क्या पूजा सिर्फ रिवाज है या रोज़ का सुकून? सही तरीके से की गई पूजा मन को शांति देती है और घर का माहौल बदल देती है। यह लेख आपको सरल, कदम‑दर‑कदम पूजा विधि देगा जिसे आप आसानी से अपनाकर रोज़ाना या किसी खास अवसर पर कर सकते हैं।
पहले छोटी तैयारी कर लें—साफ स्थान, चौकी या थाली, दीपक, अगरबत्ती, मिट्टी या तेल का दिया, साफ पानी, फूल, पान‑पत्र/पौधों के पत्ते, फल, प्रसाद और रोली/कुमकुम। अगर आप मूर्ति या तस्वीर रखते हैं तो पहले उसे थोड़ी साफ़ पानी से छू कर या कपड़े से पोछ लें। इसे अलग‑अलग रखने की ज़रूरत नहीं, बस साफ और श्रद्धा से तैयारी रखें।
समय का ध्यान रखें: सुबह सूर्योदय के बाद या शाम को संध्या के समय पूजा करने से मन शांत रहता है। सफाई पर ध्यान दें—सूटेबल कपड़े पहनें और मोबाइल को साइलेंट पर रखें ताकि ध्यान भंग न हो।
1) स्थान और मन की शुद्धि: पहले स्थान से झाड़ू‑पूछे और थोड़ा धूप/दीप जलाकर वातावरण निर्मल करें। दस‑बीस गहरी सांस लें और मन को शांत करें।
2) अग्नि और दीपक: दीपक जलाएं। तेल या घी का दिया रखें। दीपक को भगवान के समक्ष रखें।
3) पानी अर्पण: थोड़ा साफ पानी हाथ में लेकर देवी‑देवता या मूर्ति के सामने छिड़कें या छोटे गिलास में रखें।
4) पुष्प और प्रसाद: फूल चढ़ाएं, फल/मिठाई प्रसाद रखें। अगर पवित्र जल (गंगाजल) उपलब्ध हो तो एक‑दो बूंदें अर्पित कर सकते हैं।
5) मंत्र और आरती: अगर आप जानते हैं तो संक्षिप्त मंत्र बोलें—जैसे शक्तिवर्धक सरल मंत्र या ग्राम‑देवी के छोटे संकल्प। अंत में आरती गाएं या आरती पठन करें और दीप से हाथ घुमाकर देवता को दिखाएं।
6) अंत में प्रार्थना और प्रसीद: मन से अपनी मनोकामना कहें, फिर प्रसाद ग्रहण करें और घरवालों में बाटें।
देवता‑विशेष टिप्स: हनुमान जी के लिए तुलसी या गुड़ चढ़ाना अच्छा माना जाता है; श्रीकृष्ण/लक्ष्मी के लिए रंगीन फूल और गाय का घी इस्तेमाल करें; शिव पूजा में धतूरा/अग्रेसर पत्ते और बेलपत्र पर ध्यान दें।
कुछ छोटे लेकिन असरदार निर्देश: 1) पूजा करते समय इरादे साफ़ रखें—मन में जिस बात की शांति चाहिए, वही कहें। 2) जल्दीबाज़ी न करें; हर कदम पर थोड़ा समय दें। 3) अगर बच्चे हैं, उन्हें शामिल करें—यह उन्हें संस्कार और अनुशासन सिखाता है।
पूजा का मतलब भारी‑भारी नियम नहीं है। असली बात है ध्यान और ईमानदारी। रोज़ाना थोड़ी सी सादगी और सफाई से की गई पूजा का असर बहुत बड़ा होता है। आप इसे अपनी जरूरत के अनुसार छोटा या विस्तृत कर सकते हैं, लेकिन हर बार मन से करें—यही सबसे बड़ा नियम है।
शारदीय नवरात्रि का पांचवां दिन मां दुर्गा के पांचवे रूप, मां स्कंदमाता की पूजा को समर्पित होता है। इस दिन की पूजा और व्रत से ज्ञान, स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है, विशेषतः संतान प्राप्ति की कामना करने वालों के लिए यह शुभ माना जाता है। मां स्कंदमाता की पूजा में पीले या सुनहरे वस्त्र पहनने चाहिए और उन्हें केसर युक्त खीर का भोग लगाया जाता है। पूजा विधि में दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ आवश्यक होता है।
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