भारतीय फुटबॉल जगत ने देश के सर्वकालिक सर्वोच्च गोल स्कोरर सुनील छेत्री को श्रद्धांजलि दी है, जो अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल से संन्यास लेने की तैयारी कर रहे हैं। 39 वर्षीय छेत्री ने भारत के लिए 150 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले हैं और 93 गोल किए हैं, जिससे वह इस खेल के एक दिग्गज बन गए हैं।
अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (AIFF) के अध्यक्ष कल्याण चौबे ने छेत्री को भारत द्वारा पैदा किए गए सर्वश्रेष्ठ स्ट्राइकरों में से एक बताया, जिनमें कोई कमजोरी नहीं है और एक बेहतर इंसान भी हैं। AIFF के कार्यवाहक महासचिव एम सत्यनारायण ने कहा कि छेत्री का संन्यास भारतीय फुटबॉल के लिए एक बड़ा नुकसान होगा, लेकिन उनके शानदार करियर का जश्न मनाया जाएगा।
भारत के पूर्व मुख्य कोच सुखविंदर सिंह, जिन्होंने 2006 में छेत्री को पहली राष्ट्रीय कैप दी थी, ने छेत्री की लंबी उम्र और निरंतरता की प्रशंसा की। AIFF कार्यकारी समिति के सदस्य आईएम विजयन ने छेत्री के नेतृत्व कौशल की तुलना भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी से की।
अन्य पूर्व खिलाड़ियों और कोचों ने भी छेत्री के लिए अपनी प्रशंसा व्यक्त की, जिनमें शनमुगम वेंकटेश, महेश गावली, पद्म श्री ओइनम बेंबेम देवी, क्लाइमेक्स लॉरेंस और जेजे लालपेखलुआ शामिल हैं। उन्होंने छेत्री की समर्पण, अनुशासन, कड़ी मेहनत और महत्वपूर्ण गोल करने की क्षमता पर प्रकाश डाला।
भारतीय महिला टीम की कप्तान लोईतोंगबम अशालता देवी ने कहा कि छेत्री का संन्यास एक युग के अंत का प्रतीक है और उन्होंने भारतीय फुटबॉल में उनके योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा:
भारतीय फुटबॉल के लिए छेत्री का योगदान अतुलनीय रहा है। उन्होंने न केवल अपने प्रदर्शन से, बल्कि अपने नेतृत्व और मार्गदर्शन से भी टीम को प्रेरित किया है। उनके संन्यास के साथ एक युग का अंत होगा, लेकिन उनकी विरासत हमेशा याद की जाएगी।
सुनील छेत्री ने अपने करियर में कई उपलब्धियां हासिल की हैं। उनके कुछ प्रमुख आंकड़े और उपलब्धियां इस प्रकार हैं:
श्रेणी | आँकड़े / उपलब्धि |
---|---|
अंतरराष्ट्रीय मैच | 150 |
अंतरराष्ट्रीय गोल | 93 |
सर्वाधिक गोल (भारत के लिए) | 93 |
एएफसी एशियन कप में सर्वाधिक गोल (भारत के लिए) | 6 |
सर्वाधिक कप्तानी (भारत के लिए) | 76 |
इसके अलावा, छेत्री को 2011, 2013, 2014 और 2017 में AIFF प्लेयर ऑफ द ईयर का पुरस्कार मिला। उन्हें 2016 में अर्जुन पुरस्कार और 2021 में पद्म श्री से भी सम्मानित किया गया।
सुनील छेत्री ने न केवल अपने प्रदर्शन से, बल्कि भारतीय फुटबॉल के विकास में अपने योगदान से भी एक अमिट छाप छोड़ी है। उन्होंने युवा खिलाड़ियों को प्रेरित और मार्गदर्शन किया है, और खेल के प्रति जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
AIFF अध्यक्ष कल्याण चौबे ने कहा, "सुनील छेत्री ने न केवल भारतीय फुटबॉल में, बल्कि पूरे देश में खेल के प्रति जागरूकता और उत्साह पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनका प्रभाव अतुलनीय है।"
सुनील छेत्री के संन्यास के साथ भारतीय फुटबॉल एक नए दौर में प्रवेश करेगा। युवा खिलाड़ियों को अब आगे आना होगा और टीम का नेतृत्व करना होगा। हालांकि छेत्री की कमी खलेगी, लेकिन उनकी विरासत हमेशा टीम को प्रेरित करती रहेगी।
AIFF कार्यवाहक महासचिव एम सत्यनारायण ने कहा, "सुनील छेत्री के संन्यास से भारतीय फुटबॉल में एक बड़ा अंतर आएगा। लेकिन हमें भविष्य की ओर देखना होगा और युवा प्रतिभाओं को विकसित करना होगा। हम उनकी विरासत को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।"
निस्संदेह, सुनील छेत्री भारतीय फुटबॉल के सबसे महान खिलाड़ियों में से एक हैं। उनके संन्यास ने एक युग का अंत किया है, लेकिन उनकी विरासत हमेशा जीवित रहेगी और भविष्य के खिलाड़ियों को प्रेरित करती रहेगी।
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