दार्जिलिंग में भूस्खलन व पुल ढहने से 23 मौतें, राष्ट्रपति‑प्रधानमंत्री ने जताया गहरा दुःख

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दार्जिलिंग में भूस्खलन व पुल ढहने से 23 मौतें, राष्ट्रपति‑प्रधानमंत्री ने जताया गहरा दुःख

पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले में 5 अक्टूबर 2025 को लगातार तेज़ बारिश ने जबरदस्त भूस्खलन और पुल गिरने का भयावह दृश्य पेश किया, जिसमें 18‑23 लोगों की मौत हो गई और कई लोग अभी भी लापता हैं।
पहाड़ी इलाके के मिरिक में स्थित दुडिया आयरन ब्रिज के ध्वस्त होने से 9 लोगों की जान गई, जबकि आसपास के गांवों में घर बिखर‑बिखर कर बचे।
रिपोर्टों के अनुसार, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया दल (NDRF) ने तीन बचाव टीमें तैनात की हैं, पर बरसात की तीव्रता के कारण संचालन कठिन बना हुआ है।

भूस्खलन की पृष्ठभूमि और तत्काल कारण

इस सप्ताह से ही दार्जिलिंग के कई हिस्सों में लगातार वर्षा हो रही थी, जिससे मिट्टी की पकड़ कमजोर हो गई। स्थानीय मौसम विभाग ने पहले ही चेतावनी जारी कर दी थी, लेकिन कई पर्यटक दुर्गा पूजा के उत्सव के बाद पहाड़ी ट्रेकिंग के लिये आए और अचानक बदलते मौसम के कारण फँस गए।
वास्तव में, मिरिक के पास स्थित सौरानी (धारा गांव), मिरिक बस्ती और विष्णु गांव में भी भू‑भारी बाढ़ और जमीन ढहने की रिपोर्टें मिलीं।

प्रमुख अधिकारियों और सरकारी प्रतिक्रिया

दरजिलिंग उप‑मंडल अधिकारी रिचर्ड लेप्चा, एसडीओ ने पीटीआई‑भाषा से कहा, "कल रात से हो रही भारी बारिश के कारण दार्जिलिंग उपखंड में हुए भूस्खलन में सात लोगों की मौत हो गई है, बचाव कार्य जारी है।" उन्होंने यह भी बताया कि अब तक मिरिक में कुल 6 मौतें दर्ज की गई हैं – सौरानी में 3, मिरिक बस्ती में 2, और विष्णु गांव में 1।
पश्चिम बंगाल सरकार ने तुरंत पश्चिम बंगाल सरकार के मदद से राहत सामग्री भेजी और प्रभावित इलाकों में ड्रोन सर्वे शुरू किया।

राष्ट्रीय नेता और राजनैतिक बयान

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, राष्ट्रपति ने ट्विटर पर दुख व्यक्त करते हुए कहा, "इस कठिन घड़ी में पीड़ित परिवारों के साथ हमारा हार्दिक सहयोग है।" उसी समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री ने भी राष्ट्रीय स्तर पर सहायता पैकेज की घोषणा की और कहा कि केंद्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) को तुरंत कार्रवाई करने को कहा गया है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, मुख्यमंत्री ने पीड़ितों के लिये शोक मोहर लगाई और कहा, "हम 6 अक्टूबर को उत्तर बंगाल का दौरा करेंगे, क्षतिग्रस्त क्षेत्रों का व्यापक आकलन करेंगे और पुनर्बनी योजना तुरंत शुरू करेंगे।" उन्होंने मृतकों के परिवारों को तत्काल आर्थिक मुआवजा भी घोषित किया।

स्थानीय जनता और पर्यटकों की स्थिति

स्थानीय जनता और पर्यटकों की स्थिति

भारी बारिश के कारण कई पहाड़ी रास्ते बंद हो गए, जिससे कई ट्रेकर्स और परिवार फँसे रहे। कोलकाता, बड़गाम, असम और नेपाल से आए समूहों में से कई लोग अभी भी जंगल में फँसे हुए हैं; कुछ ने स्वयं को बचाने के लिये फ़्लैशलाइट और मोबाइल बैटरी का उपयोग किया।
स्थानीय निवासी राकेश (अकेला) ने बताया, "जब बारिश शुरू हुई तो हमने तुरंत नीचे उतरने की कोशिश की, पर पुल टूट गया और अब हम ठंड में काँप रहे हैं।" इस दौरान NDRF का एक बचावकर्मी ने कहा, "हर घंटे नया खतरा उभरा है, इसलिए सावधानी बरतें और हमारी टीम को रास्ता खाली रखें।"

भविष्य की दृष्टि और संभावित कदम

विश्लेषकों का मानना है कि दार्जिलिंग जैसी संवेदनशील पहाड़ी क्षेत्र में जलवायुगत परिवर्तन के कारण अत्यधिक बारिश की आवृत्ति बढ़ रही है। विशेषज्ञों ने स्थानीय निकायों से कहना चाहा कि दीर्घकालिक समाधान के लिये बाढ़‑नियंत्रण सड़कों की पुनः योजना, बायो‑इंजीनियरिंग, और सतत पर्यटन नीतियों पर जोर देना चाहिए।
सरकारी एजेंसियों ने कहा कि आगे की रिपोर्टों में जल निकायों के पुनःडिज़ाइन और जोखिम‑मैपिंग को प्राथमिकता दी जाएगी, जिससे भविष्य में ऐसी त्रासदियों से बचा जा सके।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

भूस्खलन के कारण कितने लोग मरे हैं?

सरकारी आँकों के अनुसार, इस आपदा में अभी तक 23 लोगों की पुष्टि हुई मौत है, जबकि कई लोग अभी भी लापता हैं और खोज‑बीन चल रही है।

कौन‑कौन से गांव प्रभावित हुए?

मुख्य तौर पर मिरिक, सौरानी (धारा गांव), मिरिक बस्ती और विष्णु गांव को भारी नुकसान हुआ है; इनके अलावा पड़ोसी कई छोटे‑छोटे बस्तियों में भी घर बिखर‑बिखर कर बचे हैं।

सरकार ने किस तरह की मदद की घोषणा की?

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पीड़ितों को तत्काल आर्थिक मुआवजा, आपातकालीन आश्रय और चिकित्सा सहायता प्रदान करने का वादा किया। केंद्र सरकार ने भी राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया दल (NDRF) को अतिरिक्त संसाधन उपलब्ध कराए हैं।

पर्यटक फँसे रहने की स्थिति का क्या समाधान है?

NDRF ने तीन बचाव टीमें तैनात कर बचाव कार्य तेज़ किया है; साथ ही स्थानीय प्रशासन ने समुद्र‑तट ट्रैकिंग, हेलीकॉप्टर निर्गमन और अस्थायी आश्रय केंद्र स्थापित कर रेस्क्यू को सपोर्ट किया है।

भविष्य में ऐसी आपदाओं से बचने के लिये क्या कदम उठाए जाएंगे?

विज्ञानियों ने चेतावनी दी है कि जलवायु परिवर्तन के कारण पहाड़ी क्षेत्रों में अत्यधिक वर्षा बढ़ेगी; इसलिए सरकार ने बाढ़‑नियंत्रण नीतियों, बायो‑इंजीनियरिंग उपायों और सतत पर्यटन नियोजन को प्राथमिकता देने की योजना बनाई है।

टिप्पणि

santhosh san

santhosh san

6 अक्तूबर / 2025

दिल मानता है कि ऐसी बधिया कुदरत की लापरवाही है, पर सामने की सच्चाई तो और भी दयनीय है। भूस्खलन की वजह से कई परिवार एक ही रात में बिखर गए और किसी को आश्रय नहीं मिला। उन लोगों की पीड़ा के बारे में सोच कर नींद नहीं आती। सरकार को तुरंत पुनर्वास योजना लागू करनी चाहिए, नहीं तो भविष्य में और भी मौतें होंगी। यह घटना हमारे सामाजिक सामंजस्य को हिला देती है।

Veena Baliga

Veena Baliga

6 अक्तूबर / 2025

सरकार द्वारा जारी की गई तत्काल सहायता के साथ, यह अनिवार्य है कि राष्ट्रीय स्तर पर आपदा प्रबंधन का ढाँचा सुदृढ़ किया जाये। वर्तमान में कार्यरत निकायों को मौजूदा नीतियों के अनुपालन की पुष्टि करनी चाहिए। अतिरिक्त रूप से, प्रभावित क्षेत्रों में पुनर्निर्माण कार्यों को पारदर्शी रूप से संचालित किया जाना चाहिए। इस प्रकार की व्यवस्थित कार्रवाई ही इस राष्ट्रीय त्रासदी को रोकेगी।

vishal Hoc

vishal Hoc

6 अक्तूबर / 2025

सर्वोच्च उपायों की योजना में सभी हितधारकों की भागीदारी आवश्यक है। स्थानीय समुदायों की आवाज़ को योजना में शामिल करना चाहिए, ताकि पुनः विस्फोट को रोका जा सके। साथ ही, आपदा के बाद के उपचार में मानवीय पहलू को प्राथमिकता देनी चाहिए। यही सहयोगी दृष्टिकोण बेहतर समाधान देगा।

subhashree mohapatra

subhashree mohapatra

6 अक्तूबर / 2025

डेटा दर्शाता है कि पिछले पाँच वर्षों में इस क्षेत्र में वर्षा की तीव्रता में 30% की वृद्धि हुई है, लेकिन आधिकारिक रिपोर्टों में इस सन्दर्भ में कोई ठोस विश्लेषण नहीं मिला। पुनरावृत्ति से बचने के लिए भू-स्थिरता मूल्यांकन को प्राथमिकता देनी चाहिए। अन्यत्र सफल निकासी योजनाओं को देखकर यहाँ भी समान मॉडल अपनाना चाहिए। निष्कर्षतः, अनिच्छा और अल्पसूचना ही इस आपदा की वजह बनते हैं।

ajay kumar

ajay kumar

6 अक्तूबर / 2025

भाई लोग, जो लोग फंस गए हैं उनके लिये तुरंत आस्रय और खाने की व्यवस्था करनी पड़ेगा। रेस्क्यू टीमों को रास्ते साफ रखने में मदद करो, नहीं तो रात में बहुत मुश्किल होगी। साथ में, जरूरतमंदों को कपड़े और दवाइयाँ दे देना चाहिए। छोटे-छोटे दान भी बड़ा असर डाल सकते हैं। चलो मिलकर इस मुश्किल को आसान बनाते हैं।

Poorna Subramanian

Poorna Subramanian

6 अक्तूबर / 2025

प्राथमिक सहायता तुरंत प्रदान की जानी चाहिए यह राष्ट्र की जिम्मेदारी है सभी प्रभावितों को समर्थन देना आवश्यक है टीमों को सुसज्जित करना चाहिए साथ ही पुनरुत्थान के लिए दीर्घकालिक योजना बनानी चाहिए

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