कभी सोशल मीडिया पर कोई खबर देखकर आप चौंक गए और तुरंत सोचा — ये सच है? कई बार वही खबर बाद में झूठी निकलती है। इस पेज पर हमने उन पोस्ट्स और रिपोर्ट्स को टैग किया है जिनमें गलत दावे या भ्रम फैलाने वाली जानकारी सामने आई है। यहाँ पढ़कर आप सीखेंगे कि कैसे तेज़ी से फैली अफवाहों में फर्क किया जा सकता है।
सबसे पहले स्रोत देखिए: न्यूज किस वेबसाइट या अकाउंट ने दी है? जान-पहचान वाले और आधिकारिक संस्थान भरोसेमंद होते हैं। अनजान या नए डोमेन वाले लिंक पर संदेह रखें।
हेडलाइन ही भरोसा करने योग्य नहीं होती। अक्सर सिर्फ चौकाने वाली हेडलाइन वायरल होती है। लेख पूरी तरह पढ़ें — स्क्रीनशॉट और कट-छाँट कर दिखाए गए हिस्से गुमराह कर सकते हैं।
तारीख और संदर्भ चेक करें। कभी‑कभी पुरानी खबरों को नया बताकर शेयर किया जाता है। फोटो और वीडियो की तारीख व लोकेशन जाँचे — रिवर्स इमेज सर्च (Google Images, TinEye) से पता चलता है कि तस्वीर पहले कहाँ इस्तेमाल हुई थी।
किसी दावे का समर्थन करने वाले दूसरे भरोसेमंद स्रोत देखें। अगर सिर्फ एक संदिग्ध स्रोत ही खबर दे रहा है और बाकी विश्वसनीय मीडिया चुप हैं, तो सावधानी बरतें।
उच्च आवाज़ वाले जोरदार दावे (जैसे इलाज, बड़े राजनेतिक खुलासे) तुरंत सच मानने से पहले आधिकारिक बयान, सरकारी साइट या मान्य फैक्ट-चेक वेबसाइट पर जाँच लें।
पहली बात: तुरंत शेयर न करें। सोचें कि यह जानकारी किस पर असर डाल सकती है—स्वास्थ्य, सुरक्षा या वोटिंग जैसी संवेदनशील चीजों पर गलत सूचना खतरनाक हो सकती है।
प्लेटफॉर्म पर रिपोर्ट करें। फेसबुक, ट्विटर और व्हाट्सएप जैसे प्लेटफॉर्मों पर गलत जानकारी फ़्लैग करने का ऑप्शन होता है। इससे वायरल होने वाला पोस्ट कम फैलता है।
दोस्तों/परिवार को सही जानकारी भेजकर उन्हें सचेत करें। शांत और सटीक तरीके से बताना ज्यादा असरदार होता है, बजाय गुस्से या आरोपों के।
हमारी साइट पर इस टैग के तहत दिखी हर पोस्ट में आप पाएँगे कि किस दावे की जाँच की गई और क्या सच निकलकर आया। फैक्ट‑चेक पढ़कर स्रोतों की लिंक और प्रामाणिक स्रोतों तक पहुँच सकते हैं।
झूठे दावों से लड़ना रोज़मर्रा की आदत बनानी होगी। थोड़ी सावधानी और दो मिनट की जांच आपकी और दूसरों की गलतफहमियों से बचा सकती है। यहाँ दिए गए लेखों को पढ़ें, टिप्स अपनाएँ और खबरों को फैलाने से पहले सोचें।