27 जून, 2025
4 मई, 2025
13 जुलाई, 2024
अगर आप IT सेक्टर में काम करते हैं या उसकी तैयारी कर रहे हैं, तो अगले साल की खबर चौंका सकती है। AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जिस तेजी से काम बदल रहा है, उसी तेजी से नौकरियां भी खतरे में आ गई हैं। माइक्रोसॉफ्ट, अमेज़न, ऑटोडेस्क जैसी नामी कंपनियां 2025 में बड़े स्तर पर छंटनी की तैयारी कर रही हैं। जहाँ तकनीकी ऑटोमेशन और AI आधारित टूल्स कंपनियों की प्रोडक्टिविटी बढ़ा रहे हैं, वहीं इंसानों की जरूरत घटती जा रही है।
माइक्रोसॉफ्ट ने तो इन बदलावों की शुरुआत भी कर दी है। कंपनी अब अपनी टीम को एआई के हिसाब से फिट कर रही है, यानी जहाँ संभव है, वहाँ ऑटोमेटिक सॉल्यूशंस से काम लिया जाएगा और टीम छोटी की जाएगी। ऑटोडेस्क ने तो 9% (करीब 1,350 कर्मचारी) अपने स्टाफ को अलविदा कह दिया, ताकि मशीन लर्निंग के नए प्रयोग किए जा सकें।
एजुकेशन सेक्टर भी इससे बच नहीं सका। ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म Chegg ने 22% (248 कर्मचारियों) की छंटनी एक ही झटके में कर डाली, क्योंकि छात्र अब सीधे ChatGPT या गूगल Gemini जैसे AI टूल्स पर भरोसा करने लगे हैं।
Anthropic के सीईओ डैरियो अमोडेई का कहना है कि आने वाले पांच साल में AI की वजह से एंट्री-लेवल सफेदपोश नौकरियों का आधा हिस्सा चला जाएगा। ऐसे में बेरोजगारी दर 10% से 20% तक जा सकती है, जो अपने आप में डरावना आंकड़ा है।
साल 2025 के पहले छह महीनों में ही AI संबंधित छंटनी 77,999 जॉब्स तक पहुँच चुकी है। और ये सिलसिला सिर्फ सॉफ्टवेयर कंपनियों तक सीमित नहीं रहा। रिटेल दिग्गज Starbucks, फिनटेक कंपनी Stripe और लॉजिस्टिक्स में UPS जैसी कंपनियों ने भी AI को तर्क बनाकर बड़ी संख्या में कर्मचारियों को निकाल दिया।
इस बढ़ती ऑटोमेशन के दौर में कंपनियों को तो तेज प्रोडक्टिविटी और कम लागत की राहत मिल रही है, लेकिन लाखों युवाओं—खासकर फ्रेशर और मिड-लेवल प्रोफेशनल्स—के सामने नौकरी बचाना असली चुनौती बन गया है। अब बात सिर्फ टेक सेक्टर की नहीं रही, एजुकेशन, रिटेल, सप्लाई चेन और लॉजिस्टिक्स तक इसकी सीधी मार पड़ रही है।
सरकार और कंपनियों के लिए यह वक्त बेहद नाजुक बन चुका है। व्यावसायिक ट्रेनिंग, नई स्किल्स पर फोकस और रोजगार बचाने के लिए कोई ठोस रणनीति बनानी ही होगी। वरना, AI हमें इतनी तेजी से बदल देगा, जितनी उम्मीद भी किसी ने शायद न की हो।
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