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ईद-अल-अधा, जिसे आमतौर पर बकरीद के नाम से जाना जाता है, इस्लामी कैलेंडर का दूसरा सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण त्योहार है। यह त्योहार धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है और इसे व्यापक रूप से मनाया जाता है। यह त्योहार पैगंबर इब्राहीम की भक्ति और उनके पुत्र इश्माईल की बलिदान की घटना के कारण मनाया जाता है। लोगों के विश्वास के अनुसार, अल्लाह ने इब्राहीम की परीक्षा के लिए उनसे अपने पुत्र इश्माईल को बलिदान करने के लिए कहा, और जब इब्राहीम तैयार हुए, तो अल्लाह ने उनके पुत्र को जीवित बचा लिया और एक जानवर का बलिदान किया गया।
साल 2024 में, यह त्योहार सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, जॉर्डन, कुवैत और अन्य अरब देशों में 16 जून को मनाया जाएगा। जबकि भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अन्य दक्षिण एशियाई देशों में इसे एक दिन बाद, यानी 17 जून को मनाया जाएगा। यह तिथि बदलती है क्योंकि इस्लामी कैलेंडर चंद्र आधारित होता है और चाँद देखने के अनुसार तिथियाँ निर्धारित होती हैं।
ईद-अल-अधा की तैयारी में लोग अपने घरों को सजाने, नए कपड़े खरीदने और विशेष प्रकार के खाद्य पदार्थ बनाने में जुट जाते हैं। इस त्योहार पर मुख्य रूप से एक जानवर की कुर्बानी दी जाती है, जो अल्लाह के प्रति समर्पण दिखाने के लिए किया जाता है। इस जानवर का मांस तीन भागों में विभाजित किया जाता है - एक भाग गरीबों को, दूसरा भाग रिश्तेदारों और दोस्तों को, और तीसरा भाग अपने परिवार के लिए रखा जाता है। इस प्रकार, यह त्योहार अनुकरणीय भक्ति और सेवा का उदाहरण प्रस्तुत करता है।
ईद-अल-अधा के अवसर पर मुसलमान अपने परिवार, दोस्तों और समुदाय के अन्य लोगों के साथ एकत्र होते हैं। यह एक ऐसा समय होता है जब लोग एक दूसरे के साथ मिलकर खुशियाँ बाँटते हैं, साथ में भोजन करते हैं और एकता और भाईचारे का प्रदर्शन करते हैं। इस अवसर पर विशेष नमाज पढ़ी जाती है और अल्लाह का धन्यवाद किया जाता है।
बकरीद बच्चों के लिए भी बेहद खास होती है। इस अवसर पर बच्चों को बड़ों से 'ईदी' मिलती है। 'ईदी' के रूप में उन्हें पैसे और मिठाइयाँ दी जाती हैं, जो उनके चेहरों पर खुशी लाने का एक सुंदर तरीका है। इस प्रकार, त्योहार की सारी खुशियाँ केवल बड़ों तक ही सीमित नहीं रहतीं, बल्कि बच्चे भी इसमें पूरी तरह शामिल होते हैं।
ईद-अल-अधा के अवसर पर परिवार के सभी लोग एकत्र होते हैं। यह एक पारिवारिक त्योहार है, जिसमें सभी लोग अपने रोज़मर्रा के व्यस्त जीवन से समय निकालकर एक-दूसरे के साथ समय बिताते हैं। इसके अलावा, यह त्योहार समाज को भी जोड़ता है, लोग अपने पास पड़ोस के जरूरतमंदों की मदद करते हैं और उनके साथ अपनी खुशियाँ साझा करते हैं।
ईद-अल-अधा केवल एक धार्मिक त्योहार नहीं है, यह सांस्कृतिक एकता का प्रतीक भी है। विभिन्न देशों और समुदायों में इसे मनाने के तरीकों में कुछ अंतर हो सकते हैं, लेकिन सबका उद्देश्य एक ही है - अल्लाह के प्रति भक्ति और सेवा का प्रदर्शन।
ईद-अल-अधा के दौरान, लोग एक-दूसरे को शुभकामनाएँ और बधाईयाँ भेजते हैं। विशेष संदेश और बधाई के माध्यम से वे अपने दोस्तों और परिवार को त्योहार की खुशियाँ साझा करते हैं और उनके लिए अच्छे भविष्य की दुआ करते हैं। इस प्रकार, यह त्योहार केवल व्यक्तिगत भक्ति का नहीं, बल्कि समाज की एकता और सहयोग का पारंपरिक उदाहरण है।
संक्षेप में, ईद-अल-अधा एक ऐसा त्योहार है जो न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि समाज में भाईचारे और एकता का प्रतीक भी है। यह त्योहार हर साल एक नवीन उमंग और उत्साह के साथ मनाया जाता है, जो हर व्यक्ति के जीवन में खुशी और समृद्धि लाता है।
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