19 अगस्त, 2024
दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर हाल ही में हुए एक बड़े हादसे ने पूरे देश में हलचल मचा दी है। भारी बारिश के दौरान एयरपोर्ट की एक छत गिर गई, जिससे एक व्यक्ति की दुखद मौत हो गई और आठ अन्य लोग घायल हो गए। इसके साथ ही, कई कारें भी इस छत के मलबे तले दब गईं। हवाई अड्डे पर हुई इस घटना ने न केवल दिल्ली बल्कि पूरे देश में इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
दिल्ली एयरपोर्ट की यह घटना कोई अकेली घटना नहीं है। हाल के वर्षों में देशभर में कई इन्फ्रास्ट्रक्चर दुर्घटनाएँ हुई हैं, जिनमें बिहार में चार पुलों का गिरना और मध्य भारत में एक हवाई अड्डे पर संरचना का गिरना भी शामिल हैं। इसके अलावा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इस वर्ष अयोध्या में उद्घाटित एक विशाल मंदिर का रिसाव हो रहा है और देशभर में नई सड़कों पर भी बाढ़ का प्रकोप देखा जा रहा है।
मानसून के मौसम में भारत के कई शहरों में जलभराव की समस्या सामने आती है, जो सबसे नए बने इन्फ्रास्ट्रक्चर की सुरक्षा पर सवाल खड़े करती है। दिल्ली हवाई अड्डे पर हुई घटना ने यह दिखाया है कि अत्यधिक बारिश के समय भी देश की इन्फ्रास्ट्रक्चर संरचनाएँ सुरक्षित नहीं हैं।
भारतीय सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास में भारी निवेश किया है। अगले दो वर्षों में 44.4 खरब रुपये (532 अरब डॉलर) के नए इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स चालू होने वाले हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी चुनावी वादों में इन्फ्रास्ट्रक्चर के आधुनिकीकरण को महत्वपूर्ण स्थान दिया है। उन्होंने कई नई हवाई अड्डों का उद्घाटन किया है, रेलवे लाइन अपग्रेड की है, और हाईवे का विस्तार किया है।
हालांकि सरकार का दावा है कि उन्होंने 80 नए हवाई अड्डों का निर्माण किया हैं, रेलवे को अपग्रेड किया है और हाईवे का विस्तार किया है, लेकिन हालिया घटनाओं ने इन परियोजनाओं की सुरक्षा और गुणवत्ता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए अब यह आवश्यक हो गया है कि सरकार और निर्माण कंपनियां इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने के लिए कठोर कदम उठाएँ। उचित निरीक्षण और मापदंडों के पालन के बिना इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं की विश्वसनीयता पर सवाल उठते रहेंगे।
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