जब बात मौसम की सही जानकारी की आती है, तो इंडियन मीटेरोलॉजी डिपार्टमेंट, भारत के मौसम विज्ञान को संकलित, विश्लेषित और जनता तक पहुँचाने वाला सरकारी निकाय. इसे अक्सर IMD कहा जाता है, क्योंकि इसकी पहचान भारत की राष्ट्रीय मौसम सेवा के रूप में है। यह विभाग न केवल दैनिक तापमान बताता है, बल्कि मौसमी वैरिएशन, बाढ़ चेतावनी और जलवायु परिवर्तन पर भी विस्तृत रिपोर्ट तैयार करता है। इंडियन मीटेरोलॉजी डिपार्टमेंट की रिपोर्टों पर भरोसा कर लोग अपने कृषि, यात्रा और आपदा प्रबंधन के फैसले लेते हैं।
इस मुख्य इकाई के साथ जुड़ी तीन प्रमुख उप-इकाइयाँ भी हमारी समझ को पूरा करती हैं। पहला है वर्षा पूर्वानुमान, बारिश की मात्रा, स्थान और समय का अनुमान – यह किसानों को बीज बोने या फसल कटाई की योजना बनाने में मदद करता है। दूसरा है फ़्लैश फ़्लड अलर्ट, अचानक बाढ़ की चेतावनी जिससे शहर‑गाँव जल्दी से बचाव कर सके। तीसरा मुख्य तत्व वेस्टर्न डिस्टरबेंस, उत्तरी भारत में सर्दियों के दौरान ठंडी हवा और बारिश लाने वाला मौसमी सिस्टम है, जो अक्सर उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में तेज़ बारिश का कारण बनता है। इन सबका मिलन एक जटिल मौसम जाल बनाता है, जिसे IMD लगातार मॉनिटर करता है।
हाल के महीनों में हमने कई घटनाओं में इस विभाग की भूमिका देखी है। बीते साल बिहार में 28 जिलों में फ्लैश फ़्लड अलर्ट जारी करने के बाद 16 लोगों की मौत हुई, और राज्य सरकार ने राहत‑मुआवजा की घोषणा की। इसी तरह उत्राखण्ड में तीन‑दिन की भारी बारिश चेतावनी के बाद दो पुल डिगे और 15 लोगों की जान गई। इन घटनाओं में दिखता है कि इंडियन मीटेरोलॉजी डिपार्टमेंट की चेतावनियों को समय पर लेन‑देने से जीवन बचाया जा सकता है। तब से लोग मोबाइल पर मौसम एप, टीवी पर रिइन्फोर्स्ड बुलेटिन और सोशल मीडिया पर अपडेट्स के जरिए तुरंत कार्रवाई करते हैं। इसलिए, इस टैग पेज पर आपको मौसम‑सम्बंधित सभी लेख, चेतावनी और विश्लेषण मिलेंगे – चाहे वह बिहार की तेज़ बारिश की रिपोर्ट हो या वेस्टर्न डिस्टरबेंस के कारण उत्तर भारत में संभावित बर्फबारी।
नीचे के लेखों में IMD के विशेषज्ञों ने मौसम पैटर्न, वर्षा‑पूर्वानुमान मॉडल और स्थानीय जल निकायों की क्षमता का विस्तृत वर्णन किया है। पढ़ते‑पढ़ते आप समझ पाएँगे कि कैसे मौसम का विज्ञान रोज़मर्रा की ज़िंदगियों को प्रभावित करता है, और कौन‑से संकेतों पर तुरंत तैयारी करनी चाहिए। तैयार रहें, क्योंकि आगे की पोस्टों में हम वास्तव में उपयोगी टिप्स, मानचित्र और अलर्ट सिस्टम के काम करने का तरीका बताएँगे।
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