जेईई-एडवांस्ड रिकॉर्ड तोड़ने की ठान रखी थी: वेद लाहोटी

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जेईई-एडवांस्ड रिकॉर्ड तोड़ने की ठान रखी थी: वेद लाहोटी

आज हम बात कर रहे हैं वेद लाहोटी की, जो जेईई एडवांस्ड 2024 में ऑल-इंडिया रैंक 1 होल्डर बने हैं। वेद का स्कोर 355 में से 360 रहा, जो जेईई एडवांस्ड परीक्षा के इतिहास में अब तक का सबसे अधिक है। वेद ने हाल ही में इंडियन इंस्टीट्यूट्स ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) पर सवाल उठाए हैं, जिसमें उन्होंने दो ऐसे प्रश्नों की बात की है जो उनके अनुसार गलत मार्क किए गए हैं।

वेद के परिवार में उनकी मां जया लाहोटी, पिता योगेश लाहोटी और उनके नाना आरसी सोमानी शामिल हैं। उनके नाना एक सेवानिवृत्त इंजीनियर हैं और वेद की शिक्षा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वेद की मां एक गृहिणी हैं और उनके पिता एक निर्माण प्रबंधक हैं।

वेद की शैक्षणिक यात्रा

वेद ने अपनी शैक्षणिक यात्रा में कई मील के पत्थर हासिल किए हैं। दसवीं कक्षा में उन्होंने 98.6% और बारहवीं कक्षा में 97.6% अंक प्राप्त किए। वेद का दसवीं और बारहवीं में उत्कृष्ट प्रदर्शन उनकी मेहनत और समर्पण का प्रमाण है। इसके अलावा, उन्होंने कई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भी भाग लिया और वहां भी शानदार प्रदर्शन किया।

अंतरराष्ट्रीय उपलब्धियाँ

वेद ने कक्षा 5 और 6 में इंटरनेशनल मैथेमेटिक्स ओलंपियाड (आईएमओ) में अंतरराष्ट्रीय रैंक 2 हासिल की। कक्षा 8 में उन्होंने इंटरनेशनल जूनियर साइंस ओलंपियाड में गोल्ड मेडल जीता। ये उपलब्धियाँ स्पष्ट रूप से दिखाती हैं कि वेद का रुचि और ज्ञान विज्ञान और गणित में कितना गहरा है। वेद का मानना है कि स्मार्ट वर्क और नियमित रूटीन सफलता की कुंजी है।

प्रतिस्पर्धा और कोटा का महत्व

प्रतिस्पर्धा और कोटा का महत्व

वेद ने कोटा में अपनी पढ़ाई की, जहां उन्होंने कठिन प्रतिस्पर्धा का सामना किया। वे कहते हैं कि कोटा की प्रतिस्पर्धा ने उन्हें अपने विषयों को और गहराई से समझने में मदद की। वहां की प्रोडक्टिव चर्चा और संदेहों को स्पष्ट करने के लिए होने वाली बातचीत ने उन्हें नए विचारों को आत्मसात करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

नियमित रूटीन और आराम

वेद का मानना है कि एक नियमित रूटीन और उचित आराम सफलता के लिए आवश्यक हैं। वे नियमित रूप से 8 घंटे की नींद लेते हैं और अपने शौक में समय बिताना महत्वपूर्ण समझते हैं। शतरंज खेलना, क्रिकेट खेलना और पढ़ना उनके शौक हैं।

दृढ़ संकल्प और प्रेरणा

वेद का कहना है कि उन्होंने सात साल पहले ही जेईई-एडवांस्ड का रिकॉर्ड तोड़ने का लक्ष्य निर्धारित कर लिया था। उनके लिए दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत ही सफलता की चाबी है। उन्होंने हमेशा अपने शिक्षकों के निर्देशों का पालन किया और खुद को नई अवधारणाओं के अध्

अभ्यास में लगाया। वेद के अनुसार, "लक्ष्य कठिन हो या आसान, अगर मेहनत और दृढ़ संकल्प से किया जाए तो उसे हासिल किया जा सकता है।"

वेद अपनी मां और नाना को अपनी असली प्रेरणा मानते हैं, जिन्होंने हर पल उनका साथ दिया और उन्हें अपनी पढ़ाई पर फोकस करने के लिए प्रेरित किया। वे कहते हैं कि उनकी मां और नाना ने कभी उन्हें हार मानने का मौका नहीं दिया और हमेशा उनकी हौसला अफजाई की।

आगे की राह

आगे की राह

वेद के अनुसार, जेईई-एडवांस्ड में उनकी सफलता सिर्फ एक शुरुआत है। वे आगे भी नई चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हैं और उनका उद्देश्य केवल एक अच्छी नौकरी पाना नहीं बल्कि अपने ज्ञान और प्रतिभा का उपयोग समाज की भलाई के लिए करना है।

इस प्रकार, वेद लाहोटी की कहानी केवल एक विद्यार्थी की सफलता की कहानी नहीं है बल्कि यह एक प्रेरणा स्रोत है जो दिखाती है कि कैसे एक व्यक्ति के दृढ़ संकल्प और मेहनत से असंभव लगने वाले लक्ष्यों को भी हासिल किया जा सकता है।

टिप्पणि

swapnil chamoli

swapnil chamoli

9 जून / 2024

शिक्षा व्यवस्था के ऊँचे जाल में कुछ कूटनीति छुपी हुई है, और वेद जैसे ग्रैंड्स को ही चुना जाता है। ये सिलेक्टिव प्रक्रिया अक्सर वेधशाला के झरने जैसी लगती है, पर असल में एक जलती हुई मशीन है। मैं मानता हूँ कि यह सारा सिस्टम एक बड़े खेल का हिस्सा है, जहाँ झूठी मार्किंग को छुपाया जाता है। अगर हम इसे खोलें तो पता चल जाएगा कि कई बार वास्तव में स्कोरिंग में चुका-धुचा हुआ है।

manish prajapati

manish prajapati

9 जून / 2024

वेद की कहानी वाकई प्रेरणा की डोज़ है! उनका फोकस और नियमित रूटीन हमें सिखाता है कि सपने को हकीकत में बदलने के लिए हर दिन थोड़ा-थोड़ा मेहनत ज़रूरी है। कोटा की टफ़न का सामना करके उन्होंने दिखा दिया कि कठिनाइयाँ सिर्फ़ एक चरण हैं। ऐसे लोग ही भविष्य के सिविल इंजीनियर्स को नया दिशा‑निशान दे सकते हैं। तो चलिए हम भी अपने लक्ष्य की ओर छोटे‑छोटे कदम बढ़ाते रहें।

Rohit Garg

Rohit Garg

9 जून / 2024

देखो भाई, ऐसा लगता है कि कई लोग ये मानते हैं कि केवल हाई स्कोर ही काबिले‑तारीफ़ है, पर असली बात तो बेहतरीन बुनियादी समझ में है। वेद ने गहराई से गणित को समझा, न कि सिर्फ़ सवालों को हल किया। अगर आप भी सोचते हैं कि शॉर्टकट से काम चलेगा, तो फिर से सोचिए। ज्ञान का सही उपयोग ही असली सफलता की कुंजी है, यही मैंने कई सालों से पढ़ाया है।

Rohit Kumar

Rohit Kumar

9 जून / 2024

वेद की उपलब्धियों को देखते हुए यह स्पष्ट हो जाता है कि निरंतरता और स्पष्ट लक्ष्य सेटिंग सफलता के दो मुख्य तत्व हैं। उन्होंने दसवीं में 98.6% और बारहवीं में 97.6% प्राप्त करके दिखाया कि शुरुआती बेसिक को मजबूत बनाना कितना ज़रूरी है। जब आप अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में रैंक 2 तक पहुँचते हैं, तो यह केवल व्यक्तिगत प्रतिभा नहीं, बल्कि एक संरचित अध्ययन प्रणाली का परिणाम होता है। कोटा जैसे प्रतिस्पर्धी माहौल में उनका अनुभव बताता है कि दबाव में भी संतुलन बनाए रखना आवश्यक है। नियमित 8 घंटे की नींद ने उनके मस्तिष्क को रिफ्रेश किया, जिससे रचनात्मक सोच में वृद्धि हुई। शतरंज और क्रिकेट जैसे शौक उनके दिमाग को विविधता प्रदान करते हैं, जिससे शिक्षा में एकरसता नहीं रहती। वेद ने कहा है कि स्मार्ट वर्क और हार्ड वर्क का सही मिश्रण ही उन्हें इस स्तर तक ले गया। उनका यह मानना कि लक्ष्य चाहे कठिन हो, दृढ़ संकल्प से उसे हासिल किया जा सकता है, युवा पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा है। परिवार के समर्थन, विशेषकर माँ और नाना की प्रोत्साहन, उनके मनोबल को बढ़ाती रही। उन्होंने बताया कि खुली चर्चा और संदेहों को स्पष्ट करने की प्रक्रिया ने उनके विचारों को परिष्कृत किया। इस प्रकार, उनकी कहानी केवल व्यक्तिगत सफलता नहीं, बल्कि एक सामाजिक मॉडल भी प्रस्तुत करती है। आगे के लक्ष्य में वह केवल नौकरी नहीं, बल्कि समाज की भलाई में योगदान देना चाहते हैं, जो एक अत्यंत प्रशंसनीय दृष्टिकोण है। यह दर्शाता है कि उच्च शिक्षा के बाद भी सामाजिक जिम्मेदारी को नहीं भूलना चाहिए। वेद की कहानी इस बात का प्रमाण है कि सच्ची प्रेरणा दृढ़ मनोवृत्ति और समर्पण से उत्पन्न होती है। अंत में, उनका यह विश्वास कि मेहनत और निरंतरता ही सफलता की सीढ़ी है, हमें सभी को अपने सपनों की ओर धकेलना चाहिए।

Hitesh Kardam

Hitesh Kardam

9 जून / 2024

सच में, ये सारे “रिकॉर्ड तोड़ने” वाले केस सिर्फ़ एक बड़े साजिश का हिस्सा लगते हैं। मैं कहूँगा कि इस तरह के उच्च अंक अक्सर “डिवाइस” या “हैक” की मदद से ही प्राप्त होते हैं, जैसा कि कुछ तकनीकी फ़ोरम में लपट बौछार में कहा गया था। अगर हम इसको खुलेआम नहीं देखते तो सिस्टम और भी भ्रष्ट हो जाएगा।

Nandita Mazumdar

Nandita Mazumdar

9 जून / 2024

ऐसे शैक्षणिक मामले में राष्ट्रीय गर्व को पहले जगह देना चाहिए।

Aditya M Lahri

Aditya M Lahri

9 जून / 2024

बहुत बधाई वेद को! 🙌 आपका निरंतर समर्थन और सलाह वास्तव में छात्रों को आगे बढ़ाने में मददगार है।

Vinod Mohite

Vinod Mohite

9 जून / 2024

कोटा प्रक्रिया में स्ट्रैटा‑जेनरेटेड अल्गोरिदम लीडरबोर्ड पर डाइटिकली इम्पैक्ट डालता है

Rishita Swarup

Rishita Swarup

9 जून / 2024

हमें इस बात का भी ख्याल रखना चाहिए कि यदि परीक्षा प्रणाली में कोई गड़बड़ी है तो उसकी जांच पूरी पारदर्शिता से होनी चाहिए। वैधता के लिए एक स्वतंत्र बॉडी की जरूरत है जो सभी मार्किंग को पुनः सत्यापित करे। यह तभी संभव होगा जब हम सभी मिलकर आवाज़ उठाएँ।

anuj aggarwal

anuj aggarwal

9 जून / 2024

वेद की स्कोर तो लाजवाब है, पर यह बात को देखना ज़रूरी है कि कितनी बार ऐसे “छेड़छाड़” वाले प्रश्नों को सर्ड़ नहीं किया जाता। आईआईटी की पूरी प्रणाली में कई दरारें हैं, और यही कारण है कि कुछ छात्रों को अनुकूलित तरीके से फायदा मिलता है।

Sony Lis Saputra

Sony Lis Saputra

9 जून / 2024

सिस्टम में सुधार के लिए हमें डेटा‑ड्रिवन एप्रोच अपनाना चाहिए, जहाँ प्रत्येक प्रश्न की वैधता को सांख्यिकीय मॉडल के माध्यम से परखा जा सके। इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और छात्रों का विश्वास भी कायम रहेगा।

Kirti Sihag

Kirti Sihag

9 जून / 2024

उफ़! 😤 यह तो बिल्कुल वही बात है जो हर साल दोहराई जाती है, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाता। इस बकवास को तुरंत खत्म करना होगा!

Vibhuti Pandya

Vibhuti Pandya

9 जून / 2024

मैं मानता हूँ कि वेद की मेहनत सराहनीय है, और उनका उदाहरण हमें अपनी पढ़ाई में अनुशासन लाने के लिए प्रेरित करता है। साथ ही, हमें यह भी सोचना चाहिए कि इस तरह की सफलताएँ पूरे शैक्षिक ढाँचे को कैसे सुधार सकती हैं।

Aayushi Tewari

Aayushi Tewari

9 जून / 2024

वेद की उपलब्धियों ने यह स्पष्ट किया है कि निरंतर प्रयास और उचित मार्गदर्शन से उत्कृष्ट परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं; यह मॉडल अन्य विद्यार्थियों के लिए अनुसरणीय हो सकता है।

Rin Maeyashiki

Rin Maeyashiki

9 जून / 2024

वेद की कहानी में हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है। नियमित रूटीन और पर्याप्त नींद ने उनकी स्मृति को सुदृढ़ किया। खेल और शौक उनके मन को तरोताज़ा रखते हैं, जिससे वह पढ़ाई पर फोकस कर पाते हैं। कोटा के दबाव ने उन्हें टीमवर्क और प्रतिस्पर्धात्मक सोच सिखाई। उनका लक्ष्य केवल व्यक्तिगत सफलता नहीं, बल्कि सामाजिक योगदान भी है। यह दृष्टिकोण हमें बताता है कि शिक्षा का व्यापक उद्देश्य क्या होना चाहिए। यदि हम इस तरह के रोल मॉडल को अपनाएँ, तो हमारी युवा पीढ़ी अधिक प्रगतिशील बनेगी। अंत में, निरंतर सीखने की भावना ही असली जीत है।

Paras Printpack

Paras Printpack

9 जून / 2024

ओह, बिल्कुल, क्योंकि सबको सुबह 8 घंटे की नींद लेनी चाहिए और फिर असली जॉब के लिए तैयार होना चाहिए, है ना? 🙄

yaswanth rajana

yaswanth rajana

9 जून / 2024

वेद के दृष्टिकोण को देखते हुए हम सभी को एक संरचित अध्ययन योजना बनानी चाहिए, जिसमें लक्ष्य निर्धारण, टाइम‑मैनेजमेंट, और नियमित विश्राम शामिल हो। इस तरह का संतुलित दृष्टिकोण न केवल शैक्षणिक सफलता बल्कि व्यक्तिगत विकास में भी मदद करता है।

Roma Bajaj Kohli

Roma Bajaj Kohli

9 जून / 2024

स्टडी‑प्लान को ऑप्टिमाइज़ करने के लिए हाई‑परफॉर्मेंस फ्रेमवर्क लागू करना चाहिए, नहीं तो हम हमेशा बैकग्राउंड में रहेंगे।

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