10 अक्तूबर, 2024
डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर, जिन्हें डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के नाम से जाना जाता है, भारतीय समाज के सबसे प्रभावशाली और प्रभावशाली नेताओं में से एक रहे हैं। उनका जन्म 14 अप्रैल 1891 को हुआ था और उन्होंने अपना जीवन जाति व्यवस्था के खिलाफ संघर्ष और सामाजिक समानता के लिए समर्पित कर दिया। वह भारतीय संविधान के प्रमुख वास्तुकार थे और उन्होंने इसे स्वतंत्रता, समानता, और भाईचारे के मूल मन्त्रों के आधार पर तैयार किया।
डॉ. आंबेडकर ने अपने जीवन में कई सामाजिक सुधार किए, जिनमें सबसे प्रमुख था अछूत समुदाय को समान अधिकार दिलाने का प्रयास। उन्होंने दलित समुदाय को सम्मान और अधिकार दिलाने के लिए कई आंदोलन चलाए और समाज में उनकी स्थिति को सुधारने के लिए बड़ी कोशिशें की। उनके विचारों ने जाति व्यवस्था को चुनौती दी और अनेक उपेक्षित समूहों को सशक्त बनाया।
महापरिनिर्वाण दिवस, 6 दिसंबर, एक महत्वपूर्ण दिन है, जब हम डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की विरासत को याद करते हैं। यह दिन 1956 में डॉ. आंबेडकर के निधन की तिथि को चिह्नित करता है, जब उन्होंने अपने जीवन के अनगिनत योगदानों के बाद इस दुनिया को अलविदा कहा। इस दिन को विशेष रूप से मनाया जाता है ताकि समाज उनके संघर्ष और उपलब्धियों को मान्यता दे सके।
प्रत्येक वर्ष इस दिन को पूरे देश में विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से मनाया जाता है जहाँ लोग डॉ. आंबेडकर के आदर्शों को याद करते हैं और उन्हें आगे बढ़ाने का संकल्प लेते हैं। डॉ. आंबेडकर की दृष्टि ने देश की सामाजिक संरचना पर गहरा प्रभाव डाला है और उनके विचार आज भी प्रासंगिक बने हुए हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मौके पर डॉ. आंबेडकर के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि डॉ. आंबेडकर केवल संविधान के निर्माता नहीं बल्कि सामाजिक न्याय के प्रकाशस्तम्भ भी थे। उनका संघर्ष और उनके विचार आज भी करोड़ों भारतीयों के लिए प्रेरणा बने हुए हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि डॉ. आंबेडकर का जीवन समाज में समता और प्रतिष्ठा के लिए उनकी सतत लड़ाई का उत्कृष्ट उदाहरण है।
उन्होंने यह भी कहा कि उनकी सरकार डॉ. आंबेडकर के सपनों को साकार करने के लिए प्रतिबद्ध है, जहां हर व्यक्ति को समान अवसर और अधिकार मिल सके। उन्होंने सभी भारतीयों से आह्वान किया कि वे डॉ. आंबेडकर के विचारों को अपने जीवन में उतारें और समाज में सकारात्मक बदलाव लाएं।
महापरिनिर्वाण दिवस के मौके पर न केवल प्रधानमंत्री मोदी, बल्कि अन्य कई प्रमुख नेताओं ने भी डॉ. आंबेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित की। इनमें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला शामिल थे। ये सभी नेता संसद भवन के लॉन में एकत्रित हुए और बाबा साहेब की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किए।
यह घटना भारत के नेताओं की डॉ. आंबेडकर के प्रति गहरी श्रद्धा और सम्मान को दर्शाती है। उनके विचारों और योगदान को स्मरण कर आपसी भेदभाव को मिटाने और एक समतावादी समाज का निर्माण करने का संकल्प लिया गया।
डॉ. आंबेडकर ने जीवन के अंतिम वर्षों में बौद्ध धर्म को अपनाया और इसके द्वारा अपनी सामाजिक और धार्मिक पहचान को नया स्वरूप दिया। उन्होंने इस धर्म का चयन इसलिए किया क्योंकि यह समानता और भाईचारे का संदेश देता है, जो जाति-आधारित भेदभाव के खिलाफ उनके संघर्ष के अनुरूप था।
उन्हें बौद्ध धर्म में दीक्षा लेने से अपने लाखों अनुयायियों को भी प्रेरणा मिली, जिन्होंने इस नई राह को अपनाया और समाज में अपनी नई पहचान बनाई। डॉ. आंबेडकर का यह कदम उनके जीवन के दर्शन और उनके द्वारा धारण की गई मानवता की गहरी समझ को प्रकट करता है।
डॉ. आंबेडकर की विरासत आज भी हमारे समाज में जिंदा है। वे एक ऐसे युगद्रष्टा थे जिन्होंने अपने समय के कई सामाजिक मुद्दों को हल करने के लिए अनूठे और प्रभावी कदम उठाए। उनके द्वारा बताए गए सामाजिक न्याय, मानव अधिकार और समता के सिद्धांत आज भी हमारे समाज के लिए पथप्रदर्शक बने हुए हैं।
उनकी विचारधारा और आदर्श आज भी कई सामाजिक आंदोलनों को प्रेरित करते हैं और हमें एक बेहतर और न्यायपूर्ण समाज बनने के लिए प्रेरित करते हैं। इस महापरिनिर्वाण दिवस पर हम उनके कार्यों और आदर्शों को याद कर उन्हें सम्मान देते हैं।
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