12 मई, 2024
15 जुलाई, 2024
भारतीय राजनीति में बीआरएस (भारत राष्ट्र समिति) की जानी मानी नेता के. कविता, जो कि वर्तमान में तिहाड़ जेल में बंद हैं, एक बार फिर से स्वास्थ्य कारणों से चर्चा में आ गई हैं। 46 वर्षीय के. कविता को हाल ही में दिल्ली के दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल में भर्ती कराया गया है। उन्होंने जेल में रहते हुए जर्न्यकोलॉजिकल समस्याओं और बुखार की शिकायत की थी, जिसके बाद उन्हें चिकित्सीय सहायता के लिए अस्पताल ले जाया गया।
कविता को पहले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दिल्ली शराब नीति के धनशोधन मामले में 15 मार्च को गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद 11 अप्रैल को उन्हें केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार किया गया। यह मामला दिल्ली की शराब नीति से जुड़े कथित घोटाले से जुड़ा हुआ है। इन सारी घटनाओं के चलते उनका स्वास्थ्य भी बिगड़ता जा रहा है और उनकी जांच के बाद उन्हें अस्पताल से फिर से जेल लौटा दिया गया।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने कविता की जमानत याचिका धनशोधन और भ्रष्टाचार मामलों में इस महीने की शुरुआत में खारिज कर दी थी। इससे उनको एक और झटका लगा है। सूत्रों की मानें, तो तिहाड़ जेल में रहते हुए भी कविता को कई बार महिलाओं से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं का इलाज करवाना पड़ा है।
पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और समर्थकों के बीच भी कविता की गिरती सेहत को लेकर चिंता व्यापत हो रही है। बीआरएस द्वारा लगातार यह कहा जा रहा है कि कविता का जेल में स्वास्थ्य अत्यधिक गंभीर हो रहा है और उन्हें बेहतर चिकित्सा सुविधा की जरूरत है। दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा एकसे अधिक बार उनकी जमानत याचिका खारिज की गई है, जिससे उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
कविता की सेहत को लेकर उनकी पार्टी और समर्थक लगातार आवाज उठा रहे हैं। उन्होंने सरकार और जेल प्रशासन से कविता को बेहतर सुविधाएं देने की मांग की है। इसके अलावा तिहाड़ जेल में भी चिकित्सा का नजदीकी ध्यान रखा जा रहा है, ताकि उनकी समस्याओं का तंदुरुस्ती का समाधान हो सके।
कविता ने अपनी स्थिति पर अपने वकीलों से भी चर्चा की है और कोर्ट में अपनी सुरक्षा और स्वास्थ्य के मुद्दों को प्रमुखता से उठाया है। उनके वकीलों का कहना है कि जेल में उनकी सेहत को ध्यान में रखते हुए जल्द से जल्द कोई ठोस कदम उठाया जाना चाहिए।
इस मामले को लेकर कानून विशेषज्ञों की राय भी आ रही है। उनका कहना है कि जब भी किसी आरोपी की सेहत बिगड़ती है, तब उसे बेहतर चिकित्सा सुविधा देना न्यायिक व्यवस्था का महत्त्वपूर्ण हिस्सा होता है। कोर्ट और जेल प्रशासन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किसी भी बंदी की सेहत को लेकर कोई लापरवाही न बरती जाए।
हालांकि इस सब के बीच के. कविता का मामला एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा भी बनता जा रहा है। बीआरएस द्वारा लगातार इसे राजनीतिक षड्यंत्र बता कर केन्द्र सरकार पर आरोप लगाए जा रहे हैं। उनका कहना है कि कविता को जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है और उनके खिलाफ कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग हो रहा है।
इस पूरी घटना में एक बात स्पष्ट है कि के. कविता की सेहत बिगड़ने का मामला गंभीर है और इसे जल्द से जल्द सुलझाने की जरूरत है। यह एक मानव अधिकार का मुद्दा भी है, जहां जेल में बंद व्यक्ति को उचित चिकित्सा सुविधा देना अत्यंत जरूरी है। इस मामले में आगे क्या होता है, यह देखने लायक होगा।
तिहाड़ जेल में चिकित्सा सुविधाएं सामान्यतया अच्छी मानी जाती हैं, लेकिन कई बार यह आवश्यक उपचार मुहैया कराने में कमी रह जाती है। जेल प्रशासन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किसी भी बंदी को आवश्यक चिकित्सा सुविधा मिले और उनकी सेहत पर नियमित रूप से ध्यान रखा जाए।
के. कविता के मामले में भी यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि उन्हें उचित चिकित्सा मिल सके। जेल में बंद अन्य महिलाओं पर भी यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि उन्हें किसी भी तरह की चिकित्सा सहायता के लिए समय पर सहूलियत मिले।
कविता के स्वास्थ्य समस्याओं को देखते हुए इस बात को और भी स्पष्ट किया जा सकता है कि जेलों में चिकित्सा सुविधाओं की उच्च गुणवत्ता आवश्यक है। इससे बंदियों की सेहत पर सकारात्मक असर पड़ेगा और उनके स्वास्थ्य के मुद्दों का भी समाधान हो सकेगा।
के. कविता का मामला न सिर्फ कानूनी और चिकित्सा दृष्टिकोण से बल्कि सामाजिक और राजनीतिक प्रभावों की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। उनकी सेहत की स्थिति को लेकर जो चर्चाएं हो रही हैं, उससे जेल प्रशासन और न्यायिक व्यवस्था पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
इस मामले में अधिक चर्चा होने और राजनीतिक मुद्दा बनने की संभावनाएं भी हैं। बीआरएस समर्थकों और अन्य नेताओं ने भी इस मुद्दे को बढ़ाने की पूरी कोशिश की है ताकि केन्द्र सरकार पर दबाव बनाया जा सके।
एक ओर जहां जेल प्रशासन यह दावा कर रहा है कि के. कविता को सभी आवश्यक चिकित्सा सुविधाएं दी जा रही हैं, वहीं दूसरी ओर उनके समर्थकों का कहना है कि उन्हें उचित उपचार नहीं मिल पा रहा है। यह मामला किस दिशा में जाएगा और कविता की सेहत को लेकर क्या कदम उठाए जाएंगे, यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा।
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