कौन हैं अनया और कैसी रही उनकी यात्रा?
हमारे देश में क्रिकेट प्रेमियों के लिए एक नई कहानी ने जन्म लिया है। इस बार यह कहानी बल्ले और गेंद की नहीं है, बल्कि एक साहसिक यात्रा की है। संजय बांगड़, जो भारतीय क्रिकेट में अपनी उत्कृष्ट खेल कला के लिए जाने जाते हैं, उनकी संतान अयान अब अनया के नाम से पहचानी जाती हैं। उन्हें इस पहचान तक आने में लंबा समय लगा। अपने जीवन के इस परिवर्तन को उन्होंने इंस्टाग्राम पर साझा किया। इस यात्रा में उनके अनुभव, संघर्ष, और उत्सुकता का समावेश है, जो उन्होंने एक ट्रांस महिला के रूप में अपनाने के दौरान महसूस किया।
हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी: साहस और चुनौतियों का मिश्रण
अनया ने हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (HRT) कराई, जिसने उन्हें मानसिक और शारीरिक दोनों रूपों में बदला। यह यात्रा आसान नहीं थी। अपने आपको पहचान पाने का संघर्ष और समाज में अपनी जगह बना पाने की चुनौती को वो बखूबी समझती हैं। उन्होंने इंस्टाग्राम पर अपने पिछले जीवन की कुछ तस्वीरों को साझा किया, जिसमें वह क्रिकेट की दुनिया के दिग्गजों के साथ खड़ी हुई दिखती हैं जैसे की विराट कोहली और एमएस धोनी। इन तसवीरों में वह पहले के जीवन के अनुभवों को अपनी वर्तमान पहचान के साथ जोड़ते हुए देखती हैं।
क्रिकेट से प्रेम और पहचान के बीच का संघर्ष
अनया की कहानी केवल व्यक्तिगत परिवर्तन की नहीं है। यह उस संघर्ष की कहानी है, जो वह अपने खेल के प्रति प्रेम और अपनी नई पहचान के बीच अनुभव करती हैं। अनया नवीनतम तकनीकों और हार्मोन बदलावों के चलते अपनी शारीरिक क्षमता को ढूंढ पा रही हैं। बदलाव के बाद मांसपेशियों में कमी, ताकत की कमी और एथलेटिक कौशल में कमी ने उन्हें पेशेवर स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में कई दिक्कतें पैदा कीं।
समाज और खेल के नियमों के बीच फंसे प्रतिभाएँ
वह समाज और खेल के नियमों के दोहरे मापदंड पर खुलकर बात करती हैं। ट्रांस महिला खिलाड़ी के रूप में वह क्रिकेट के लिए अनिश्चित भविष्य के साथ जीवन जी रही हैं। अनया इस बात पर जोर देती हैं कि ट्रांस महिलाओं को महिला क्रिकेट में शामिल करने के लिए उचित नीति की आवश्यकता है।
अनया का साहसिक सन्देश
अनया का संदेश स्पष्ट है - अपनी पहचान और यहां तक कि अपने पसंदीदा खेल के बीच चयन करने के लिए मजबूर की जाने वाली ट्रांस महिलाओं को समर्थन की आवश्यकता है। इस साहसिक कदम के लिए समाज के साथ साथ खेल बिरादरी की जिम्मेदारी है कि वे सबको समान अवसर प्रदान करें।
अनया का क्रिकेट में भविष्य
हालांकि उन्होंने हाल ही में मैनचेस्टर में एक मैच में 145 रनों की शानदार पारी खेली थी, लेकिन अनिश्चित स्थिति में उनका पेशेवर क्रिकेट करियर कहां जाएगा यह देखने की बात है। उनके सामने अपने खेल के प्रति प्रेम बनाए रखना और अपने जीवन के नए मोड़ में संतुलन बनाने की चुनौती है। उनका यह सफर समाज के लिए एक प्रेरणा है और नीति नियंताओं के लिए एक विचारणीय पहलू।
Shiva Sharifi
11 नवंबर / 2024अनया की कहानी सुनकर दिल को बड़ी ताकत मिली है।
ट्रांस जेंडर के सफर में जो हिम्मत लगती है, वो अक्सर खेल के मैदान में नहीं देखी जाती।
अपने भाई संजय बांगड़ की छाया में पली बड़ी, लेकिन अपनी पहचान खुद बनाना एक अलग जंग है।
हार्मोन थैरेपी से जो शारीरिक बदलाव आते हैं, वो कभी-कभी शरीर को नई चुनौतियों के लिये तैयार नहीं कर पाते।
फिर भी अनया ने दिमागी तौर पर खुद को मजबूत किया और ट्रेनिंग के साथ कदम रखा।
इस दौरान उन्हें अक्सर कपड़ों और संसाधनों में भेदभाव का सामना करना पड़ा।
समाज में ट्रांस महिलाओं को मान्यता नहीं मिलने की समस्या अब भी गहरी है।
क्रिकेट बोर्ड को ऐसे खिलाड़ियों को समावेशी नीति बनानी चाहिए, जैसे कि लैंगिक पहचान के आधार पर बंटवारा नहीं होना चाहिए।
कई देश पहले ही इस दिशा में कदम उठा रहे हैं, और भारत को भी उनका अनुसरण करना चाहिए।
अनया ने इंस्टाग्राम पर अपनी यात्रा साझा करके कई युवाओं को प्रेरित किया है।
उनके पोस्ट में दिखता है कि कैसे वह अपने पुराने दौर की यादें और नई पहचान को जोड़ती हैं।
यह मिश्रण दर्शाता है कि परिवर्तन केवल बाहरी नहीं, बल्कि भीतरी होने चाहिए।
अगर क्रिकेट में ट्रांस खिलाड़ियों को उचित अवसर नहीं दिया जाता, तो यह खेल की समृद्धि को भी नुकसान पहुँचेगा।
हमें चाहिए कि हम इस मुद्दे को सिर्फ सामाजिक नहीं, बल्कि खेल विज्ञान के नजरिये से भी देखें।
अंत में यही कहूँगा कि अनया जैसे बहादुर लोग ही हमारे सामाजिक बंधनों को तोड़कर नई राह बनाते हैं।
उनकी कहानी हमें सिखाती है कि असली जीत बाहर की स्कोरबोर्ड में नहीं, बल्कि अपने भीतर की शांति में है।