कर्नाटक के विजयनगर जिले में स्थित तुंगभद्रा डैम का एक क्रेस्ट गेट ढह जाने से एक बड़ा जल संकट खड़ा हो गया है। इस दुर्घटना से जलाशय से भारी मात्रा में पानी बह निकला है, जिससे न केवल स्थानीय लोगों में दहशत है, बल्कि निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा भी बढ़ गया है। इस हादसे ने सरकार और प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
बीजेपी ने इस मुद्दे पर सरकार पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया है। विपक्ष के नेता आर. अशोक ने कहा कि डैम की तकनीकी समिति की नियमित बैठकों और समय पर रख-रखाव से इस हादसे को रोका जा सकता था। राज्य बीजेपी अध्यक्ष बी.वाई. विजयेंद्र ने इस हादसे को लेकर चिंता जताई और निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को तुरंत स्थानांतरित करने की मांग की।
इस घटना के बारे में प्रतिक्रिया देते हुए जल संसाधन मंत्री डी.के. शिवकुमार ने आश्वासन दिया कि मरम्मत कार्य 4-5 दिनों के भीतर पूर्ण कर लिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि मरम्मत कार्य शुरू करने के लिए पानी का स्तर 50-60 टीएमसी तक गिरना आवश्यक है। इसके अलावा, उन्होंने तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की संबंधित प्राधिकरणों को डैम की स्थिति के बारे में सूचित कर दिया है।
इस घटना से स्थानीय लोग बेहद चिंतित हैं। कई लोग अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन कर रहे हैं। डैम के निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को स्थानांतरित करने के लिए प्रशासन ने विशेष टीमें तैनात की हैं। साथ ही, मेडिकल और आपातकालीन सेवाओं को तेजी से सक्रिय कर दिया गया है।
यह हादसा डैम की सुरक्षा और रख-रखाव को लेकर बड़े सवाल खड़े करता है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर समय पर नियमित निरीक्षण और मरम्मत कार्य किया जाता, तो इस तरह की आपदाएँ टाली जा सकती हैं। यह स्थिती सरकार और प्रशासन के लिए एक सीख है कि जल संसाधनों की सुरक्षा सबसे पहले प्राथमिकता होनी चाहिए।
बीजेपी का कहना है कि इस आपदा को टाला जा सकता था, अगर नियमित निरीक्षण और रखरखाव कार्य किए गए होते। विपक्षी दल ने जल संसाधन मंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने अपने विभाग पर ध्यान नहीं दिया, जिससे यह स्थिति उत्पन्न हुई।
कर्नाटक सरकार अब इस घटना से सीख लेकर भविष्य में ऐसी आपदाओं को टालने के लिए नई योजनाएँ बना रही है। राज्य के सभी डैमों की सुरक्षा को लेकर एक विशेष समीक्षा की जाएगी और नियमित निरीक्षण सुनिश्चित किया जाएगा। साथ ही, पानी के स्तर को नियंत्रित रखने के उपाय भी किये जाएंगे।
इस समय जनता की उम्मीदें सरकार से बहुत अधिक हैं। लोग चाहते हैं कि जल्द से जल्द इस घटना का समाधान निकाला जाए और भविष्य में इस तरह की आपदाएँ न हों। लेकिन इसके साथ ही, लोगों में प्रशासन की कार्यशैली और सुरक्षा प्रबंधों को लेकर कई तरह की आशंकाएँ भी हैं।
इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि बुनियादी ढाँचों की सुरक्षा और रख-रखाव में जरा सी भी कोताही बड़े खतरों को जन्म दे सकती है। ऐसे में सरकार और प्रशासन दोनों को मिलकर इस आपदा का सामना करना होगा और इसमें जनता की भी भागीदारी महत्वपूर्ण होगी।
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