3 सितंबर, 2024
17 सितंबर, 2024
शारदीय नवरात्रि का पांचवां दिन मां स्कंदमाता के पूजन के लिए विशेष महत्व रखता है। मां स्कंदमाता को भगवान कार्तिकेय की माता के रूप में जाना जाता है और इनकी उपासना से भक्तों को ज्ञान, स्वास्थ्य और अच्छे संतान का वरदान मिलता है। मां स्कंदमाता का स्वरूप चार भुजाओं वाला होता है, जिनमें से दो हाथों में कमल पुष्प होते हैं और गोदी में भगवान स्कंद अर्थात कार्तिकेय विराजमान होते हैं। शेर की सवारी करने वाली मां स्कंदमाता को पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है और जीवन में आने वाली विघ्न बाधाओं का निवारण होता है।
मां स्कंदमाता की पूजा में कुछ विशेष नियमों का पालन करना आवश्यक होता है। भक्तजनों को इस दिन पीले या सुनहरे रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए और मां को भी इसी रंग के वस्त्र चढ़ाने चाहिए। पूजा करने से पूर्व गंगा जल से स्नान करना शुभ माना जाता है। पूजा के दौरान मां की मूर्ति या चित्र को पीले कपड़े पर स्थापित किया जाता है और उनके सम्मुख दीप, धूप, और पूजा के अन्य आवश्यक सामान अर्पित किए जाते हैं। दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ अवश्य करें क्योंकि यह मां की विशेष कृपा प्राप्त करने का मार्ग है।
मां स्कंदमाता की उपासना में पीले फूल, फल और मिठाई चढ़ाना सबसे उत्तम माना जाता है। केसर युक्त खीर और केले मां को प्रिय होते हैं इसलिए इनका भोग अवश्य लगाएं। पूजा के दौरान मां स्कंदमाता के विशेष मंत्र 'या देवी सर्वभूतेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।' का जाप करने से विशेष लाभ होता है।
पूजा के अंत में मां की आरती करना अत्यंत आवश्यक होता है। कपूर और घी से आरती करने से वातावरण शुद्ध होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। मां की आरती करने के पश्चात आरती के प्रसाद को सभी भक्तों में वितरित करें। ऐसा माना जाता है कि मां की आराधना से न केवल मानसिक शांति मिलती है बल्कि भक्तों को उनके मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
मां स्कंदमाता की पूजा के द्वारा सभी तरह की बाधाएँ दूर होती हैं, और भक्त के जीवन में समृद्धि का आगमन होता है। विशेषकर, जो लोग संतान सुख की इच्छा रखते हैं उनके लिए यह दिन अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन पूजा करने से नकारात्मक ऊर्जा का निवारण होता है और शारीरिक स्वास्थ्य में भी सुधार होता है। ज्ञानार्जन और जीवन में सकारात्मकता से भरपूर अनुभव प्राप्त करने का यह अद्वितीय अवसर है। सही विधि से मां स्कंदमाता की पूजा कर हम उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन को सुख समृद्धि से परिपूर्ण कर सकते हैं।
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