जब आप संध्या अर्घ्य, सूर्यास्त के बाद किए जाने वाले जल अर्पण का धार्मिक अनुष्ठान, भी कहा जाता है, तो यह समझना जरूरी है कि यह सिर्फ एक रिवाज़ नहीं, बल्कि प्राचीन शास्त्रों में वर्णित एक सुकून भरी प्रथा है। इसे अक्सर अर्घ्य, जल या घी का प्रसाद स्वरूप अर्पण कहा जाता है, जो शांति और सकारात्मक ऊर्जा लाता है।
क्या आपने कभी सोचा है कि संध्या पूजा, सूर्यास्त के बाद की साधारण लेकिन प्रभावी पूजा में अर्घ्य क्यों महत्वपूर्ण है? शास्त्रों के अनुसार, संध्या समय मन, शरीर और आत्मा के बीच संतुलन स्थापित करने का स्वर्ण अवसर है। इस समय किया गया अर्घ्य नकारात्मक प्रभावों को दूर करता है और घर में शांति का संचार करता है। वैदिक ग्रंथों में बताया गया है कि संध्या अर्घ्य से जीवन में स्थिरता आती है और बुरे ऊर्जा से रक्षा होती है।
यहाँ तीन मुख्य पहलू हैं जो संध्या अर्घ्य को समझने में मदद करेंगे:
अक्सर लोग पूछते हैं, "क्या अर्घ्य में कोई विशेष सामग्री जरूरी है?" उत्तर सरल है: जल को शुद्ध स्रोत से लेना चाहिए, लेकिन दही, शहद या घी का प्रयोग भी किया जा सकता है। वैरायटी को देखते हुए, कई परिवार अपने स्थानीय परम्पराओं के अनुसार अलग‑अलग सामग्री चुनते हैं। यह विविधता ही संध्या अर्घ्य को व्यक्तिगत और सामुदायिक दोनों स्तरों पर अपनाने योग्य बनाती है।
संध्या अर्घ्य को संपूर्ण बनाना मात्र जल अर्पण तक सीमित नहीं रहता। इसे भक्ति गीत, संध्या समय के गीत जो मन को शांत करते हैं और व्रत के साथ जोड़ा जा सकता है। कुछ लोग संध्या समय वेद, प्राचीन ग्रंथ जो अर्घ्य की विधि बताते हैं का एक छोटा पाठ सुनते हैं, जिससे ऊर्जा का साकारात्मक प्रवाह बढ़ता है। इन सभी तत्वों का संयोजन संध्या अर्घ्य को एक पूर्ण आध्यात्मिक अनुभव बनाता है।
अब आप सोच रहे होंगे कि इस प्रथा को रोज़ कैसे अपनाएँ? बहुत आसान है—हर दिन सूर्य के डुबते ही, एक छोटा बर्तन लेकर जल अर्पित कर लें, साथ में मन की शांति के लिए छोटा मंत्र या गायन गा लें। यदि आप शुरुआती हैं तो केवल जल से शुरू करें, फिर धीरे‑धीरे दही या घी जोड़ें। लगातार दो या तीन हफ़्तों के बाद आप बदलते हुए प्रभाव देखेंगे: घर में तनाव कम होगा, नींद बेहतर होगी, और ध्यान केंद्रित करने में आसानी होगी।
हमारे इस संग्रह में आप विभिन्न लेख पाएँगे जो संध्या अर्घ्य की अलग‑अलग पहलुओं को विस्तार से बताते हैं—जैसे मौसम के अनुसार अर्घ्य के समय, बच्चों के साथ अर्घ्य कैसे करवाएँ, और विभिन्न प्रदेशों की अनोखी विधियाँ। इन लेखों को पढ़कर आप अपनी दैनिक जीवन में संध्या अर्घ्य को सहजता से शामिल कर पाएँगे। आगे नीचे देखें कि कौन‑कौन से रोचक विषय आप इंतज़ार कर रहे हैं।
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