क्या आपने कभी सोचा है कि छोटे बदलाव भी बड़ी बात बता सकते हैं? स्तन कैंसर में शुरुआती संकेत अक्सर हल्के रहते हैं, लेकिन समय पर पहचान से इलाज आसान हो जाता है। यहां मैं सीधे और साफ भाषा में बताऊँगा कि किन बातों पर ध्यान दें, कब डॉक्टर के पास जाएँ और रोज़मर्रा की आदतों में क्या बदलें।
सबसे पहले लक्षण समझ लें। हर स्तन में गांठ होना जरूरी नहीं कि कैंसर हो, लेकिन नई गांठ, स्तन का आकार या आकार में बदलाव, निप्पल से असामान्य स्राव (खून जैसे), निप्पल का अंदर की ओर खिंचना, त्वचा पर सूजन या लालिमा—ये चेतावनी के संकेत हैं। पीड़ा भी कभी-कभी मिली-जुली अवस्था में होती है। अगर कोई बदलाव दिखे तो इसे नजरअंदाज मत करिए।
महीने में एक बार आत्म-परीक्षण करना आसान और असरदार है। नहाने के बाद या शहदनुमा तरीके से आप दोनों हाथों की मदद से उंगलियों की मध्यम दबाव से स्तन और बगल की जांच कर सकते हैं। गांठ, कठोरता या असामान्य स्राव मिले तो फोटो या नोट बनाकर डॉक्टर को दिखाएँ। 40 साल से पहले भी कोई लक्षण हो तो देर न करें।
डॉक्टर मिलने पर वे शारीरिक जाँच करेंगे और जरूरी समझें तो अल्ट्रासोनोग्राफी या मैमोग्राफी बतायेंगे। मैमोग्राफी खासकर 40 साल के बाद स्क्रीनिंग के लिए सुझाई जाती है, पर परिवार में इतिहास हो तो पहले भी करानी पड़ सकती है। बायोप्सी कैंसर की पुष्टि के लिए सबसे सटीक होती है।
इलाज अब पहले से कहीं बेहतर है। सर्जरी, रेडियोथेरेपी, कीमोथेरेपी और लक्षित दवाओं का संयोजन रोगी की स्थिति और स्टेज के अनुसार तय होता है। हर केस अलग होता है—इसलिए डॉक्टर से स्पष्ट योजना, लाभ और दुष्प्रभाव पर खुलकर बात करें। दूसरा राय लेना भी मददगार हो सकता है।
रोकथाम में वजन नियंत्रित रखना, नियमित व्यायाम, शराब कम करना और संतुलित आहार शामिल हैं। ब्रेस्टफ़ीडिंग कुछ मामलों में जोखिम घटाती है। परिवार में किसी को स्तन कैंसर हो तो जीन संबंधी सलाह (GENETIC COUNSELING) लेना उपयोगी है।
अंत में, भावनात्मक समर्थन न भूलें। परिवार, दोस्त और सपोर्ट ग्रुप कठिन दौर में बड़े काम आते हैं। अगर आप या आपका प्रिय कोई नया लक्षण पाते हैं, तुरंत जानकारी जुटाएँ और डॉक्टर से मिलें—समय पर कदम उठाने से ना सिर्फ इलाज बेहतर होता है बल्कि मन की चिंता भी कम रहती है।
अगर आप चाहें तो मैं यहां स्क्रीनिंग, डॉक्टर चुनने या सपोर्ट ग्रुप ढूँढने के सरल कदम भी बता सकता हूँ। क्या आप किसी खास जानकारी के बारे में जानना चाहेंगे?
हिना खान को तीसरे स्टेज के स्तन कैंसर का निदान हुआ है, जो युवतियों में बढ़ते स्तन कैंसर के मामलों पर प्रकाश डालता है। ज्ञात हुआ है कि अनियंत्रित कोशिका विकास इसके मूल में है और कई जोखिम कारक इसमें शामिल हैं। जेनेटिक म्यूटेशन, हार्मोनल बदलाव, सामाजिक और काम-प्रेशर भी मुख्य कारण हो सकते हैं।
विवरण देखेंभारतीय टीवी अभिनेत्री हिना खान को तीसरे चरण का स्तन कैंसर होने का निदान हुआ है। तीसरे चरण का स्तन कैंसर एक स्थानीय उन्नत कैंसर होता है, जिसके इलाज के लिए बहुपक्षीय दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। शुरुआती चरण में लक्षण दिखाई न देने के कारण नियमित आत्म-निरीक्षण और मैमोग्राम महत्वपूर्ण होते हैं। जोखिम कारकों में उम्र, पारिवारिक इतिहास, आनुवंशिकी और जीवनशैली शामिल हैं।
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