5 जुलाई, 2024
19 अक्तूबर, 2024
हाल ही में वैज्ञानिकों ने प्रशांत महासागर की गहराइयों में स्थित 4,000 मीटर (लगभग 13,000 फीट) नीचे क्लेरियन-क्लिपर्टन जोन (CCZ) में एक नई प्रकार की ऑक्सीजन का स्रोत खोज निकाला है, जिसे 'डार्क ऑक्सीजन' कहा जा रहा है। यह खोज विज्ञान जगत में एक बड़ा कदम मानी जा रही है। एंड्रू स्वीटमैन के नेतृत्व में एसोसिएशन फॉर साइंस (AMS) के शोधकर्ताओं की इस टीम ने पाया कि यह ऑक्सीजन प्रकाश संश्लेषण के बिना उत्पन्न होती है।
यह ऑक्सीजन कोयला जैसे खनिज संरचनाओं, जिन्हें पॉलीमेटालिक नोड्यूल्स कहा जाता है, से उत्पन्न होती है। ये नोड्यूल्स मुख्यतः मैगनीज और लोहे से बने होते हैं और समुद्री जल इलेक्ट्रोलिसिस के माध्यम से ऑक्सीजन उत्पन्न करते हैं। ये नोड्यूल्स एक AA बैटरी के समान वैद्युत आवेश धारण करते हैं, जिससे वे समुद्री जल कणों को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में विभाजित करने में सक्षम होते हैं।
इस खोज के महत्व को समझते हुए, यह ज्ञात होता है कि पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति और इसके विकास के बारे में नए सवाल उठने लगे हैं। 'डार्क ऑक्सीजन' का स्वतंत्र उत्पत्ति इस बात की ओर इशारा करता है कि पृथ्वी पर जीवन का विकास केवल सूर्य के प्रकाश पर ही निर्भर नहीं है।
पोस्टीमेटालिक नोड्यूल्स के माध्यम से उत्पन्न ऑक्सीजन का यह स्रोत हमें यह समझने में भी मदद करता है कि जीवन के उत्पत्ति के प्रारंभिक चरण कैसे रहे होंगे। जीवाणुओं और अन्य सूक्ष्मजीवों का प्रारंभिक वातावरण भी इसी प्रकार के ऑक्सीजन के स्रोत से आये हो सकते हैं।
इस खोज ने एक और महत्वपूर्ण सवाल उठाया है - गहराई समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के महत्व और सुरक्षा के बारे में। यह आवश्यक है कि हम इन पारिस्थितिकी तंत्रों को समझें और उनकी सुरक्षा के लिए कदम उठाएं, जो स्वतंत्र रूप से ऑक्सीजन उत्पन्न करने में सक्षम हैं।
शोधकर्ताओं की टीम का मानना है कि गहराई समुद्री खनन परियोजनाओं को ध्यानपूर्वक संचालित करना चाहिए ताकि इन ऑक्सीजन उत्पादक पारिस्थितिकी तंत्रों को नुकसान न पहुंचे।
यह खोज केवल पृथ्वी पर ही नहीं, बल्कि दूसरे ग्रहों पर भी जीवन की संभावना को लेकर नए सवाल खड़े करती है। क्या वहाँ भी इसी प्रकार के पारिस्थितिकी तंत्र हो सकते हैं? क्या वहाँ भी 'डार्क ऑक्सीजन' उत्पन्न हो सकती है? इस दिशा में अध्ययन और अनुसंधान की गति तेज हो गई है।
तथ्य | विवरण |
---|---|
खोज की जगह | क्लेरियन-क्लिपर्टन जोन, प्रशांत महासागर |
गहराई | 13,000 फीट |
ऑक्सीजन उत्पादन का तरीका | समुद्री जल इलेक्ट्रोलिसिस |
मुख्य तत्व | मैगनीज, लोहा |
अंततः, यह देखा गया है कि यह खोज जीवन की उत्पत्ति और इसके विकास को समझने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है। 'डार्क ऑक्सीजन' की स्वतंत्र उत्पत्ति के बारे में जानकर हम यह भी समझ सकते हैं कि हमारे ग्रह की पारिस्थितिकी कितनी विविध और जटिल है।डार्क ऑक्सीजन एक ऐसाार्थ है जिसे हम और अधिक अध्ययन और संरक्षण के माध्यम से पूरी तरह समझ सकते हैं।
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