तमिलनाडु रेल हादसा: गुड्स ट्रेन से हुई टक्कर, सिंहल गड़बड़ी से हुआ हादसा

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तमिलनाडु रेल हादसा: गुड्स ट्रेन से हुई टक्कर, सिंहल गड़बड़ी से हुआ हादसा

तमिलनाडु में रेल हादसा: मानव दुर्घटना की चुनौती

तमिलनाडु के कवारईपेट्टई के पास एक दुखद रेल हादसा हुआ, जिसमें मुयसूरु-दरभंगा एक्सप्रेस ट्रेन 12578 एक स्थायी मालगाड़ी से टकरा गई। यह हादसा भारतीय रेल नेटवर्क के लिए चेतावनी जैसे आया है, खासकर जब यह बालासोर, ओडिशा में हुई भयानक रेल दुर्घटना की याद दिलाता है। इस दुर्घटना में 19 यात्री घायल हुए, जिनमें से चार की स्थिति गंभीर है। हालांकि, राहत की बात रही कि किसी की जान नहीं गई।

सिग्नल गड़बड़ी: हादसे का प्रमुख कारण

घटना की जड़ में सिग्नल की गड़बड़ी बताई जा रही है। इस संदर्भ में, रात 8:27 बजे पोननेरी रेलवे स्टेशन से ट्रेन को मुख्य रेखा पर आगे बढ़ने के लिए हरी झंडी दी गई थी। जब ट्रेन कवारईपेट्टई स्टेशन पहुंची, तकनीकी समस्याओं के कारण ट्रेन मूल रेखा के बजाय लूप लाइन पर प्रवेश कर गई और उसकी टक्कर स्थायी मालगाड़ी से हो गई। इस टक्कर से ट्रेन का 'पावर कार' जल उठा और 13 डिब्बे पटरियों से उतर गए।

उपाय और सहायता प्रयास

जिन यात्रियों को चोटें आई थीं, उन्हें नजदीकी अस्पतालों में उपचार के लिए ले जाया गया। रेलगाड़ियों की आवाजाही रुकी हुई थी, जिससे चेन्नई-गुदूर खंड के दोनों दिशाओं में ट्रेनों की आवाजाही प्रभावित हुई। प्रभावित यात्रियों की सहायता के लिए चेन्नई सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर हेल्प डेस्क स्थापित की गई है।

बालासोर हादसे से मिली सीख

2023 में बालासोर की दुर्घटना में 296 लोगों की मृत्यु हुई थी और 1,200 से अधिक घायल हुए थे। बालासोर दुर्घटना का कारण भी सिग्नल गड़बड़ी थी, जब कोरमंडल एक्सप्रेस ने एक स्थायी मालगाड़ी को टक्कर मारी थी। तमिलनाडु हादसे के सापेक्ष, इस बार भारी मालगाड़ी के पीछे ब्रेक वैन होने से और लोको पायलट की त्वरित गति नियंत्रण की क्रिया से बड़ा हादसा टल गया।

जांच और भविष्य की चुनौतियाँ

इस घटना के पीछे के सिग्नल गड़बड़ी की जांच की जा रही है। रेलवे अधिकारी लोको पायलट और सहायक लोको पायलट के बयानों की जांच कर रहे हैं। पीड़ित यात्रियों के लिए विशेष ट्रेन की सुविधा भी की गई है ताकि वे अपने गंतव्य तक सुरक्षित पहुँच सकें। चेन्नई सेंट्रल से एक विशेष ट्रेन भी लगाई गई है ताकि फंसे यात्रियों को मदद मिल सके।

इस घटना ने सुरक्षा की जरूरत को और प्रबल किया है, और भारतीय रेल प्रणाली में सटीक तकनीकी सुधार की आवश्यकता को रेखांकित किया है। इससे यह पता चलता है कि बढ़ते रेल यातायात के बीच तकनीकी गड़बड़ियाँ कितनी महत्वपूर्ण हैं और इन्हें सुधारने के लिए ठोस उपायों की आवश्यकता है।

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