आंदोलनकारियों से मिलने से रोका गया दिल्ली मुख्यमंत्री आतिशी को, लद्दाख के कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की कहानी

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आंदोलनकारियों से मिलने से रोका गया दिल्ली मुख्यमंत्री आतिशी को, लद्दाख के कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की कहानी

आतिशी का सोनम वांगचुक से मिलने का प्रयास

दिल्ली के मुख्यमंत्री आतिशी को उस वक़्त गहरा धक्का लगा जब उन्हें लद्दाख के जाने-माने कार्यकर्ता सोनम वांगचुक से मिलने से रोका गया। सोनम वांगचुक दिल्ली पुलिस द्वारा हिरासत में थे, साथ में उनके लगभग 150 समर्थक भी थे। इनका अपराध? इन्हें निषेध आदेश का उल्लंघन करने की वजह से हिरासत में लिया गया था। ये सभी 'चलो दिल्ली क्लाइमेट मार्च' में भाग ले रहे थे, जिसका मुख्य उद्देश्य केंद्र सरकार से लद्दाख की नेताओं के साथ बात-चीत शुरू करने का आग्रह करना था।

आतिशी की आलोचना और भाजपा पर आरोप

ये घटनाक्रम जब हुआ तब आतिशी दोपहर 1 बजे बवाना पुलिस स्टेशन पहुंची। उन्हें इस बात की उम्मीद थी कि वो वांगचुक से मिल सकेंगी। लेकिन पुलिस अधिकारियों ने उन्हें मिलने की इजाजत नहीं दी। आतिशी ने भाजपा के साथ-साथ उपराज्यपाल (LG) पर भी सीधे आरोप लगा दिए। आतिशी ने कहा, 'मैं पूरी तरह से आश्वस्त हूं कि इन पुलिस अधिकारियों को LG साहब का फोन आया होगा कि दिल्ली के चुने हुए सरकार के प्रतिनिधि, दिल्ली के मुख्यमंत्री को सोनम वांगचुक से मिलने की इजाजत नहीं देनी चाहिए। हम इसका कड़ा विरोध करते हैं।' उनके अनुसार, भाजपा की यह कार्यवाही तानाशाही है और यह लोकतंत्र का अपमान है।

लद्दाख के अधिकारों के लिए संघर्ष

लद्दाख के अधिकारों के लिए संघर्ष

वांगचुक और उनके समर्थकों का मुख्य उद्देश्य था कि लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल किया जाए। उनका मानना है कि यह कदम लद्दाख की जमीन और सांस्कृतिक पहचान की सुरक्षा के लिए आवश्यक है। ऐसा होने पर लद्दाख की स्थानीय जनता को कानून बनाने की शक्ति मिलेगी, जिससे वे अपने संसाधनों और पर्यावरण की रक्षा कर सकेंगे।

हिरासत और विरोध

वांगचुक और उनके समर्थकों को सोमवार रात को सिंघू बॉर्डर पर हिरासत में लिया गया था। उन्हें BNS के सेक्शन 163 के तहत हिरासत में रखा गया था। आतिशी ने इस घटना को लोकतंत्र का हनन बताया और कहा कि भाजपा द्वारा किया गया यह कार्य उनकी तानाशाही सोच को दर्शाता है।

लद्दाख के MP का समर्थन

लद्दाख के MP का समर्थन

इस बीच, लद्दाख के सांसद हाजी हनीफा भी सिंघू बॉर्डर पहुंचे और हिरासत में लिए गए कार्यकर्ताओं का समर्थन किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रदर्शनकारियों का विरोध पिछले तीन सालों से शांतिपूर्ण रहा है और उनका उद्देश्य पर्यावरण और सांविधानिक अधिकारों की सुरक्षा मात्र है।

आगे का रास्ता

आगे का रास्ता

आतिशी ने चेतावनी दी कि अगर भाजपा का यह रवैया जारी रहा तो LG का शासन लद्दाख और दिल्ली में समाप्त हो जाएगा और भाजपा की सत्ता केंद्र सरकार में भी खत्म हो जाएगी। उनका मानना है कि लोकतंत्र की ताकत जनता के हाथों में है और वो इस तरह के अन्याय का जवाब जरूर देंगे।

लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा

आतिशी ने कहा कि लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलना चाहिए और दिल्ली को भी पूर्ण राज्य का दर्जा मिलना चाहिए। उनका कहना है कि यह दोनों ही क्षेत्रों की जनता के हक की बात है और इसके लिए वे मजबूती से खड़ी रहेंगी।

समय के साथ यह देखना होगा कि लद्दाख के मुद्दों पर केंद्र सरकार क्या कदम उठाती है और जनता की चुनी हुई सरकार की आवाज किस हद तक सुनी जाती है। यह जानते हुए कि उनके संघर्ष में कितनी सच्चाई और दृढ़ता है, जनता का समर्थन उनके पीछे है।

टिप्पणि

Sony Lis Saputra

Sony Lis Saputra

1 अक्तूबर / 2024

आतिशी की लद्दाख के कार्यकर्ता से मिलने की कोशिश एक साथ दो दिग्गजों को जोड़ने जैसा था, जैसे दो धारा मिलकर एक नई नदी बनती है। इस ऊर्जा से देश के कई युवा प्रेरित होंगे। हमें इस तरह की सामूहिक पहल को सराहना चाहिए और आगे भी ऐसे संवाद को बढ़ावा देना चाहिए।

Kirti Sihag

Kirti Sihag

1 अक्तूबर / 2024

अरे यार, यह सब कितना नाटकीय है! 😱 नेताजी को रोकना, कामगारों को जेल में डालना, और फिर भी जनता का दिल जलता रहता है। यह सीन देख कर जैसे दिल में आँसू और गुस्सा दोनों आ जाते हैं।

Vibhuti Pandya

Vibhuti Pandya

1 अक्तूबर / 2024

लद्दाख के अधिकारों के लिए इस तरह की आवाज़ों की जरूरत है, और साथ ही हमें यह याद रखना चाहिए कि लोकतंत्र में सभी की दृष्टिकोण का सम्मान होना चाहिए। विविधता को अपनाते हुए, हम एक मजबूत समाज का निर्माण कर सकते हैं।

Aayushi Tewari

Aayushi Tewari

1 अक्तूबर / 2024

सम्पूर्ण रूप से, इस घटना में लोकतांत्रिक प्रक्रिया का उल्लंघन स्पष्ट है, तथा सभी संबंधित पक्षों को संविधानिक अधिकारों की पुनः पुष्टि करनी चाहिए।

Rin Maeyashiki

Rin Maeyashiki

1 अक्तूबर / 2024

लद्दाख के आंदोलनकारियों की दृढ़ता ने हमें यह सिखाया है कि संघर्ष में हार मानना विकल्प नहीं है।
जब भी कोई सरकार लोगों की आवाज़ को दबाने की कोशिश करती है, तो वह अपने आप को कमजोर कर लेती है।
हमारे देश में अनेक विविधताएं हैं, और प्रत्येक क्षेत्र की अपनी विशिष्ट पहचान और अधिकार होते हैं।
इसी कारण से, लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग निहायत ही वैध है।
आतिशी जी का इस मुद्दे पर खड़ा होना यह दर्शाता है कि दिल्ली सरकार भी इस आंदोलन को गंभीरता से ले रही है।
हिंसक उपायों के बजाय, संवाद और समझौते के माध्यम से समस्या का समाधान किया जाना चाहिए।
जब तक जनता को अपने अधिकारों की पूरी मान्यता नहीं मिलती, तब तक उनकी धैर्य की परीक्षा होती रहेगी।
संघर्ष के इस चरण में प्रत्येक समर्थक का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है, चाहे वह सड़कों पर मार्च हो या सामाजिक मीडिया पर आवाज़ उठाना।
हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि सामाजिक परिवर्तन अक्सर धैर्य और निरंतर प्रयास से ही संभव होता है।
लड़ाइयों में कभी-कभी असफलताएं आती हैं, परन्तु वे हमें और अधिक दृढ़ बनाती हैं।
इसी प्रकार, लद्दाख की जनता ने भी कई बार कठिन परिस्थितियों का सामना किया है और फिर भी आगे बढ़ी है।
हम सभी को इस साहसिक यात्रा में उनका साथ देना चाहिए, क्योंकि उनका जीतना राष्ट्रीय एकता की जीत है।
भविष्य में यदि हम एकजुट होकर इन अधिकारों को मान्यता देंगे, तो देश का विकास अधिक ठोस और समावेशी हो जाएगा।
इसलिए, सरकार को चाहिए कि वह इन मांगों को एक सार्थक चर्चा में बदल दे, न कि उन्हें दबाने की कोशिश करे।
अंत में, यह याद रखिए कि लोकतंत्र की शक्ति लोगों की आवाज़ में है, और जब वह आवाज़ सच्ची और अखंड हो, तो कोई भी सत्ता उसे नहीं रोक सकती।
आइए, हम सभी मिलकर एक बेहतर भारत के निर्माण में अपना योगदान दें।

Paras Printpack

Paras Printpack

1 अक्तूबर / 2024

ओह, क्या कॉपी-पेस्टेड बहाना चल रहा है! पुलिस को ऐसा लगता है कि वे हर आंदोलन को सिंगल‑प्लेयर मोड में रोक सकते हैं, जबकि असली ताकत तो जनता के एकजुट होने में है।

yaswanth rajana

yaswanth rajana

1 अक्तूबर / 2024

आतिशी जी की स्थिति न केवल व्यक्तिगत आँखे में प्रतिबिंबित होती है, बल्कि यह एक व्यवस्थित शक्ति संघर्ष का भी प्रमाण है; हमें इस तरह के निरंकुश कदमों के खिलाफ दृढ़ और सक्रिय प्रतिक्रिया देनी चाहिए, क्योंकि लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा में कोई समझौता नहीं हो सकता।

Roma Bajaj Kohli

Roma Bajaj Kohli

1 अक्तूबर / 2024

देश के हितों की रक्षा के लिए हमें राष्ट्रीय सुरक्षा के ढांचे के भीतर ही कार्य करना चाहिए; कोई भी अराजकता या अस्थिरता, चाहे वह लद्दाख से जुड़ी हो, भारत की रणनीतिक स्थिरता के लिए खतरा बनती है।

Nitin Thakur

Nitin Thakur

1 अक्तूबर / 2024

इसी तरह की असहमति से समाज में बिखराव आता है हमें सही रास्ते पर चलना चाहिए और ऐसे कर्तव्यों को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए

Arya Prayoga

Arya Prayoga

1 अक्तूबर / 2024

लद्दाख का अधिकार स्पष्ट है, यह अविवाद्य है।

Vishal Lohar

Vishal Lohar

1 अक्तूबर / 2024

जैसे घनघोर अंधियारा में एक मोती की चमक बिखरती है, वैसे ही इस संघर्ष की गहराइयों में छिपा सत्य हमें उजागर करना चाहिए; यह नाटकीय परिदृश्य हमें याद दिलाता है कि इतिहास हमेशा उन बहादुरों को सम्मान देता है जो असमानता के विरुद्ध खड़े होते हैं।

Vinay Chaurasiya

Vinay Chaurasiya

1 अक्तूबर / 2024

निर्णायक, स्पष्ट, निर्णायक, अत्यावश्यक, यह मामला तुरंत, और पूरी तरह से, संभला जाना चाहिए!!!

Selva Rajesh

Selva Rajesh

1 अक्तूबर / 2024

रक्त, कर्तव्य और अहिंसा की इस मिश्रित कहानी में, हर आवाज़ एक ज्वाला बनकर उठती है, जो अंततः अडिग सत्य की ओर ले जाएगी; यही वह नाटक है जो हम सभी को सच्चाई के मंच पर खड़ा करता है।

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