हरियाणा विधानसभा चुनाव के परिणाम इस बार कुछ अनपेक्षित नतीजे लेकर आए हैं। हिसार सीट से स्वतंत्र उम्मीदवार सवित्री जिन्दल ने शानदार प्रदर्शन करते हुए अपने प्रतिद्वंद्वियों पर खासा बढ़त बनाई है। उनकी लोकप्रियता का प्रमाण यह है कि वह कांग्रेस के राम निवास रारा को पीछे छोड़ते हुए लगातर बढ़त बनाए हुए हैं। यह किसी भी स्वतंत्र उम्मीदवार के लिए एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। पूर्व में मंत्री रह चुकीं सवित्री जिन्दल का राजनीतिक अनुभव और जनता में उनकी स्वीकृति ने उन्हें यह मुकाम दिलाया है।
इस चुनाव में सवित्री जिन्दल के खिलाफ बीजेपी के डॉ. कमल गुप्ता, कांग्रेस के राम निवास रारा, आईएनएलडी के श्याम लाल, आम आदमी पार्टी के संजय सतरोडिया और जेजेपी के रविंदर रवि आहुजा जैसे सशक्त उम्मीदवार उतरे हैं। हालांकि, सवित्री जिन्दल ने पिछली सरकारों में अपनी सेवा और अनुभव के बलबूते पर चुनाव में अपनी पकड़ मजबूत बनाकर रखी है।
हिसार के अलावा भी स्वतंत्र उम्मीदवारों ने राज्य के कई अन्य विधानसभा क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन किया है। अंबाला कैंट में, वरिष्ठ बीजेपी नेता अनिल विज स्वतंत्र उम्मीदवार के पीछे चल रहे हैं। इसी तरह, बादशाहपुर में राव नरबीर सिंह और गनौर में देवेंद्र काडयान भी स्वतंत्र उम्मीदवारों के रौब को बखूबी दर्शा रहे हैं। इससे यह साबित होता है कि मतदाता इस बार बड़े राजनीतिक दलों की अपेक्षा स्वतंत्र उम्मीदवारों को भी पूर्ण मौका और समर्थन दे रहे हैं।
इस चुनाव में गठबंधन की राजनीति का भी एक अहम रोल देखने को मिला है। जेजेपी ने आज़ाद समाज पार्टी (कांशीराम) के साथ गठबंधन किया है, जबकि आईएनएलडी ने बहुजन समाज पार्टी के साथ हाथ मिलाया है। बावजूद इसके, स्वतंत्र उम्मीदवारों का प्रदर्शन इन गठबंधन के खिलाफ चुनौती बन कर उभरा है। इन गठबंधनों का उद्देश्य था कि वे अपने समर्थकों के मतों को संगठित कर सकें और एक शक्तिशाली ब्लॉक बना सकें। हालांकि, यह भी देखने में आया है कि स्वतंत्र उम्मीदवारों की लोकप्रियता और उनकी व्यक्तिगत स्वीकृति ने कई बड़े गठबंधन के उम्मीदवारों को चुनौती दी है।
सवित्री जिन्दल की सफलता से यह भी स्पष्ट होता है कि महिलाओं की राजनीति में बढ़ी हुई भागीदारी देश की राजनीतिक स्थितियों को नया मोड़ दे रही है। जिन्दल जैसे सफल महिला नेताओं का उभरना एक सकारात्मक दिशा में उठाया गया कदम कहा जा सकता है। उनकी प्रभावी नेतृत्व शैली और समाज के विभिन्न मुद्दों पर उनका फोकस उन्हें पुरुषप्रधान राजनीति में भी प्रमुखता दिलाता है।
यह चुनाव परिणाम हमें यह भी विचार करने को मजबूर करते हैं कि राजनीति में मतदाताओं की प्राथमिकताएँ कितनी तेजी से बदल रही हैं। अब मतदाता उन उम्मीदवारों को तवज्जो दे रहे हैं, जो उनके निकटतम कल्याण और सामाजिक प्रगति के लिए प्रतिबद्ध हैं। हिसार की जनता ने सवित्री जिन्दल के प्रति जो विश्वास जताया है, वह इस बदलाव की स्पष्ट प्रतिबिंब है।
हरियाणा विधानसभा के इस चुनाव से स्पष्ट रूप से उभर कर आई स्थिति यह दर्शाती है कि राज्य की राजनीति अब बहु-आयामी हो गई है। स्वंय को बड़े दलों की छत्रछाया में सुरक्षित मानने वाले उम्मीदवारों को अब स्वतंत्र उम्मीदवारों के बढ़ते प्रभाव के चलते सतर्क रहना होगा। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस प्रकार के परिणामों से राज्य की राजनीति में नए पहलु सामने आएंगे और आने वाले चुनावों में रणनीतिक बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
चुनाव की इस अद्भुत तस्वीर से यह संदेश मिलता है कि लोकतंत्र की शक्ति जनता के हाथों में ही है और यह वही तय करेंगे कि कौन उनका अगला प्रतिनिधि होगा और किस दिशा में राज्य को आगे ले जाया जाएगा। ऐसे में, स्वंत्रत उम्मीदवारों का शानदार प्रदर्शन यह दर्शाता है कि मतदाता अपनी भूमिका को गंभीरता से ले रहे हैं और उसे समझदारी से निभाने की कोशिश कर रहे हैं।
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