर और 2015 की हिट ‘बजरंगी भाईजान’ की सीक्वेल पर भी बातचीत कर रहा है।

‘सिकंदर’ की विफलता और बदलाव की प्रेरणा

2024 में रिलीज़ हुई ‘सिकंदर’, जिसका निर्देशन ए.आर. मुर्गड़ोस ने किया था और जिसमें रश्मिका मंदाना ने प्रमुख भूमिका निभाई, बॉक्स‑ऑफ़िस पर ‘फ्लॉप’ बनी। दर्शकों ने इसे कमजोर कहानी और असमंजस स्क्रीनप्ले के कारण नकारा। इस नकारात्मक प्रतिक्रिया ने सलमान को अधिक सारगर्भित प्रोजेक्ट्स की खोज करने के लिए प्रेरित किया, जिससे महेश नारायणन जैसी कंटेंट‑ड्रिवेन फ़िल्ममेकर के साथ सहयोग की इच्छा जन्म ली।

क्रॉस‑रिजनल फ़िल्ममेकिंग के नए क्षितिज

यदि इस प्रोजेक्ट को आधिकारिक रूप मिलता है, तो यह सलमान के करियर में ‘पहली मलयालम निर्देशक’ के रूप में दर्ज होगा। उद्योग विशेषज्ञ मानते हैं कि यह कदम न सिर्फ सलमान को पैन‑इंडिया दर्शकों के करीब लाएगा, बल्कि दोनो इंडस्ट्रीज़ के टैलेंट एक्सचेंज को भी तेज करेगा। ‘पेरियड थ्रिलर’ का ट्रेंड भी हाल के वर्षों में बढ़ रहा है – ‘दादावाला’ और ‘बजट’ जैसी फ़िल्में इस फ़ॉर्मेट की सफलता का प्रमाण हैं।

भविष्य की संभावनाएँ और आगे की राह

महेश के अनुसार, लम्बी स्क्रिप्ट अभी एडिटिंग के चरण में है, और अगले महीने में अंतिम फ़ाइनल फॉर्मेट तैयार होगा। अगर सलमान उसकी स्वीकृति देता है, तो फिल्म का प्री‑प्रोडक्शन 2025 के अंत तक समाप्त हो जाएगा, और 2026 की शुरुआती शूटिंग शेड्यूल तय होगी। यह तात्कालिकता दर्शाती है कि दोनों पक्ष इस प्रोजेक्ट को अपनी आगामी फ़िल्मों के बीच प्राथमिकता दे रहे हैं।

क्यों यह खबर आपके लिए महत्वपूर्ण है?

  • सलमान की छवि में नया मोड़ – व्यापारी से कलाकार तक का परिप्रेक्ष्य।
  • मलयालम सिनेमा का बॉलीवुड में प्रवेश – संभावित सहयोगी प्रोजेक्ट्स की वृद्धि।
  • पीरियड थ्रिलर की लोकप्रियता – दर्शकों की नई अपेक्षाएँ।
  • फ़िल्म इंडस्ट्री में क्रॉस‑ओवर मॉडल के तौर‑तरीके।

Frequently Asked Questions

सलमान खान के इस प्रोजेक्ट से उनके फैंस को क्या उम्मीद करनी चाहिए?

फैंस को सलमान का नया रूप देखने को मिलेगा – शानदार एक्शन के साथ साथ 1970‑1990 के सामाजिक‑राजनीतिक पृष्ठभूमि पर आधारित गहरी कहानी भी दिखेगी। यह सामान्य बॉक्स‑ऑफ़िस फ़ॉर्मूला से थोड़ा हट कर, अधिक कंटेंट‑ड्रिवेन फ़िल्म होगा।

महेश नारायणन इस फिल्म में किस तरह की दिशा ले सकते हैं?

महेश अपने वास्तविकता‑आधारित कथा‑निर्माण के लिए जाने जाते हैं। इसलिए उम्मीद है कि वह इतिहास में छिपे हुए संघर्षों को व्यक्तिगत स्तर पर टेढ़े‑मेढ़े कॉन्फ्लिक्ट में बदल देंगे, जिससे फिल्म सिर्फ एक्शन नहीं, बल्कि भावनात्मक स्ट्रेचल भी होगी।

क्या यह सहयोग पैन‑इंडिया परियोजनाओं के लिए नया रुझान स्थापित करेगा?

हां, अगर इस फ़िल्म को सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया, तो यह दोनो इण्डस्ट्रीज़ के बीच सहयोग को तेज़ी से बढ़ावा देगा। इससे न केवल कलाकारों को नई भाषा‑और‑संस्कृति के साथ काम करने का मौका मिलेगा, बल्कि वितरकों को भी एक विस्तृत बाजार मिलेगा।

फिल्म के लिए शूटिंग लोकेशन कहाँ-कहाँ तय हो सकते हैं?

पहले संकेतों के अनुसार, कहानी 1970‑1990 के भारत के विभिन्न हिस्सों में बसी है, इसलिए संभवतः मध्यप्रदेश, गुजरात और कुछ उत्तर भारतीय राज्यों में शूटरिंग होगी। परियोजना की अवधारणा के लिए लद्दाख के ‘गालवान’ जैसा साहसिक लोकेशन भी इस्तेमाल हो सकता है।

सलमान खान की आगामी फिल्म ‘गालवान’ इस प्रोजेक्ट को कैसे प्रभावित करेगी?

‘गालवान’ की शूटिंग अक्टूबर‑नवंबर 2025 में तय है, इसलिए इस प्रोजेक्ट के निर्माण की टाइमलाइन उसके बाद ही शुरू होगी। ऐसा लगता है कि सलमान दोनों फ़िल्मों को एक साथ संतुलित करने के लिए बारीकी से कार्य योजना बना रहे हैं, जिससे दोनों फ़िल्में अलग‑अलग दर्शकों को आकर्षित करेंगी।

टिप्पणि

Subhashree Das

Subhashree Das

3 अक्तूबर / 2025

सलमान और महेश की इस कोशिश ने मेरे दिल को झकझोर दिया है, लेकिन साथ ही कुछ सवाल भी उठते हैं। इस तरह की पीरियड थ्रिलर में अगर कहानी में गहराई नहीं, तो सिर्फ सौंदर्य ही रह जाता है। उनके पिछले प्रोजेक्ट्स ने कभी‑कभी दर्शकों को निराश किया है, इसलिए यह नई पहल को कड़ी नज़र से देखना चाहिए। मुझे आशा है कि स्क्रिप्ट में सामाजिक पहलू वास्तव में उकेरे जाएंगे। नहीं तो यह सिर्फ स्टार पावर का शो होगा।

jitendra vishwakarma

jitendra vishwakarma

3 अक्तूबर / 2025

maine dekha ki meeting ke duration thoda lamba tha aur report me kahi likha gya ki sab kuch thik‑thak hai lekin asal me kuch contradictions hai. aur ab uski script me kuch missmatch lag raha h. lag raha h ki director ko bhi kahi confusion ho rha h.
shayad aagey jaake sab clear ho jaye.

Ira Indeikina

Ira Indeikina

3 अक्तूबर / 2025

इतिहास का पन्ना सिर्फ़ काग़ज़ नहीं, बल्कि आत्मा की गूँज है, और इस फिल्म में वही गूँज सुनाई देनी चाहिए। यदि सलमान का अभिनय सिर्फ़ शक्ति दर्शाता है, तो महेश को अपनी दार्शनिक दृष्टि से गहराई लानी पड़ेगी। हमारी पीढ़ी को ऐसी कथा चाहिए जहाँ अतीत की जड़ें वर्तमान की ज्वालाओं से जुड़ें। नहीं तो यह प्रोजेक्ट एक और शो‑बिज़नेस बनेगा, जो केवल कमाई के लिये ही बना है। इसलिए मैं दृढ़ता से कहता हूँ कि कहानी को पहचान की लकीर पर रखो, नहीं तो दर्शक जलते रहेँगे। वैचारिक तौर पर, मुझे लगता है कि यह प्रयास समाज के कई अनकहे दर्द को उजागर कर सकता है, अगर सही दिशा में चलाया जाये।

Shashikiran R

Shashikiran R

3 अक्तूबर / 2025

समझना आसान नहीं है पर ये लोग सिर्फ़ अपने अहंकार को नयी फिल्म में दिखा रहे हैं। सरकारी नीतियों को भूल कर खुद की ही महिमा का पीछा कर रहे ह। अगर ये प्रोजेक्ट असली मुद्दे पर नहीं आया, तो हम सबको हँसते हुए देखना पड़ेगा। ऐसा कंटेंट कभी‑कभी अभद्र होता है, और हमें इसकी आलोचना करनी चाहिए।

SURAJ ASHISH

SURAJ ASHISH

3 अक्तूबर / 2025

एक और स्टार की फैंस बनाय रखी है यह। बड़े बजट में कोई नई बात नहीं। इस प्रोजेक्ट से कुछ नया नहीं दिखता।

PARVINDER DHILLON

PARVINDER DHILLON

3 अक्तूबर / 2025

तुम्हारी बात में कुछ सच्चाई है, पर साथ ही सहयोग की संभावना भी देखनी चाहिए 😊
अगर दो इंडस्ट्री के कलाकार एक-दूसरे को समझें, तो दर्शकों को भी बेहतर सामग्री मिल सकती है।

Amrinder Kahlon

Amrinder Kahlon

3 अक्तूबर / 2025

मुझे लगता है यह सगाई बोरिंग होगी।

Abhay patil

Abhay patil

3 अक्तूबर / 2025

सलमान की बॉक्स‑ऑफिस शक्ति और महेश की कथा‑गहराई मिलकर एक अनोखा मिश्रण बना सकते हैं इसको सही दिशा में ले जाएँ तो दोनों को फायदा होगा

Nathan Ryu

Nathan Ryu

3 अक्तूबर / 2025

जब हम इंडस्ट्री के बड़े नामों की साझेदारी देखते हैं तो आमतौर पर दो बातें दिमाग में आती हैं: एक, क्या कहानी में वाकई नवाचार है और दो, क्या यह सिर्फ़ मार्केटिंग का टूल नहीं बन जाएगा। आपकी पोस्ट ने इस पक्ष को अच्छी तरह से उठाया है, फिर भी मैं देखना चाहूँगा कि प्रोडक्शन डिजाइन और संगीत कैसे इस पीरियड सेटिंग को जीवंत बनाते हैं। अगर सही कलाकार और सही समय‑सीमा मिल जाए, तो इस प्रोजेक्ट में सफलता की संभावना बहुत है। लेकिन यदि इसे सिर्फ़ स्टार‑पावर में बदल दिया गया, तो दर्शकों की उम्मीदें जलनी शुरू हो सकती हैं।

Atul Zalavadiya

Atul Zalavadiya

3 अक्तूबर / 2025

प्रस्तावित सहयोग का स्वरूप न केवल आर्थिक बल्कि सौंदर्यात्मक अभिप्रायों से परिपूर्ण होता प्रतीत होता है, जिससे समकालीन बॉलीवुड और मलयालम सिनेमा के बीच एक नवीनीकृत संवाद स्थापित हो सकता है। ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के रूप में 1970‑1990 के दशकों को चुनना, जब भारत में सामाजिक-राजनीतिक उथल‑पेटल स्पष्ट रूप से अभिव्यक्त होते थे, एक सराहनीय साहित्यिक चयन है। सलमान खान, जिनकी द्रव्यपरक सफलता के प्रमाण कई दशकों से अद्वितीय हैं, जब एक गंभीर कथाकार के साथ मिलते हैं, तो यह उनके अभिनीत पात्रों में एक नई परत जोड़ सकता है। महेश नारायणन, जिनकी कार्यशैली वास्तविकता की गहरी जाँच पर आधारित रहती है, इस प्रकार की परियोजना में अपने सूक्ष्म दृष्टिकोण को प्रसारित करने का उपयुक्त मंच पाएँगे। यदि स्क्रिप्ट में सामाजिक समस्याओं को न केवल पृष्ठभूमि के रूप में उपयोग किया जाता है, बल्कि उनका समाधान भी प्रस्तुत किया जाता है, तो यह फिल्म शैक्षणिक महत्व भी अर्जित कर सकती है। इस दायरे में, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और डेटा‑विचारित विश्लेषणात्मक विधियों का उपयोग करके, कथा‑विकास को अधिक व्यवस्थित रूप से सुदृढ़ किया जा सकता है। इसके अलावा, संगीत के स्वरूप में पारम्परिक और समकालीन ध्वनियों का संयोजन, दर्शकों को समवेदी बनाते हुए दृश्यात्मक आनंद प्रदान करेगा। लद्दाख की भौगोलिक विविधता को पृष्ठभूमि के रूप में अपनाना, न केवल दृश्यात्मक सजीवता लाएगा, बल्कि भारतीय विविधता के प्रति एक अभिव्यक्तिपूर्ण सम्मान भी दर्शाएगा। उत्पादन टीम को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सेट‑डिज़ाइन में उस युग की वास्तुशिल्प शैली का सूक्ष्म पुनरुत्पादन हो, जिससे दर्शकों में समय‑भ्रम की अनुभूति उत्पन्न हो। आर्थिक पहलू में, इस प्रकार की क्रॉस‑ओवर परियोजना दोस्त्री बाजारों में वितरण के नए मॉडल को प्रोत्साहित कर सकती है, जिससे दोनों इंडस्ट्री की आय में वृद्धि संभव हो सकती है। इस दिशा में, स्ट्रीमिंग प्लेटफ़ॉर्म के सहयोग से बहु‑भाषाई उपशीर्षक और डबिंग विकल्प प्रदान करना, व्यापक दर्शक वर्ग को आकर्षित करने में सहायक सिद्ध होगा। यदि सभी पक्ष इस प्रकार के बौद्धिक सहयोग को गंभीरता से अपनाते हैं, तो यह परियोजना भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक मील का पत्थर बन सकती है। अंततः, यह सफलता न केवल निर्माताओं और अभिनेताओं के लिए, बल्कि भारतीय दर्शकों के लिए भी एक गहन सांस्कृतिक पुनरुज्जीवित अनुभव का स्रोत हो सकती है। इस कारण, मैं दृढ़ता से आशा करता हूँ कि इस प्रोजेक्ट को सम्पूर्ण कलात्मक और तकनीकी समर्थन प्रदान किया जाए। विज़ुअल इफेक्ट्स में नवीनतम तकनीक का उपयोग इस कथा को और भी प्रभावशाली बनाएगा।

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