जब दुर्गा पूजा, हिंदू धर्म में दुर्गा माँ के सम्मान में पाँच‑दिन का मुख्य त्यौहार, भी कहा जाता है नवरी का नाम सुनते हैं तो मन में उत्सव की उमंग झलकती है। इस पूजा में माँ दुर्गा को शक्ति, अभय और ज्ञान की देवी के रूप में याद किया जाता है, और घर‑घर में पंडाल सजाए जाते हैं। दुर्गा पूजा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, यह सामाजिक एकता, सांस्कृतिक अभिव्यक्ति और आर्थिक गतिविधियों का बड़ा केंद्र भी बनता है।
मुख्य रिवाज़ों को समझना आसान है: दुर्गा माँ, शक्तिपुत्री, जिसके दस रूपों को नववेदियों में स्मरण किया जाता है की मूर्ति स्थापित करना, धूप‑आरती और बहु‑भोजन परोसा जाता है। विजया दशमी, पांच‑दिन के समापन पर मनाई जाने वाली समाप्ति की दिव्य तिथि के दिन बुराई पर जीत का जश्न मनाया जाता है। इस दौरान पंडाल, सामाजिक सामूहिक रूप से बनाए जाने वाले तम्बू या मरम्मत ढाँचा जहाँ पूजा आयोजित होती है सजाते हैं, और भक्तिगीत, धार्मिक गीत जो दुर्गा माँ की कहानी को संगीत में पिरोते हैं गाए जाते हैं। इन सबका आपस में घनिष्ठ संबंध है: दुर्गा माँ की आरती पंडाल में होती है, पंडाल के भीतर भक्तिगीत बजती हैं, और विजया दशमी पर सब मिलकर अंधकार पर प्रकाश की जीत का जश्न मनाते हैं। यह त्रिवेणी (तीन तत्व) दुर्गा पूजा को सम्पूर्ण बनाती है।
दुर्गा पूजा का प्रभाव केवल धार्मिक नहीं, बल्कि आर्थिक और सामाजिक भी है। शहर‑शहर में पंडाल निर्माण से स्थानीय कारीगरों को काम मिलता है, जबकि मिठाईयों और दही‑भात जैसे व्यंजन व्यावसायिक रूप से उभरते हैं। इस साल कई राज्य सरकारों ने पंडाल सुरक्षा और पर्यावरण‑मैत्री के नियमों को कड़ा किया है, जिससे लोगों को आत्मविश्वास के साथ समारोह मनाने का मौका मिलता है। साथ ही, सोशल मीडिया पर दुर्गा पूजा की लाइव स्ट्रीमिंग और डिजिटल आरती ने इस परम्परा को नई पीढ़ी तक पहुँचाया है।
इस टैग में आप देखेंगे कि कैसे विभिन्न खबरें और अपडेट दुर्गा पूजा से जुड़े पहलुओं को प्रतिबिंबित करती हैं। कुछ लेख प्रशासनिक निर्णयों पर बात करते हैं, जबकि अन्य स्थानीय कार्यक्रमों और कलाकारों की कहानी पेश करते हैं। चाहे वह पंडाल की रोशनी हो या दुर्गा माँ की प्रेरणादायक कहानियां, हर लेख इस उत्सव की विविधता को दिखाता है। आगे आप उन लेखों को पढ़ेंगे जो दुर्गा पूजा के आधुनिक रूप, सुरक्षा पहल, और सामुदायिक भागीदारी को विस्तार से बताते हैं। इन सबका उद्देश्य आपको त्योहार की गहरी समझ देना और आपके अगले दुर्गा पूजा को और भी सार्थक बनाना है।
Magh Gupt Navratri 2025 जनवरी 30 से फरवरी 7 तक नौ दिनों तक मनाया गया। इस गुप्त नवरात्रि में शाक्ति साधना, मंत्रोच्चारण और कठोर व्रत के माध्यम से दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की गई। उत्तर भारत के कई राज्य इस अनुष्ठान को विशेष महत्व देते हैं। प्रमुख अनुष्ठान में घटस्थापना और नवमी पराना शामिल थे।
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