क्या आप अविवाहित साथ रहना सोच रहे हैं या पहले से साथ रहते हैं? आज के जुड़न-तोड़न वाले समय में साथ रहना सामान्य हुआ है, पर सवाल और दिक्कतें भी आती हैं। नीचे सीधे, साफ और काम आने वाले सुझाव दिए हैं जो आपकी मदद करेंगे—कानून से लेकर रोज़मर्रा की आदतों तक।
बुनियादी बात: वयस्कों के बीच रेडी-सीम्यूल (consensual) रिश्ता गैरकानूनी नहीं है। भारतीय अदालतों ने लंबे समय तक साथ रहने (live-in relationship) को कुछ परिस्थितियों में वैध माना है। खास बात यह है कि अगर रिश्ता लम्बा और स्थिर रहा है तो महिलाओं को घरेलू हिंसा कानून या कुछ मामलों में मेंटेनेंस जैसे अधिकार मिल सकते हैं।
प्रैक्टिकल बातें: कोई भी कानूनी सलाह लेने से पहले मामले की परिस्थितियाँ मायने रखती हैं—कितना समय साथ रहा, सामान्य जीवन कैसे बिताते थे, क्या आर्थिक या घरेलू जिम्मेदारियाँ साझा थीं। इसलिए किसी भी गंभीर विवाद में वकील या नज़दीकी महिला/कानून सहायता सेवा से संपर्क करें।
छोटी-छोटी तैयारियाँ बड़े मसले टाल देती हैं। सबसे पहले कुछ साफ बातें तय कर लें: खर्च कैसे बँटेगा, किराया और बिल किस नाम पर होंगे, मेहमानों की नीति क्या होगी, और व्यक्तिगत गोपनीयता की सीमाएँ क्या हैं। ये बातें लिखकर रख लें—कहीं आपात पर काम आ सकता है।
डॉक्यूमेंट्स और सुरक्षा: अपना किरायानामा/रेंट एग्रीमेंट रखें, पहचान-पत्र और आपात संपर्क सूची तैयार रखें। अगर आप दोनों का बैंक अकाउंट साझा है तो ट्रांज़ैक्शन के नियम पहले तय कर लें। जरूरी होने पर सह-रहन समझौता (cohabitation agreement) बनवा लें—यह साधारण विवादों में मदद कर सकता है।
गर्भावस्था या बच्चों की स्थिति में अधिकारों की जानकारी पहले से लें। बच्चे की सुरक्षा और पितृत्व/मातृत्व के कानूनी पहलू अलग होते हैं; बच्चों के अधिकार समान होते हैं और उनका पालन-पोषण सबसे प्राथमिक होना चाहिए।
साइबर और व्यक्तिगत सुरक्षा भी जरूरी है: सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर करने से पहले बात कर लें, पासवर्ड व गोपनीय बातें अलग रखें। अगर पार्टनर से कोई डर या हिंसा हो तो नज़दीकी helpline, महिला सहायता केंद्र या पुलिस से तुरंत संपर्क करें।
मन और रिश्ते का ख्याल रखने के लिए छोटे नियम बनाएं: हफ्ते में बात की मीटिंग, भावनात्मक समय, और जरूरत पड़ने पर काउंसलिंग। परिवार से बात कैसे करेंगे—यह भी प्लान कर लें ताकि अचानक झटके न लगें।
अगर विवाद हो जाए तो पहले शांत तरीके से बातचीत आज़माएँ; फिर मीडिया या सोशल नेटवर्किंग से बचें। कानूनी रास्ता आखिरी विकल्प रखें और आवश्यक दस्तावेज़ साथ रखें।
जरूरी संसाधन: वकील, नज़दीकी महिला/कानून सहायता केंद्र, मनोवैज्ञानिक काउंसलर और लोकल हेल्पलाइन आपकी पहली मदद हो सकती हैं। अगर चाहें तो हम आपकी नज़दीकी सेवाओं का लिंक भी साझा कर सकते हैं। क्या आप किसी खास विषय पर (कानून, काउंसलिंग या डाक्यूमेंट) और जानकारी चाहते हैं?
OYO ने मेरठ में अपने पार्टनर होटलों के लिए एक नई चेक-इन नीति की घोषणा की है, जो 2025 से लागू होगी। इस नीति के अनुसार, अब अविवाहित जोड़े बिना अपने रिश्ते का वैध प्रमाण प्रस्तुत किए होटल में चेक-इन नहीं कर सकेंगे। ओयो की इस नीति के पीछे मेरठ के सामाजिक समूहों और नागरिकों की प्रतिक्रिया का योगदान है। यह पहल इसके ब्रांड को सुरक्षित और जिम्मेदार बनाने की एक विस्तृत योजना का हिस्सा है।
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