Magh Gupt Navratri 2025: दुर्गा के नौ रूपों की गुप्त पूजा

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Magh Gupt Navratri 2025: दुर्गा के नौ रूपों की गुप्त पूजा

Magh Gupt Navratri की विशेषता और शुरुआती अनुष्ठान

दशकों से भारतीय कैलेंडर में चार मुख्य नवरात्रियों का उल्लेख मिलता है, लेकिन Magh Gupt Navratri को अक्सर श्रोताओं में कम ही सुना जाता है। 2025 में यह त्योहार 30 जनवरी को शुरू होकर 7 फ़रवरी को समाप्त हुआ। शुक्ल पक्ष की शुरुआत में, जब चंद्रमा का प्रकाश बढ़ रहा था, तब दिन‑प्रति‑दिन देवी के विभिन्न रूपों को समर्पित कई अनुष्ठान किए गए।

पहला दिन, यानी प्रतिपदा तिथि, का प्रातःकाल 6:05 PM पर समाप्त हुआ और 4:10 PM पर समाप्ति का समय निर्धारित किया गया। इस दिन घटस्थापना (कलश स्थापना) का महत्व अत्यधिक है; इसे मेष लग्न के मुहूर्त (9:25 AM‑10:46 AM) और वैकल्पिक अभिजित मुहूर्त (12:12 PM‑12:55 PM) में किया गया। कलश के भीतर गंगा जल, पवित्र धूप और दुर्गा की आकृति रखी गई, जिससे पूरे नवचरण की आध्यात्मिक नींव पक्की हुई।

धार्मिक प्रभाव, अनुष्ठान और साधना

धार्मिक प्रभाव, अनुष्ठान और साधना

गुप्त (Gupt) शब्द का अर्थ यहाँ ‘अंतर्मुखी’ या ‘गुप्त’ के रूप में लिया जाता है। इसका मतलब है कि इस नवरात्रि में बाहरी शोर‑शराबे की बजाय आत्मीय साधना, गहन ध्यान और व्यक्तिगत भक्ति पर बल दिया जाता है। उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में इस दिन का विशेष महत्व है; यहाँ के तीर्थस्थलों और आश्रमों में योगी, तांत्रिक और साधु‑संत कड़ी साधना करते हैं।

नवदुर्गा के रूपों में से पहला शैलपुत्री है, जो शुद्धता और शक्ति का प्रतीक है। प्रत्येक दिन की पूजा के साथ विशिष्ट मंत्र, जैसे दुर्गा सप्तशती, देवी महात्म्य और शिमदा-देवी भागवत, सुनाए जाते हैं। भक्तों ने व्रत के नियमों का पालन करते हुए, प्रातःकाल सवेर के समय जल स्नान, शुद्धिकरण पूजा और देवी का विशेष सजावट किया। कुछ घरों में अर्घ्य, आरती और दान का क्रम भी रखा गया।

सात दिन तक, प्रत्येक-दिवस के लिए अलग‑अलग सादहना (साधना) तय थी—जैसे द्वादशी पर 'त्रिशूल जप', चतुर्दशी पर 'त्रिनेत्र मंत्र' और अष्टमी पर 'सर्वत्र सौम्य स्तुति'। ऐसी व्यवस्थित पंक्ति से भक्तों को न केवल आध्यात्मिक शील मिलती है, बल्कि मन में शांति और तनाव भी कम होता है। कई योगी इस अवधि को 'ध्यान महा अभियान' कहते हैं, क्योंकि यह समय आत्म-निरीक्षण और शाक्ति ऊर्जा के एकीकरण के लिए उपयुक्त माना जाता है।

नवमी के दिन, यानी 7 फ़रवरी को, सभी अनुष्ठानों का समापन 'नवमी पराना' समारोह के साथ हुआ। इस समाप्ति में कलश हटाया गया, उसके शेष जल को पवित्र नदी में डाला गया और सभी प्रतिभागियों को प्रसाद वितरित किया गया। यह अंतिम कार्य न केवल उत्सव का समापन दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि इस गुप्त नवरात्रि के दौरान प्राप्त हुई आध्यात्मिक ऊर्जा को सतत रखी जा सके।

समग्र रूप से, Magh Gupt Navratri 2025 ने शाक्ति साधना के चाहने वालों को एक ऐसा मंच प्रदान किया, जहाँ वे बिना बाहरी शोर के, अपने अंदर के दिव्य प्रणय को महसूस कर सकें। यह उत्सव न केवल धार्मिक आस्था को सुदृढ़ करता है, बल्कि सामाजिक स्तर पर शांति, समज और आशावाद की भावना को भी बढ़ाता है।