हृदयाघात अचानक आता है और हर मिनट कीमती होता है। क्या आप जानते हैं कि जल्दी की गई मदद जान बचा सकती है? यहाँ आसान भाषा में बताता हूँ कि लक्षण कैसे पहचाने जाएं, तुरंत क्या कदम उठाएं और आगे कैसे बचाव रखें।
सबसे सामान्य लक्षण: छाती में दबाव या तेज दर्द, जो कभी-कभी बांह, गर्दन, जबड़े या पीठ तक फैल सकता है। साँस फूलना, अचानक पसीना, उल्टी या मिचली और बेहोशी जैसी हालत भी हो सकती है।
ध्यान दें — महिलाओं, बुज़ुर्गों और डायबिटीज वाले लोगों में लक्षण थोड़ा अलग हो सकते हैं। उन्हें कभी-कभी सिर्फ कमजोरी, बदन में दर्द, पेट की शिकायत या असहजता महसूस हो। यदि किसी को उपरोक्त में से कोई भी असामान्य संकेत दिखे तो उसे हल्के में न लें।
1) तुरंत एम्बुलेंस बुलाएँ (112 या स्थानीय आपात नंबर)। समय सबसे महत्वपूर्ण है।
2) व्यक्ति को आरामदायक स्थिति में बैठा या आधा झुका कर रखें। लेटाने की बजाय आधा बैठाना अक्सर बेहतर होता है ताकि सांस लेने में सहूलियत रहे।
3) अगर व्यक्ति होश में है और एलर्जी नहीं है तो एक एंटी-इंफ़्लेमेटरी एस्पिरिन (300 mg) चबाकर देने पर डॉक्टर अक्सर सहमत होते हैं — यह खून पतला करने में मदद कर सकता है। पर पहले डॉक्टर से निर्देश लें जब संभव हो।
4) अगर व्यक्ति बेहोश है और साँस नहीं ले रहा या नॉर्मल सांस नहीं ले रहा, तो CPR शुरू करें — सख्त और तेज़ छाती दबाव, 30 बार दबाकर 2 बार मुंह से साँस। AED (ऑटोमैटिक एक्सटर्नल डिफिब्रिलेटर) उपलब्ध हो तो तुरंत इस्तेमाल करें।
5) खाना-पीना न दें, नशे या दवाई खुद ना दें जब तक मेडिकल टीम न कहे। पास-पास शांत रखें और घबराने से रोकें।
ये कदम अस्पताल पहुँचने तक रोगी की बचत बढ़ा सकते हैं। याद रखें, जितनी जल्दी चिकित्सा हस्तक्षेप होगा, नुकसान उतना ही कम होगा।
रोकथाम पर ध्यान दें: धूम्रपान छोड़ें, शारीरिक सक्रिय रहें, नमक और प्रोसेस्ड फूड कम करें, वजन नियंत्रित रखें, ब्लड प्रेशर और शुगर नियमित जांचें और डॉक्टर की बताई दवाइयाँ समय पर लें। तनाव प्रबंधन, पर्याप्त नींद और हफ्ते में कम-से-कम 150 मिनट मध्यम व्यायाम हृदय की सुरक्षा में मदद करते हैं।
यदि आप या आपके परिवार में किसी को पहले हृदय की समस्या रही है तो नियमित चेकअप और डॉक्टर की सलाह जरूरी है। छोटे संकेत भी बड़े हादसे से पहले चेतावनी दे सकते हैं — उन्हें नजरअंदाज न करें।
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भारतीय तटरक्षक के महानिदेशक राकेश पाल का 18 अगस्त 2024 को चेन्नई में हृदयाघात के कारण निधन हो गया। वे एक उत्कृष्ट अधिकारी थे और उनका करियर तीन दशकों से अधिक का था। उनका कार्यकाल भारतीय तटरक्षक बल की संचालन क्षमताओं और आधुनिकरण में महत्वपूर्ण योगदान देने वाला था।
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