भारत के अविनाश साबले ने पेरिस ओलंपिक्स में 3000 मीटर स्टिपलचेज़ में शानदार प्रदर्शन करते हुए फाइनल के लिए क्वालीफाई किया है। उन्होंने 8:15.43 के समय के साथ पांचवां स्थान हासिल किया। यह किसी भी भारतीय एथलीट के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
साल भर पहले, साबले बुडापेस्ट में विश्व चैंपियनशिप में भाग ले रहे थे। उस समय उन्हें पूरा विश्वास था कि वे फाइनल में पहुंच जाएंगे, इसलिए उन्होंने अपनी ऊर्जा बचाने का सोचा। लेकिन बहुत देर हो चुकी थी जब तक उन्हें यह एहसास हुआ कि वे एक पैक में फंस चुके हैं और उनके पास बैरियर या वाटर जंप को पार करने के लिए कोई जगह नहीं थी। उन्होंने उस समय समय रहते अपनी गलती स्वीकार कर ली और यह उनके लिए एक महत्वपूर्ण सबक बन गया।
अपनी पिछली गलतियों से सीखते हुए, इस बार साबले ने बिना किसी रणनीतिक गलती के दौड़ को जारी रखा। फाइनल क्वालीफाई करने के लिए उन्होंने पहले लैप से ही अपनी पकड़ मजबूत कर ली थी। इस प्रकार, वे पूरे समय के दौरान एक पतली लाइन में सबसे आगे रहे।
साबले ने अपने लगातार प्रयासों और आत्मविश्वास के साथ सभी को प्रेरित किया। उन्होंने कहा, "प्रत्येक दौड़ को ऐसे चला जाए जैसे यह आपकी आखिरी दौड़ हो।" इसी मंत्र को अपनाते हुए, उन्होंने इस रेस में बेहतरीन प्रदर्शन किया।
साल 2016 में महिलाओं के 3000 मीटर स्टिपलचेज़ में ललिता बाबर के बाद साबले पहले भारतीय एथलीट हैं जिन्होंने ओलंपिक ट्रैक फाइनल के लिए क्वालीफाई किया है। यह सिर्फ उनकी मेहनत का फल नहीं है, बल्कि भारतीय एथलेटिक्स के विकास का भी प्रमाण है।
साबले की तेज गति के कारण उन्होंने ओलंपिक चैंपियन सौफियाने अल बाकली और ओलंपिक सिल्वर मेडलिस्ट लमचा गिरिमा जैसे दिग्गजों को भी पीछे छोड़ दिया। यह उनके आत्मविश्वास और सामर्थ्य का प्रदर्शन है।
अब सभी की नजरें फाइनल पर हैं, जहां साबले एक और बेहतरीन प्रदर्शन करने की तैयारी में हैं। उनकी यह सफलता सिर्फ उनकी नहीं बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का अवसर है। साबले की कहानी उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत है जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए कठिन मेहनत और संकल्प लेते हैं।
फाइनल में साबले के सामने चुनौतियां और भी बड़ी होंगी, लेकिन उनके आत्मविश्वास और तैयारी को देखकर यह कहा जा सकता है कि वे एक बार फिर से हमें गर्वित करने में सक्षम होंगे।
अविनाश साबले की सफलता की यात्रा इतनी आसान नहीं रही है। यह संघर्ष और समर्पण की कहानी है। अपनी कठिनाईयों को दरकिनार कर, उन्होंने खुद को इतने बड़े मंच पर साबित किया है। उनकी इस यात्रा ने न केवल उन्हें बल्कि भारतीय स्पोर्ट्स कम्युनिटी को एक नई दिशा दी है।
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