3 नवंबर, 2024
29 जुलाई, 2024
IAS प्रशिक्षु पूजा खेडकर पर आरोप है कि उन्होंने अपनी विकलांगता और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) स्थिति को झूठे दावे के माध्यम से हासिल किया। इसके कारण वे भारतीय प्रशासनिक सेवा में शामिल हो सकीं। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए, Department of Personnel & Training (DoPT) के अतिरिक्त सचिव मनोज द्विवेदी की अध्यक्षता में एक सदस्यीय पैनल इस मामले की जांच कर रहा है।
यह पैनल खेडकर के द्वारा प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों की सत्यता की जांच करेगा, जिनमें उनकी विकलांगता और OBC स्थिति को समर्थन देने वाले प्रमाण पत्र शामिल हैं। पैनल यह भी जांच करेगा कि क्या इन दस्तावेजों को जारी करने वाले अधिकारियों ने उचित सत्यापन किया था और पूजा खेडकर आवश्यक मेडिकल परीक्षण के लिए AIIMS दिल्ली क्यों नहीं गईं।
यदि जांच के दौरान पूजा खेडकर दोषी पाई जाती हैं, तो महाराष्ट्र सरकार के द्वारा उन्हें निलंबित किया जा सकता है। इसके साथ ही, उन पर जालसाजी और धोखाधड़ी के लिए आपराधिक आरोप भी लगाए जा सकते हैं।
पैनल सामाजिक न्याय मंत्रालय को भी इस जांच में शामिल करने की सिफारिश कर रहा है, ताकि पूजा खेडकर की OBC स्थिति का सही निरीक्षण किया जा सके। यह भी कहा जा रहा है कि खेडकर के पिता की संपत्ति 40 करोड़ रुपये से अधिक है, जो OBC स्थिति के लिए निर्धारित मानदंडों के विपरीत है।
AIIMS दिल्ली के विशेषज्ञों द्वारा यह भी जांच की जाएगी कि क्या खेडकर की विकलांगता सरकारी रोजगार के लिए आवश्यक मानदंडों को पूरा करती है। यह मामला यह भी दर्शाता है कि वार्षिक रूप से कई उम्मीदवार झूठे विकलांगता दावे करते हैं और अनिवार्य AIIMS मेडिकल परीक्षा से बचने का प्रयास करते हैं। वे अक्सर यह मामला केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण में भी ले जाते हैं।
इस मुद्दे ने सरकार और समाज के सामने विकलांगता और जातीय स्थिति के झूठे दावों की चुनौतियों को फिर से उजागर किया है। यह महत्वपूर्ण है कि भविष्य में ऐसे मामलों को सख्ती से देखा जाए और सही उम्मीदवारों को ही सरकारी सेवाओं में प्रवेश प्राप्त हो।
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