गंगा घाट एक ऐसा स्थान है जहां धर्म, संस्कृति और जीवन का असली मिश्रण दिखाई देता है। गंगा घाट, भारत की सबसे पवित्र नदी गंगा के किनारे बने शिवालय और स्नान के स्थान, जहां लोग अपने शरीर और आत्मा को शुद्ध करने आते हैं। इसे गंगा किनारे के घाट भी कहते हैं, और ये केवल एक स्थान नहीं, बल्कि एक अनुभव है जो हजारों सालों से जारी है।
गंगा घाट के बिना भारतीय जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। वाराणसी, उत्तर प्रदेश का एक प्राचीन शहर, जहां मन्नाट घाट और दशश्वमेध घाट दुनिया भर के भक्तों को आकर्षित करते हैं। यहां सुबह उठकर नहाना, आरती देखना और अंतिम संस्कार करना सब कुछ एक ही नदी के किनारे होता है। हरिद्वार, उत्तराखंड का एक पवित्र शहर, जहां कुंभ मेले के दौरान करोड़ों लोग गंगा में स्नान करते हैं। यहां घाटों के ऊपर भक्ति और शोर का मिश्रण होता है। और फिर है अयोध्या, जहां राम जन्मभूमि के पास गंगा के घाट अपने आप में एक अलग ही आध्यात्मिक ऊर्जा बनाते हैं। ये तीनों जगहें अलग-अलग हैं, लेकिन एक ही नदी से जुड़ी हैं।
गंगा घाट के आसपास बसी जीवन शैली भी अनोखी है। यहां भोजन के लिए लोग नदी के पानी का उपयोग करते हैं, धोती धोते हैं, फूल लाते हैं, और अंत में अपने प्रियजनों की अंतिम यात्रा भी यहीं से शुरू होती है। ये घाट बस एक जगह नहीं, बल्कि एक समाज की धड़कन हैं। कोई यहां आता है तो जीवन का अर्थ बदल जाता है। कुछ लोग यहां नहाकर ताजगी महसूस करते हैं, कुछ आत्मा को शांति देना चाहते हैं, और कुछ बस एक दृश्य देखने आते हैं। लेकिन हर कोई यहां कुछ न कुछ ले जाता है।
इस वेबसाइट पर आपको गंगा घाट से जुड़ी विभिन्न घटनाएं, स्थान, और लोगों की कहानियां मिलेंगी। जहां एक घाट पर आरती हो रही है, वहीं कहीं एक युवा ने अपना जीवन बदलने का फैसला किया है। कुछ लेख बताते हैं कि कैसे गंगा के घाटों की वास्तुकला बदल रही है, तो कुछ बताते हैं कि कैसे बारिश और प्रदूषण इन घाटों को प्रभावित कर रहे हैं। यहां आपको ऐसे लेख मिलेंगे जो आपको सिर्फ खबर नहीं, बल्कि एक अनुभव देंगे।
देव दीपावली 2025 को 5 नवंबर को वाराणसी के घाटों पर एक लाख दीयों की ज्योति से मनाया जाएगा। प्राशोध काल मुहूर्त 5:15 बजे से 7:50 बजे तक, भगवान शिव की विजय और गंगा के शुद्धिकरण का प्रतीक।
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