उत्राखण्ड में तीन‑दिन की भारी बारिश चेतावनी: 15 मौतें, 2 पुलों का ध्वस्त होना

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उत्राखण्ड में तीन‑दिन की भारी बारिश चेतावनी: 15 मौतें, 2 पुलों का ध्वस्त होना

जब भारत मौसम विभाग ने उत्राखण्ड के लिए तीन‑दिन की भारी बारिश चेतावनी जारी की, तो पहले ही पाँच दिनों में 15 लोग अपनी जान गंवा चुके थे और दो बड़े पुल धराशायी हो चुके थे। यह चेतावनी देहरादून, चम्पावत और उधम सिंह नगर जिलों में लाल अलर्ट के साथ लागू की गई, जिससे स्थानीय लोगों को विशेष सावधानियां बरतने की सलाह दी गई।

बारिश की स्थिति और चेतावनी

पिछले हफ्ते रात में देहरादून के काली सहस्रधारा में हुए अचानक बरसात‑भंवर ने 13 मौतों का आँकड़ा प्रकट किया, जबकि पूरे राज्य में अब तक 15 मौतें दर्ज हुई हैं। मौसम विभाग ने सात जिलों – देहरादून, चम्पावत, उधम सिंह नगर, नैनिताल, पिथौरागढ़, पाउरी और ऋषिकेश – में ‘भारी से बहुत भारी वर्षा’ की भविष्यवाणी की है, और अगले तीन दिनों में बूँदों की तीव्रता में वृद्धि की संभावना बताई है।

सहस्रधारा (मुस्तफी), प्रीम नगर, नरेंद्र नगर (तेह्री) और मसूरी जैसे स्थानों में आज तक 150 मिमी से अधिक बारिश दर्ज की गई। इस दौरान चंद्रभागा नदी का जलस्तर भी अचानक बढ़ा, जिससे निचले क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा बना हुआ है।

प्रमुख नुकसान और बुनियादी ढांचे पर असर

बारिश के साथ गिरते बड़े-बड़े पत्थरों ने राष्ट्रीय राजमार्गों को भी जकड़ दिया। देहरादून‑विकसनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित दो पुलों का ढाँचा पूरी तरह से टूट गया, जिससे शहर से बाहर की कई प्रमुख सड़कों का ट्रैफ़िक रूक गया। एक पुल का पतन नंदा की चौकी (प्रेमनगर) पर भी हुआ, जिससे दोनों दिशा में आवागमन बंद हो गया। इसके अलावा फ‑वैले और उत्राखण्ड डेंटल कॉलेज के पास स्थित एक पुल भी गंभीर क्षति से ग्रसित है।

केदारनाथ राजमार्ग पर बड़े‑बड़े पत्थर नीचे आए, जिससे रुद्रप्रयाग जिले में यातायात पूरी तरह से रुक गया। इससे तीर्थयात्रियों और स्थानीय लोगों के आवागमन पर गंभीर प्रभाव पड़ा।

  • देहरादून‑विकसनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर दो पुलों का ढहना
  • केदारनाथ राजमार्ग पर पत्थर गिरने से पूरी बंदी
  • सरोवर, गली, बाजारों और स्कूलों में व्यापक जलभित हो जाना
  • रात‑रात काली सहस्रधारा में क्लाउडबर्स्ट से 13 मौतें

तुरंत बचाव और राहत कार्य

उत्राखण्ड आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया कि अब तक 900 से अधिक व्यक्तियों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया जा चुका है। सेना, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया दल (NDRF) और स्थानीय पुलिस ने मिल‑जुल कर जल‑बाढ़‑भू‑स्खलन के पीड़ितों को बचाने के लिये सुनियोजित बचाव अभियान चलाए हैं।

प्रभावित क्षेत्रों में अस्थायी शेल्टर्स, मोबाइल हॉस्पिटल और खाद्य सामग्री की आपूर्ति की जा रही है। स्कूलों को नैनिताल, देहरादून, चमोली और अन्य जिलों में बंद कर दिया गया है, ताकि छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। कई गाँवों में बिजली कटौती के कारण जनसंपर्क केंद्र भी अस्थायी रूप से बंद हैं।

प्रभावित क्षेत्रों की प्रतिक्रियाएँ और भविष्य की योजना

प्रभावित क्षेत्रों की प्रतिक्रियाएँ और भविष्य की योजना

स्थानीय प्रशासन ने सभी निचले जलाशयों के जलस्तर को निरंतर मॉनिटर करने का आदेश दिया है। मौसम विभाग की चेतावनी के मद्देनज़र, जिला अधिकारी ने क्षतिग्रस्त पुलों के आसपास की सड़कों को बंद कर दिया और वैकल्पिक मार्गों की सूचना दी। ग्रामीण क्षेत्रों में लोग अपने घरों को ऊँची जगहों पर ले जाने और सामान को सुरक्षित रखने के लिए स्थानीय स्कूलों और सामुदायिक गर्ल्स को शरण दी जा रही है।

स्मार्ट सेंसिंग प्रणाली के माध्यम से अब जल‑स्तर की वास्तविक‑समय जानकारी उपलब्ध कराई जा रही है, जिससे भविष्य में अचानक बाढ़ की चेतावनी जल्द निकाली जा सके। राज्य सरकार ने भी प्रभावित जिलों में पुनर्निर्माण के लिये विशेष निधि जारी करने की घोषणा की है, जिससे पुलों और सड़कों की मरम्मत तेज़ी से हो सके।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और समान घटनाएँ

उत्राखण्ड में 2013 की बाढ़ को अक्सर एक बड़ दुर्घटना माना जाता है, जिसमें 5,000 से अधिक लोग प्रभावित हुए थे। तब भी जल‑भारी वृष्टि, क्लाउडबर्स्ट और भू‑स्खलन ने सड़कों, पुलों और घरों को नष्ट कर दिया था। इस बार मौसम विज्ञानियों ने इंटेलिजेंट मॉडलों का उपयोग किया है, ताकि पूर्वानुमान की सटीकता बढ़े और बचाव प्रयास अधिक प्रभावी हों।

वर्तमान स्थिति दर्शाती है कि जल‑वायुमंडलीय परिवर्तन और अस्थिर मौसम पैटर्न उत्राखण्ड जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में नई चुनौतियों की ओर इशारा कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं की आवृत्ति बढ़ेगी, इसलिए सतर्कता और तेज़ कार्रवाई आवश्यक है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

बारिश के कारण सबसे बड़ा जोखिम कौन‑सा है?

मुख्य जोखिम जल‑भारी बाढ़ और पहाड़ी क्षेत्रों में तेज़ भू‑स्खलन हैं, जो पुलों और सड़कों को नष्ट कर सकते हैं, जैसे देहरादून‑विकसनगर राजमार्ग पर दो पुल ढह गए।

कौन‑सी जिलों में स्कूल बंद हैं?

नैनिताल, देहरादून, चमोली, पिथौरागढ़ और उदयपुर वैली के कई स्कूल अब तक बंद रखे गये हैं, ताकि बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

बचाव कार्य में कितना लोग शामिल हैं?

विनोद कुमार सुमन के अनुसार, 900 से अधिक लोग अब तक बचाए जा चुके हैं, और नवीनीकरण एवं राहत के लिये राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया दल, सेना, एवं स्थानीय पुलिस लगातार सहयोग दे रहे हैं।

भविष्य में ऐसी चेतावनियों से कैसे बचा जाए?

प्रभुत्व वाले क्षेत्रों में जल‑स्तर को रीयल‑टाइम मॉनिटर करने के लिये स्मार्ट सेंसर स्थापित किए जा रहे हैं, और स्थानीय प्रशासन ने वैकल्पिक रूट प्लान और अस्थायी शरणस्थल तैयार किए हैं।

क्या यह मौसमी घटना है या जल‑वायु परिवर्तन का असर?

विज्ञानियों ने कहा है कि जल‑वायु परिवर्तन के कारण मौसमी पैटर्न में बदलाव आया है, जिससे अचानक और तीव्र बौछारें अधिक बार हो रही हैं, जैसा कि उत्राखण्ड में हालिया रिकॉर्ड की गई है।