जब चंद्रमा पूरी तरह से सूर्य को नहीं ढँकता, बल्कि उसका थोड़ा‑सा हिस्सा ही छाया में आता है, तो उसे आंशिक सूर्यग्रहण कहते हैं। इस दौरान आप एक छोटा‑छोटा अँधेरा देख सकते हैं, पर पूरी तरह अँधेरा नहीं होता। यह खगोलीय घटना कई साल में एक या दो बार होती है, इसलिए इसे मिस नहीं करना चाहिये।
आंशिक सूर्यग्रहण का समय‑स्थान अलग‑अलग रहता है। भारत में आमतौर पर शरद या वसंत ऋतु में इसे देख सकते हैं, क्योंकि तब सूर्य क्षितिज के पास होता है और चंद्रमा की कक्षा उलटी पड़ती है। अगर आपका शहर ग्रहण के "पाथ" में है, तो आप लगभग 5‑10 मिनट तक सूर्य के कुछ हिस्से को अँधेरे में देखेंगे। इससे पहले मौसम रिपोर्ट देखें, क्योंकि बादल या धुंध से ग्रहण छुप सकता है।
सूर्य को सीधे देखना आँखों को नुकसान पहुँचा सकता है, इसलिए सुरक्षा बहुत जरूरी है। सबसे सुरक्षित उपाय है सूर्यग्रहण के लिए बने विशेष चश्मे (Eclipse Glasses) पहनना, जो **ISO 12312-2** मानक के हों। अगर आपके पास चश्मा नहीं है, तो सादा काँच या sunglasses काम नहीं करेंगे। एक और तरीका है प्रोजेक्शन: किसी सफेद कार्ड या कागज पर सूर्य की छवि बनाकर देखना। इससे आँखें सीधे सूर्य से नहीं मिलतीं और सुरक्षित रहेगी।
ग्रहण देखते समय कैमरा, मोबाइल या टेलीस्कोप का इस्तेमाल भी सुरक्षा वाले फ़िल्टर के बिना नहीं करना चाहिए। अगर फ़िल्टर ठीक से नहीं लगा तो लेंस में सूरज की तेज़ रोशनी सेंसर को नुकसान पहुँचा सकती है और आपके आँखों पर असर डाल सकती है।
ग्रहण के बाद आप कुछ आसान प्रयोग भी कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, सूर्य के किनारे पर दिखाई देने वाले “बेजेल” को देखना, या टेलीस्कोप से सूर्य के अत्यंत छोटे हिस्से को देखना (फ़िल्टर लगाकर)। इन चीज़ों से न सिर्फ़ आप अच्छी तरह देख पाएँगे, बल्कि खगोल विज्ञान में भी रुचि बढ़ेगी।
आंशिक सूर्यग्रहण का मौका अक्सर छोटा होता है, इसलिए देर न करें। अपना चश्मा तैयार रखें, मौसम देख लें, और दोस्तों या परिवार के साथ मिलकर इस अद्भुत दृश्य को आनंद लें। याद रखें, सुरक्षित देखना ही सबसे बड़ा मज़ा है।
21 सितंबर 2025 को आंशिक सौर ग्रहण दिखेगा, पर भारत से नहीं. दक्षिणी गोलार्ध में सबसे ज्यादा छाया, 85% तक सूर्य ढकेगा. घटना 10:59 PM IST से शुरू, 3:23 AM IST तक चलेगी. सुरक्षित देखते रहें, ऑनलाइन लाइव स्ट्रीम भी मिलेंगे.
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