When working with G7 शिखर सम्मेलन, एक वार्षिक मंच है जहाँ सात प्रमुख आर्थिक शक्तियों के नेता वैश्विक नीतियों पर चर्चा करते हैं. Also known as G7 मीटिंग, it brings together आर्थिक तंगी concerns, जलवायु परिवर्तन agendas, and वैश्विक सुरक्षा strategies.
G7 शिखर सम्मेलन का मुख्य मकसद राष्ट्रों के बीच आर्थिक सहयोग को मजबूत करना है, लेकिन आज वह सिर्फ वित्तीय बातों तक सीमित नहीं है। आर्थिक तंगी, जो कई विकसित देशों में बढ़ती मुद्रास्फीति और ऊर्जा के बढ़ते दामों से जुड़ी है, सीधे ही नीति निर्माण को प्रभावित करती है। इस कारण से नेता अक्सर ‘वित्तीय स्थिरता’ और ‘वित्तीय प्रणाली में सुधार’ जैसे मुद्दों पर बहस करते हैं।
पिछले दौर में जलवायु परिवर्तन ने G7 एजेंडा पर भारी दबाव डाला। कार्बन उत्सर्जन कम करने, नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश और प्रदूषण नियंत्रण के लिए बड़े‑बड़े प्रतिबद्धताएँ की गईं। यह प्रतिबद्धता केवल पर्यावरणीय नहीं, बल्कि आर्थिक भी है, क्योंकि स्वच्छ तकनीकियां नई बाजारों और नौकरियों का स्रोत बनती हैं।
वैश्विक सुरक्षा का पहलू भी अब अलग नहीं किया जा सकता। आतंकवाद, साइबर‑हमले और जियो‑पॉलिटिकल तनावें G7 देशों को मिलकर उपाय बनाने की मांग करती हैं। एक ही समय में, आर्थिक तंगी से उभरने वाले सामाजिक विरोधों को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा नीति को आर्थिक नीतियों के साथ जोड़ना आवश्यक हो गया है।
इन सभी बातों को समझने के लिए अंतरराष्ट्रीय व्यापार का रोल अहम है। टैरिफ, आपूर्ति श्रृंखला की सुरक्षा और बौद्धिक संपदा संरक्षण सभी G7 चर्चाओं में बार‑बार आते हैं। जब किसी देश की अर्थव्यवस्था सुस्त होती है, तो उसके निर्यात‑आयोग और आयात‑निर्भरता सीधे प्रभावित होती है, जिससे वैश्विक बाजार में उतार‑चढ़ाव आता है।
संक्षेप में, G7 शिखर सम्मेलन को तीन मुख्य धागों से जोड़ा जा सकता है: आर्थिक तंगी, जलवायु परिवर्तन और वैश्विक सुरक्षा। ये सभी एक-दूसरे को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से प्रभावित करते हैं, और इसलिए सम्मेलनों में इनके बीच के संबंधों को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित किया जाता है।
आपको नीचे दी गई सूची में विभिन्न लेख मिलेंगे जिनमें इस सप्ताह के G7 शिखर सम्मेलन के प्रमुख बिंदु, प्रतिभागी देशों की स्थिति, और भविष्य के संभावित कदमों का गहरा विश्लेषण है। पढ़ते रहिए और जानिए कि ये वैश्विक चर्चाएँ आपके रोज़मर्रा के निर्णयों को कैसे आकार देंगी।
Modi ने 19 जून 2025 को कनाडा के G7 शिखर सम्मेलन में विश्व नेताओं को भारत के अनूठे हस्तशिल्प उपहारों से सराहा, जिससे कारीगरों को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली.
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