वसीयत: अपनी आख़िरी इच्छा कैसे लिखें और सुरक्षित रखें

क्या आपने सोचा है कि आपकी संपत्ति, बैंक खाते या व्यक्तिगत चीज़ें आपकी मौत के बाद किसे मिलेंगी? वसीयत यही तय करती है। सरल भाषा में, वसीयत एक लिखित दस्तावेज़ है जिसमें आप बताते हैं कि आपकी मृत्यु के बाद आपकी संपत्ति किसे और कैसे देनी है। सही तरीके से बनाकर आप परिवार में झगड़े और अटकलें दोनों कम कर सकते हैं।

वसीयत के लिए बुनियादी नियम

भारत में वसीयत आमतौर पर लिखित होनी चाहिए और उसे Testator यानी वसीयत करने वाले द्वारा हस्ताक्षर करना चाहिए। दोनों हाथ से लिखी वसीयत (हस्तलिखित) और टाइप की हुई वसीयत मान्य होती है, पर हस्तलिखित वसीयत विवाद कम पैदा करती है। सामान्यत: दो विस्फोटक गवाहों (witnesses) के साक्ष्य साथ होने चाहिए जो वसीयत पर हस्ताक्षर करते हैं।

कई लोग रजिस्ट्रेशन करवाने की सलाह लेते हैं। रजिस्ट्रेशन अनिवार्य नहीं है, पर रजिस्ट्रेशन करवा लेने से वसीयत की वैधता पर शक कम रहता है और बैंक या कोर्ट में काम आसान होता है।

अच्छी वसीयत कैसे बनाएं — आसान कदम

1) साफ़ और सीधे शब्दों में लिखें: किसे क्या मिलेगा, नाम, पता और पहचान का विवरण दें। किसी जटिल वितरण के लिए प्रतिशत या स्‍पष्ट हिस्से लिखें।

2) गवाह चुनें: दो वयस्क गवाह चुनें जो वसीयत पर हस्ताक्षर करें और बाद में सत्यापन कर सकें। वसीयत के लाभार्थी गवाह नहीं होने चाहिए।

3) भरोसेमंद निष्पादक (executor) रखें: निष्पादक वह व्यक्ति है जो आपकी वसीयत लागू करवाएगा। उस पर भरोसा हो और पता हो कि वह दस्तावेज़ कहाँ रखा गया है।

4) संपत्ति की सूची बनाएं: बैंक खाते, निवेश, जमीन, गहने, पर्सनल आइटम्स — सबकी सूची और अनुमानित मूल्य दें। यह वितरण में मदद करेगा।

5) वैकल्पिक धाराएं रखें: यदि कोई लाभार्थी पहले मर गया तो उसका स्थान कौन लेगा, इसका विकल्प लिखें।

6) अद्यतन रखें: शादी, तलाक, बच्चे या बड़ी खरीदारी होने पर वसीयत अपडेट करें। पुरानी वसीयत को रद्द करना और नई बनाना ज़रूरी है।

7) कानूनी सलाह लें: जटिल संपत्ति, व्यवसाय या विदेशी संपत्ति हो तो वकील से सलाह लेना बेहतर है।

अक्सर लोगों से यह गलतफहमी रहती है कि वसीयत बनाना महंगा या मुश्किल है। असल में, सरल और स्पष्ट वसीयत कुछ नियमों का पालन कर के आसानी से बनाई जा सकती है। छोटे कदम अभी उठा कर आप अपने परिवार को भविष्य की अनिश्चितताओं से बचा सकते हैं। अगर चाहें, आप अपना मसौदा बनाकर स्थानीय लॉ या पर्सनल लॉ वकील से एक बार चेक करा लें — छोटी सी सावधानी बड़ी झंझट से बचाती है।