दिल्ली एयरपोर्ट की छत गिरने से बड़ा हादसा
दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर हाल ही में हुए एक बड़े हादसे ने पूरे देश में हलचल मचा दी है। भारी बारिश के दौरान एयरपोर्ट की एक छत गिर गई, जिससे एक व्यक्ति की दुखद मौत हो गई और आठ अन्य लोग घायल हो गए। इसके साथ ही, कई कारें भी इस छत के मलबे तले दब गईं। हवाई अड्डे पर हुई इस घटना ने न केवल दिल्ली बल्कि पूरे देश में इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
भारत का इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास और सुरक्षा चिंताएँ
दिल्ली एयरपोर्ट की यह घटना कोई अकेली घटना नहीं है। हाल के वर्षों में देशभर में कई इन्फ्रास्ट्रक्चर दुर्घटनाएँ हुई हैं, जिनमें बिहार में चार पुलों का गिरना और मध्य भारत में एक हवाई अड्डे पर संरचना का गिरना भी शामिल हैं। इसके अलावा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इस वर्ष अयोध्या में उद्घाटित एक विशाल मंदिर का रिसाव हो रहा है और देशभर में नई सड़कों पर भी बाढ़ का प्रकोप देखा जा रहा है।
बारिश और ऐसी घटनाओं का संबंध
मानसून के मौसम में भारत के कई शहरों में जलभराव की समस्या सामने आती है, जो सबसे नए बने इन्फ्रास्ट्रक्चर की सुरक्षा पर सवाल खड़े करती है। दिल्ली हवाई अड्डे पर हुई घटना ने यह दिखाया है कि अत्यधिक बारिश के समय भी देश की इन्फ्रास्ट्रक्चर संरचनाएँ सुरक्षित नहीं हैं।
सरकार की इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाएँ
भारतीय सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास में भारी निवेश किया है। अगले दो वर्षों में 44.4 खरब रुपये (532 अरब डॉलर) के नए इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स चालू होने वाले हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी चुनावी वादों में इन्फ्रास्ट्रक्चर के आधुनिकीकरण को महत्वपूर्ण स्थान दिया है। उन्होंने कई नई हवाई अड्डों का उद्घाटन किया है, रेलवे लाइन अपग्रेड की है, और हाईवे का विस्तार किया है।
सुरक्षा और गुणवत्ता पर सवाल
हालांकि सरकार का दावा है कि उन्होंने 80 नए हवाई अड्डों का निर्माण किया हैं, रेलवे को अपग्रेड किया है और हाईवे का विस्तार किया है, लेकिन हालिया घटनाओं ने इन परियोजनाओं की सुरक्षा और गुणवत्ता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
आगे की रणनीति
दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए अब यह आवश्यक हो गया है कि सरकार और निर्माण कंपनियां इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने के लिए कठोर कदम उठाएँ। उचित निरीक्षण और मापदंडों के पालन के बिना इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं की विश्वसनीयता पर सवाल उठते रहेंगे।
Selva Rajesh
29 जून / 2024दिल्ली एयरपोर्ट की छत गिरना बिल्कुल अनिर्णित उबाल है।
सरकार का बड़प्पन अब सिर्फ शब्दों में ही सीमित हो गया है।
समान्य नागरिक को इस तरह की लापरवाही का झेला नहीं चाहिए।
हर नई परियोजना के पीछे एक ही कहानी दोहराई जा रही है-लाभ के लिए सुरक्षा को संभालना।
जब मानसून जैसी प्राकृतिक ताक़तें सामने आती हैं, तब मानक नियमन की कठोरता सिद्ध होनी चाहिए।
लेकिन हमने देखा है कि मानक सिर्फ कागज़ पर हैं, धरती पर नहीं।
इस दुर्घटना में मृत व्यक्ति की कूड़ापन केवल एक आँकड़ा नहीं है, यह एक चेतावनी है।
आठ घायल लोगों की पीड़ा को भी आंकड़ों में नहीं घोटा जाना चाहिए।
इसी बेमेल को सॉल्व करने के लिए हमें पारदर्शी ऑडिट और वास्तविक ज़िम्मेदारी की माँग करनी होगी।
जब तक वरिष्ठ अधिकारियों को इस तरह की असफलता पर सज़ा नहीं मिलती, सुधार की कोई उम्मीद नहीं।
निरंतर बुनियादी ढाँचा बनाते समय गुणवत्ता को समझना ही असली विकास है।
केवल मात्रा नहीं, बल्कि मानक की विश्वसनीयता को प्राथमिकता देनी चाहिए।
इससे न केवल यात्रियों की सुरक्षा होगी, बल्कि देश की प्रतिष्ठा भी बची रहेगी।
अगर हम इस घटना को नज़रअन्दाज़ करेंगे, तो भविष्य में बड़े हादसे हो सकते हैं।
इसलिए सार्वजनिक दायित्व की भावना को पुनर्स्थापित करना अनिवार्य है।
यह केवल सरकार का नहीं, बल्कि सभी नागरिकों का कर्तव्य है कि वे इस मुद्दे पर आवाज़ उठाएँ।