फरवरी 2, 2024 को विजयवाड़ा के डॉ. वाईएस राजशेखर रेड्डी एसीए-वीडीसीए क्रिकेट स्टेडियम पर शुरू हुआ भारत और इंग्लैंड के बीच दूसरा टेस्ट मैच, एक ऐसा दिन था जिसने सबको हैरान कर दिया। शुरुआत में पिच बैट्समैन के लिए बनी हुई लग रही थी — काली मिट्टी का ऊपरी तह, लाल मिट्टी का नीचला तह, और एक शांत लेकिन मजबूत सतह। लेकिन जैसे ही दिन बीता, पिच ने बदल दिया। जैसे कोई बर्फ का टुकड़ा गर्मी में पिघल रहा हो, वैसे ही ये पिच धीरे-धीरे बदल गई। और जब इंग्लैंड के टॉम हार्टले ने आठवें घंटे में सात विकेट ले लिए, तो सबको एहसास हुआ: ये सिर्फ एक मैच नहीं, एक रणनीति की जीत थी।
पिच का रहस्य: काली मिट्टी का जादू
शुरुआत में तो दोनों टीमों के पूर्व खिलाड़ियों — दिनेश कार्तिक और ईन मॉर्गन — ने पिच को ‘बैट्समैन का स्वर्ग’ बताया। लेकिन जब भारत ने बल्लेबाजी शुरू की, तो देखा गया कि गेंद जमीन से ज्यादा चिपक रही थी। पहले 10 ओवर में ही बॉल का रिबाउंड घट गया। जेम्स एंडरसन को भी सीम और स्विंग मिल रही थी, लेकिन वो अस्थायी था। जैसे ही बारिश के बाद की तरह मिट्टी ने अपना आसानी से टूटना शुरू किया, इंग्लैंड ने अपनी तीनों स्पिनर्स — टॉम हार्टले, शोएब बशीर, और एक और स्पिनर — को जल्दी डाल दिया।
इंग्लैंड की रणनीति: बाजबॉल का नया रूप
इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स ने ये मैच बाजबॉल के आक्रामक अंदाज़ में नहीं, बल्कि एक शांत, गहरी रणनीति के साथ खेला। उन्होंने अपने वरिष्ठ बल्लेबाज जो रूट को ओपनिंग ओवर में गेंदबाज़ी के लिए भेजा — 5 ओवर, सिर्फ 17 रन। ये एक ऐसा फैसला था जिसे कोई भी टीम नहीं लेती। लेकिन इंग्लैंड को पता था: ये पिच धीरे-धीरे बदलेगी। और जब बदली, तो उसका फायदा उठाने वाला वो होगा जो तैयार हो।
हार्टले का अद्भुत अभियान: सात विकेट, एक इतिहास
जब टॉम हार्टले ने अपना पहला विकेट लिया, तो कोई नहीं सोच रहा था कि वो सात तक जाएगा। लेकिन जैसे ही पिच धीमी हुई, उसकी लेगस्पिन ने भारतीय बल्लेबाजों को बेकाबू कर दिया। उन्होंने 231 रनों के लक्ष्य के लिए बाहर आए भारतीय बल्लेबाजों को एक-एक करके बाहर कर दिया। इस तरह उन्होंने विजयवाड़ा में टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में एक नया नाम दर्ज कर दिया। इस जीत के साथ इंग्लैंड ने श्रृंखला में 2-0 की बढ़त बना ली — और ये जीत उनके बाजबॉल युग की सबसे बड़ी जीत बन गई।
भारत की घाटी: घरेलू जमीन पर भी असफलता
भारत ने अपने घरेलू मैदानों पर 35 में से 26 जीत दर्ज की हैं — ज्यादातर स्पिन फ्रेंडली पिचों पर। लेकिन आज वो अपनी ही जमीन पर असफल रहे। क्यों? क्योंकि पिच ने उनकी उम्मीदों से ज्यादा तेजी से बदल दिया। इंग्लैंड के लिए ये जीत न सिर्फ एक मैच की जीत थी, बल्कि एक संदेश था: घरेलू फायदा अब इतना आसान नहीं। जब एक टीम अपने खिलाड़ियों को पिच के बदलाव के अनुसार तैयार कर ले, तो भारत का घरेलू दुर्ग भी टूट सकता है।
अगले चरण: बाकी टेस्ट कैसे होंगे?
अगले दो मैच बेंगलुरु और नागपुर में होंगे — दोनों स्पिनर्स के लिए अधिक अनुकूल। लेकिन अब इंग्लैंड के पास एक नया विश्वास है: वो भारत के घर में भी जीत सकते हैं। भारत के लिए अब एक बड़ा सवाल है — क्या वो अपने पिच निर्माण की रणनीति बदलेंगे? क्या वो अब भी इतनी धीमी पिच बनाएंगे जो स्पिनर्स को फायदा दे? या फिर वो एक और तरह की चुनौती देंगे — तेज़, बाउंसी पिच? इस बार भारत को अपनी रणनीति बदलनी होगी।
पिछले अनुभव: 2016 का याद
विजयवाड़ा में पिछला टेस्ट 2016 में खेला गया था — उस बार भी इंग्लैंड यहां आया था और हार गया था। लेकिन आज वो वहीं जीत गया। ये बदलाव किसी एक खिलाड़ी का नहीं, बल्कि एक पूरी टीम के दिमाग का बदलाव है। इंग्लैंड अब सिर्फ आक्रामक नहीं, बल्कि बुद्धिमान भी है। और जब ये दोनों एक साथ आ जाएं, तो दुनिया की किसी भी टीम के लिए घरेलू फायदा नहीं रहता।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
विजयवाड़ा की पिच क्यों इतनी तेज़ी से बदल गई?
विजयवाड़ा की पिच दो परतों की थी — ऊपर काली मिट्टी और नीचे लाल मिट्टी। जब खेल शुरू हुआ, तो काली मिट्टी जल्दी टूट गई और नीचे की लाल मिट्टी ने गेंद को ज्यादा घुमाने लगा। ये तकनीकी तौर पर ‘टू-सॉइल्ड पिच’ कहलाती है, जिसका बदलाव तेज़ी से होता है, खासकर जब गेंद बार-बार जमीन से टकराए।
टॉम हार्टले का ये प्रदर्शन किसी और ने कभी किया है?
हां, लेकिन बहुत कम। विजयवाड़ा में अब तक केवल तीन टेस्ट खेले गए हैं, और इसमें से पहला बार किसी इंग्लिश गेंदबाज़ ने सात विकेट लिए। इससे पहले भारतीय गेंदबाज़ों ने ही यहां बड़े विकेट लिए थे। हार्टले का ये प्रदर्शन इंग्लैंड के लिए इस स्टेडियम पर सबसे बड़ी उपलब्धि है।
भारत की टीम में क्या कमी थी?
भारत की टीम में स्पिन बल्लेबाजी की कमी थी। उनके दोनों स्पिनर्स — रविचंद्रन अश्विन और जसप्रीत बुमराह — ने बहुत कम गेंद फेंकी। जब पिच बदली, तो भारत के पास उसके लिए तैयार कोई विकल्प नहीं था। इंग्लैंड के तीन स्पिनर्स ने लगातार दबाव बनाया, जबकि भारत एक ओवर के बाद दूसरे को बदलता रहा।
इंग्लैंड की ये जीत बाजबॉल के अंदाज़ के खिलाफ है?
नहीं। बाजबॉल सिर्फ आक्रामक बल्लेबाजी नहीं, बल्कि रणनीतिगत बुद्धिमत्ता है। इंग्लैंड ने आज बल्लेबाजी के बजाय गेंदबाजी पर जोर दिया — जो बाजबॉल का दूसरा पहलू है। जब आप जानते हैं कि पिच कैसे बदलेगी, तो उसके अनुसार खेलना ही सच्चा बाजबॉल है।
अगले मैचों में भारत को क्या करना चाहिए?
भारत को अगले मैचों में अपने पिच निर्माण की रणनीति बदलनी होगी। या तो वो अधिक बाउंसी, तेज़ पिच बनाएं जहां इंग्लैंड के स्पिनर्स काम न करें, या फिर अपने टीम में तीसरा स्पिनर शामिल करें। अब घरेलू फायदा नहीं, बल्कि तैयारी ही जीत का मुख्य आधार है।