पापुआ न्यू गिनी के एंगा क्षेत्र में पिछले शुक्रवार को हुई विनाशकारी भूस्खलन की घटना ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है। राष्ट्रीय आपदा केंद्र के अनुसार, इस घटना में अनुमानित 2,000 से अधिक लोगों के मलबे में दबे होने की आशंका है। प्रारंभिक रिपोर्टों में 100 लोगों की मृत्यु के आंकड़े बताए गए थे, जिन्हें बाद में बढ़ाकर 670 कर दिया गया। हालांकि, हाल ही में की गई नवीनतम आकलन के अनुसार, यह संख्या वास्तव में इससे कहीं अधिक हो सकती है।
एक्टिंग डायरेक्टर लुसेटे लीसो मना ने बताया कि यह भूस्खलन न केवल मानव जीवन के लिए बल्कि इमारतों, खाद्यान्न उद्यानों और आर्थिक बुनियादी ढांचे के लिए भी अत्यधिक विनाशकारी साबित हुआ है। मना ने कहा, “इस भूस्खलन ने 2,000 से ज्यादा लोगों को मलबे में दफन कर दिया है और बड़े पैमाने पर ठोस और संरचनात्मक क्षति पहुंचाई है।” घटना के बाद से ही बचाव दल जीवित बचे लोगों को खोजने के लिए दिन रात जुटे हुए हैं।
ऐतिहासिक रूप से देखें तो पापुआ न्यू गिनी एक भौगोलिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र है, जहां भूस्खलन, भूकंप और अन्य प्राकृतिक आपदाओं का खतरा बना रहता है। इस बार की भूस्खलन की घटना ने एक बार फिर से इस क्षेत्र की आपदा प्रबंधन की दृष्टि से कमियों को उजागर किया है। भूस्खलन से प्रभावित हुए इलाके में पहुंचने के लिए मुख्य राजमार्ग पूरी तरह से अवरुद्ध हो गया है, जिससे राहत कार्यों में बाधा आ रही है। राहत टीमों और बचे हुए लोगों दोनों के लिए यह क्षेत्र अभी भी अत्यंत खतरनाक बना हुआ है क्योंकि भूस्खलन धीरे-धीरे खिसकता जा रहा है।
भूस्खलन ने घरों, फसलों और बुनियादी ढांचे को नष्ट कर दिया है। स्थिति इतनी गंभीर है कि लोग सहायता के बिना रहने को मजबूर हैं। ये लोग अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित जगहों की तलाश में हैं, लेकिन अनेक लोग अब भी फंसें हुए हैं।
प्रभावित क्षेत्र में भोजन, पानी, और चिकित्सा सामग्री की भारी कमी है। सरकार और विभिन्न गैर-सरकारी संगठनों द्वारा राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है, परंतु भूस्खलन के कारण बने अवरोध इन प्रयासों में बाधा डाल रहे हैं।
पापुआ न्यू गिनी की सरकार ने इस आपदा को राष्ट्रीय आपातकाल घोषित कर दिया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार पूरी क्षमता से राहत कार्यों में जुटी हुई है। साथ ही, अंतरराष्ट्रीय समुदाय से भी सहायता की अपील की गई है। प्रमुख विकसित देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों से अपेक्षा है कि वे इस आपदा की घड़ी में मदद का हाथ बढ़ाएंगे।
पापुआ न्यू गिनी के राष्ट्रीय रक्षा बल और पुलिस बल इस समय राहत कार्यों में सक्रिय हैं। वे मलबे में दबे लोगों को निकालने और सुरक्षित क्षेत्रों में पहुंचाने के लिए लगातार प्रयासरत हैं। इसके साथ ही, स्वास्थ्य और चिकित्सा टीमों को भी सक्रिय किया गया है ताकि वे घायलों का तुरंत इलाज कर सकें।
अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने भी अपनी सहायता प्रदान करनी शुरू कर दी है। इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर माइग्रेशन (आईओएम) जैसे संगठनों ने अपनी टीमों को मौके पर भेजा है। आईओएम के मिशन प्रमुख ने भी इस बात की पुष्टि की है कि ये भूस्खलन पहले की अपेक्षा कहीं अधिक विनाशकारी साबित हुआ है।
संयुक्त राष्ट्र ने भी अपने विभिन्न अंगों के माध्यम से सहायता की पेशकश की है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकार की आपदाएं आगे भी पापुआ न्यू गिनी में होती रहेंगी, और इसीलिए लंबी अवधि के लिए एक संरचित आपदा प्रबंधन प्रणाली की आवश्यकता है।
इस भूस्खलन के पश्चात, स्थानीय समुदायों में एक अद्वितीय एकजुटता देखने को मिल रही है। ग्रामीण लोग, जो किसी भी प्रकार की सहायता देने में सक्षम हैं, वे स्वयंसेवकों के रूप में राहत कार्यों में सम्मिलित हो रहे हैं। यह सामूहिक प्रयास वास्तव में मानवता की सच्ची मिसाल है।
इस दुखद घटना ने हालांकि हजारों जिंदगियों को नेस्तनाबूद कर दिया है, लेकिन इसे एक जागरूकता का अवसर भी बनाया जा सकता है। यह एक मौका है कि पापुआ न्यू गिनी सहित अन्य भौगोलिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में आपदा प्रबंधन और तैयारी को और मजबूत किया जाए।
सरकार ने दीर्घकालिक योजना बनाने की भी घोषणा की है। यह योजना भूस्खलन प्रवण क्षेत्रों में निवासियों के पुनर्वास और उनकी सुरक्षा को सुनिश्चित करने पर केंद्रित होगी। इसके तहत, नए निर्माणों के लिए सुरक्षित जगहों का चयन, आपदा प्रबंधन का प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
अंत में, यह कहा जा सकता है कि पापुआ न्यू गिनी में आई इस भयानक आपदा ने न सिर्फ राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि वैश्विक स्तर पर भी हिलाकर रख दिया है। यह घटना जहां एक ओर मानवीय त्रासदी है, वहीं दूसरी ओर यह एक चेतावनी भी है कि कैसे हमें प्राकृतिक आपदाओं के लिए और अधिक तैयार रहना चाहिए। आशा है कि इसके बाद से संबंधित प्राधिकरण और संगठनों द्वारा ऐसी आपदाओं से निपटने की दिशा में और अधिक कारगर कदम उठाए जाएंगे।
एक टिप्पणी लिखें