क्या आप जानते हैं कि स्कंदमाता बुद्धि और माँ का संयोजन हैं? मां स्कंदमाता कार्तिकेय (स्कंद) की माता मानी जाती हैं और नवदुर्गा की एक प्रमुख रूप। साधारण भाषा में कहें तो वह मां और शिक्षक दोनों हैं—बच्चों की सुरक्षा और ज्ञान दोनों देती हैं।
स्कंदमाता की मूर्ति या चित्र में वह सिंह पर विराजमान दिखती हैं और गोद में बच्चा स्कंद (कार्तिकेय) लेकर रहती हैं। उनके हाथों में कमल का फूल अक्सर दिखता है, जो शुद्धता और समृद्धि का प्रतीक है। नाम से स्पष्ट है—स्कंद (बेटा) + माता (माँ)। नवरात्रि में पारंपरिक रूप से पाँचवे दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है।
लोग उन्हें विशेष रूप से माता की ममता, बच्चों की सुरक्षा और विद्या लाभ के लिए पूजते हैं। कई भक्त मानते हैं कि स्कंदमाता की भक्ति से घर में सुख, संतान की रक्षा और मानसिक शांति मिलती है।
पूजा बहुत जटिल नहीं होनी चाहिए। घर पर थोड़ी श्रद्धा और थोड़ा ध्यान पर्याप्त है। सबसे पहले जगह साफ रखें और एक छोटी चौकी पर मां का चित्र या मूर्ति रखें। फूल (खासकर कमल अगर उपलब्ध हो), दीप, अगरबत्ती, फल और मीठा जैसे प्रसाद रखें।
पूजा की क्रमिक विधि — - साफ कपड़े पहनें और घर साफ कर लें। - देवी का चित्र रखकर दीप जलाएं। - कमल या सफेद/पीले फूल अर्पित करें। - 108 बार या कम करने पर भी 11/21 बार निम्न मंत्र का जाप करें: "ॐ देवी स्कंदमातरायै नमः"। - भजन या आरती करें और प्रसाद बाँटें।
अगर आप व्रत रखते हैं तो हल्का उपवास रखें। व्रत के बाद दूर्वा, हल्दी और रोली से माता का आशीर्वाद लें और प्रसाद ग्रहण करें।
कुछ लोग स्कंदमाता के विशेष दिन बच्चे की लंबी आयु और बुद्धि की कामना करते हुए प्रोफेशनल तय करते हैं। ध्यान रखें कि भावना साफ और ध्येय स्पष्ट होना चाहिए—बस दिखावे के लिए पूजा न करें।
मंत्र और आरती—आप छोटे मंत्र से शुरुआत कर सकते हैं: "ॐ देवी स्कंदमातरायै नमः"। यह सरल और प्रभावी माना जाता है। आरती में पारंपरिक दुर्गा या माँ भजन गाए जा सकते हैं।
आसान टिप्स: पीले या हल्के रंग के कपड़े पहने, कमल या सूरजमुखी जैसा फूल दें, बच्चों की शिक्षा या सुरक्षित प्रसव के लिए विशेष रूप से माता का स्मरण करें।
अंत में, स्कंदमाता की पूजा का उद्देश्य केवल रीतिकर्म नहीं बल्कि जीवन में माँ की तरह स्नेह और मार्गदर्शन पाना है। थोड़ी श्रद्धा और नियमितता से यह साधना घर और रिश्तों में सकारात्मक बदलाव ला सकती है।