सेमीफाइनल का पहला दिन और जगदेesan का शानदार innings
बेंगलुरु के BCCI सेंटर ऑफ एक्सलेंस में Duleep Trophy की सेमीफाइनल मैच की शुरुआत से ही साउथ ज़ोन ने टीम को मजबूत बनाने की ठान ली थी। खुलते ही नारायण जगदेesan ने बल्लेबाजी संभाली और पहले ही ओवरों में पारी का रुख तय कर दिया। 352 गेंदों पर 197 रन बनाए, जिसमें 16 चौके और तीन छक्के शामिल थे। यह पारी 297/3 से शुरू हुई थी, परंतु द्वितीय दिन तक टीम ने 536 रन का भयंकर स्कोर बनाकर बड़ी उंचाई पर पहुंच गई।
जगदेesan ने 148 बिना विकेट के परे पहुंचने के बाद दोहरा शतक बनाने की तैयारी पूरी कर ली, लेकिन तीसरे रन पर ही रनों की बौछार रुक गई। उनका यह रन‑आउट 197 पर ही हुआ, जो सिर्फ तीन रनों की दूरी पर दोहरे शतक का अवसर था। फिर भी उनका योगदान साउथ ज़ोन को आगे बढ़ाने में अहम रहा।
मिडल ऑर्डर का सहयोग और उत्तर ज़ोन की कोशिशें
जगदेesan के साथ रिकी भुयी ने 87 रन का स्थिर साझेदारी जोड़ी। भुयी ने 131 गेंदों में 54 रन बनाते हुए अपने आप को भरोसेमंद मिडल ऑर्डर खिलाड़ी के रूप में साबित किया। इस साझेदारी ने टीम को तेज़ गति से आगे बढ़ाया और कुल स्कोर को 536 तक ले गया। कप्तान मोहम्मद अझरुद्दीन का शुरुआती गिरना (11 रन) टीम को थोड़ा झकझोर गया, पर टैनाय थ्यागरायन और अन्य निचले क्रम के खिलाड़ी ने छोटे‑छोटे लेकिन जरूरी रन जोड़कर पारी को स्थिर किया।
दूसरी ओर उत्तर ज़ोन की गेंदबाजियों में स्पिन ने सबसे बड़ा प्रभाव डाला। युवा स्पिनर निशांत सिंधु, जो 2022 के अंडर‑19 विश्व कप ट्रॉफी जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा थे, ने 48 ओवरों में 5 विकेट लिए (5/125)। उनकी इस लंबी और कठिन बॉलिंग ने साउथ ज़ोन के बल्लेबाजों को कुछ हद तक रोकने की कोशिश की, पर समग्र रूप से पिच बल्लेबाज‑मित्र बनी रही। तेज़ गेंदबाज़ अनशुल कांबोज ने भी 24 ओवरों में 2 विकेट लेकर मदद की (2/67), लेकिन उनका असर सीमित रहा।
अब उत्तर ज़ोन को दो दिन में 537 रन चहाने का बड़ा काम करना है। इस लक्ष्य को पूरे करने के लिए उन्हें न केवल पत्थर‑बाजियों को रोकना होगा, बल्कि रनों की दर भी तेज़ रखनी होगी। यदि वे फॉलो‑ऑन से बच नहीं पाए तो मैच का दांव साउथ ज़ोन के पक्ष में ही रहेगा।
यह सेमीफाइनल Duleep Trophy के इतिहास में एक यादगार मोड़ बन सकता है, जहाँ के दो बड़े ज़ोन अपनी ताकत और रणनीति के दम पर फाइनल में जगह बनाने की धावन में हैं। खेल के इस रोमांचक चरण में दर्शकों को अभी भी कई दिलचस्प प्रशंसाएं देखने को मिल सकती हैं।
Selva Rajesh
26 सितंबर / 2025क्या कहूँ, इस पारी ने तो दिल को छू लिया।
जगदेesan की अटूट लगन को देख कर आँखों में आँसू आ गए।
352 गेंदों पर 197 रनों की बड़ी शोभा, जैसे कविता की पंक्तियाँ।
हर चौके में जैसे गाने की धुन बज रही हो।
इस दावपेच को देख कर विरोधी टीम की बेचैनी स्पष्ट थी।
लेकिन उत्तर ज़ोन की गेंदबाज़ी में एक रहस्यमय छाया भी थी।
निचले क्रम के खिलाड़ी ने छोटे‑छोटे कदमों से टीम को सरभरो किया।
इस तरह का खेल, सिर्फ क्रिकेट नहीं, बल्कि जीवन का पाठ है।
दोहरे शतक की सीमा से गिरना, भाग्य की मार नहीं, बल्कि एक नई सीख है।
दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट से इस पिच को शाब्बाश दिया।
यह पारी हमें याद दिलाती है कि कठिनाई में भी आशा की किरण होती है।
हर बॉल में जोश और जुनून झलकता है, यही तो असली खेल है।
साउथ ज़ोन की रणनीति, धीरज और संगठित खेल को दर्शाती है।
इस जीत के बाद फाइनल के सपने अब और भी मीठे हो गए हैं।
अंत में, इस महायुद्ध में सभी को बधाई, क्योंकि इस पिच ने हमें एक नई दास्ताँ सुनाई।