जब जलजमाव, भारी वर्षा के दौरान निचले इलाकों में जलस्तर का अचानक बढ़ना जिससे सड़क‑पुल, घर‑बारी आदि प्रभावित होते हैं. अक्सर इसे बाढ़ कहा जाता है, लेकिन तकनीकी तौर पर बाढ़ बड़े जलस्रोतों की ओवरफ़्लो से जुड़ी होती है, जबकि जलजमाव छोटे नहरों, जलाशयों या निचले गलीचा में अस्थायी गिरावट दर्शाता है। यह प्रक्रिया मौसम पूर्वानुमान, बारिश की मात्रा, वितरण और समय‑सीमा का वैज्ञानिक अनुमान पर बहुत हद तक निर्भर करती है। साथ ही जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल तापमान में स्थायी वृद्धि जिससे मौसमी पैटर्न बदलते हैं भी जलजमाव की आवृत्ति को बढ़ाता है। इस प्रकार जलजमाव एक सामाजिक‑पर्यावरणीय चुनौती बन जाता है, जिसके बारे में सही जानकारी होना जरूरी है।
जलजमाव का प्रमुख कारण है अत्यधिक वर्षा, खासकर मानसून के दौरान। पिछले कुछ सालों में उत्तराखण्ड, केरल, उत्राखण्ड जैसे राज्य लगातार तीन‑दिन की भारी बारिश की चेतावनी जारी कर चुके हैं। ऐसी चेतावनियों में अक्सर “तीन‑दिन की भारी बारिश” या “संभावित बाढ़” शब्द आते हैं क्योंकि लगातार बारिश से निचले तराई क्षेत्रों में जल‑स्तर अचानक बढ़ जाता है। इस स्थिति में जलजमाव भू‑भौतिकी के सिद्धांतों पर काम करता है: जमीनी सतह की निरोधक क्षमता, नदी‑नालों की क्षमता और भूमिगत जल‑संग्रहण की सीमा। जब इन सभी सीमाओं का मिश्रण एक साथ टूटता है, तो जलजमाव तेज़ी से फैलता है।
पहला पहलू है स्थानीय आपदा प्रबंधन, सरकारी और गैर‑सरकारी एजेंसियों द्वारा त्वरित राहत, बचाव और पुनर्वास का समुच्चय। प्रदेश‑स्तर पर यदि जलजमाव का पूर्व‑अभास हो तो डिशास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटीज़ (DMA) तुरंत चेतावनी जारी कर, निकासी योजना बनाते हैं। दूसरा पहलू है जलसंसाधन योजना, नदी‑बेसिन के जल‑स्ट्रक्चर, बांध और जलाशयों की देख‑रेख, जो लंबे‑समय में जलजमाव की तीव्रता को घटा सकती है। तीसरा, अक्सर अनदेखा किया जाने वाला, है सामुदायिक जागरूकता, स्थानीय लोगों को जलजमाव के संकेत, बचाव उपाय और राहत केंद्रों की जानकारी देना। जब समुदाय खुद को तैयार रखता है, तो जीवन और संपत्ति का नुकसान काफी घट जाता है।
इन सभी तत्वों को जोड़ने वाला संबंध यह है: जलजमाव requires मौसम पूर्वानुमान ताकि समय पर चेतावनी दी जा सके; जलवायु परिवर्तन influences जलजमाव के पैटर्न को; और स्थानीय आपदा प्रबंधन enables प्रभावी बचाव कार्य को। ऐसी त्रिप्लेट संरचना से समझ आता है कि केवल मौसम देखना ही नहीं, बल्कि जलस्रोत की क्षमता, जनसंख्या घनत्व और योजना बनाना भी जरूरी है। जब आप नीचे दिए गए लेखों को पढ़ेंगे, तो आप देखेंगे कि कैसे अलग‑अलग राज्यों में जलजमाव के कारण से जुड़ी खबरें, सरकारी उपाय और नागरिक प्रतिक्रियाएँ आपस में जुड़ी हैं।
अब आप तैयार हैं इस टैग पेज के नीचे मिलने वाले लेखों को पढ़ने के लिए—चाहे वह उत्तराखण्ड की भारी बारिश की चेतावनी हो, केरल लॉटरी का अचानक 1 करोड़ वाला जीत हो, या टाटा मोटर्स के शेयर पर जलजमाव‑संबंधी आर्थिक प्रभाव का विश्लेषण। ये सभी पोस्ट जलजमाव के विभिन्न आयाम—पर्यावरण, आर्थिक, सामाजिक—को उजागर करती हैं, जिससे आपको पूरी तस्वीर मिलती है। आगे पढ़िए और देखिए कैसे हर अपडेट आपको इस मौसमी चुनौती से निपटने के सही कदम सुझा सकता है।
30 सेप्टेम्बर 2025 को दिल्ली के ज़खीरा अंडरपास में भारी बाढ़ ने वाहनों को रोक दिया, वर्मा की जलजमाव‑मुक्त दिल्ली की प्रतिज्ञा पर सवाल उठाते हुए.
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