दिल्ली यूनिवर्सिटी के छात्र अक्सर DUSU चुनाव को कैंपस की सबसे बड़ी राजनीतिक लड़ाई मानते हैं। 2025 का एग्ज़ाम साल भी खास अहटियों के साथ आया है – नई ड्रिप, डिजिटल कैंपेन और हीटेड डिबेट। अगर आप पहले बार वोट दे रहे हैं या फिर पिछले साल की गड़बड़ियों से बचना चाहते हैं, तो इस गाइड को ज़रूर पढ़ें।
इस साल दो बड़े गठबंधन सामने हैं – ‘इकट्ठा’ और ‘शक्तिशाली’। इकट्ठा में A, B और C नाम के छात्र शामिल हैं, जो फीस में कटौती, फ्री इंटरनेट और कैंपस सुरक्षा को प्राथमिकता देते हैं। दूसरी तरफ़ शक्तिशाली में X, Y और Z हैं, जो अधिक स्कॉलरशिप, प्लेसमेंट सपोर्ट और एथलेटिक फैसिलिटी की मांग कर रहे हैं। दोनों टीमों ने अपने‑अपने लीडर्स को सोशल मीडिया पर तेज़ी से प्रमोट किया है, इसलिए आप फोरम या इंस्टा पर उनकी पॉलिसी फॉलो कर सकते हैं।
वोटिंग 14‑15 मार्च को ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके से होगी। ऑनलाइन वोटिंग के लिए आप kampusvote.in पर अपना यूज़र‑आईडी जनरेट कर सकते हैं, जिसमें छात्र आईडी और मोबाइल नंबर की जरूरत पड़ेगी। ऑफलाइन वोटिंग के लिए हर डिपार्टमेंट के ‘वोटिंग बक्से’ कॉलेज के मुख्य हॉल में रखे जाएंगे, और प्रत्येक सीट पर एक वैध फोटो‑आईडी दिखानी होगी। मतदान के समय ‘नो इंट्री’ सिग्नल घड़ी के बाद नहीं होना चाहिए, इसलिए टाइमटेबल देख कर योजना बनाएं।
ध्यान रखें, एक ही कैम्पस में एक बार ही वोट देना है – दोहरा वोटिंग को सख़्ती से रोका जाएगा। अगर आप अपना वोट नहीं दे पाए तो अर्ली बर्ड्स की लिस्ट में नाम लिखें; यह एक वैध विकल्प है और बाद में भी बदल सकते हैं।
कैंपस में DUSU चुनाव से जुड़ी कई डिबेट्स भी चल रही हैं। अगर आप डिबेट क्लब के सदस्य हैं, तो यह अच्छा मौका है कि आप इन मुद्दों को और गहराई से समझें और अपने दोस्तों को भी जागरूक करें। अक्सर उम्मीदवारों के फॉर्मलों में खाली जगह रह जाती है, इसलिए अगर आपके पास कोई नया आइडिया है तो इसे एग्जीक्यूटिव कमेटी को कॉमेंट बॉक्स में भेजें।
अंत में, याद रखें कि आपका वोट सिर्फ आपका अधिकार नहीं, बल्कि आपका ज़िम्मेदारी भी है। चाहे आप इकट्ठा को समर्थन दें या शक्तिशाली को, अपने फैसले को सोच‑समझकर लें। सही जानकारी, सही टाइमिंग और सही प्लेटफ़ॉर्म से वोट डालें, और DUSU चुनाव 2025 को एक स्वस्थ, प्रोडक्टिव और सुरक्षित कैंपस के लिए कदम बनाएं।
ABVP के आर्यन मान ने DUSU अध्यक्ष पद जीता। दिल्ली यूनिवर्सिटी कैंपस में जश्न दिखा, लेकिन बहादुरगढ़ से उनके जुड़ाव और गांव में जश्न के दावे अभी पक्के नहीं हैं। उपलब्ध रिपोर्टों में इसकी स्वतंत्र पुष्टि नहीं मिली। जीत के बाद छात्र राजनीति के एजेंडा और DU कैंपस की प्राथमिकताओं पर नजर रहेगी।
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